ऐसी साधारण कहानियों को 'खास' बनाने का आपके पास भी है मौका

कौन कहता है किसी की किस्मत कोई नहीं बदल सकता! आपका एक छोटा से प्रयास किसी की जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकता है। ऐसी ही कहानी है अहमदाबाद की अंजलि की, आपके आसपास भी अगर कोई अंजलि है तो उसकी जिंदगी संवारने का काम आप कर सकते हैं। सच मानिए इससे बहुत कुछ बदल जाएगा....
अंजलि की कहानी
अंजलि कभी अहमदाबाद स्थित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM-A) के पास सड़क पर भीख मांगा करती थी लेकिन अब वह एक इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाई करती है। ऐसा मुमकिन हुआ है बीरेन पाधया नाम के एक शख्स की वजह से। पाधया ने इस बच्ची का दाखिला इस स्कूल में करवाया। पेशे से मल्टीमीडिया डिवेलपर बीरेन ने सिर्फ अंजलि की ही मदद नहीं की है। वह फुटपाथ पर रहने वाले 17 बच्चों को स्कूल भेज चुके हैं जिनमें अंजलि भी एक है।
बीरेन ने कहा कि जब वह पहली बार अंजलि से मिले थे तब उसने उन्हें एक गुजराती गाना गाकर सुनाया था। वह दूसरी बार अंजलि से तब मिले जब उसका ऐक्सिडेंट हो गया था और उसके पैर में फ्रैक्चर था। इस हादसे के बावजूद कोई भी उसकी मदद को सामने नहीं आया था। इसी समय बीरेन ने इस लड़की को नया जीवन देने की बात सोची।
अब अंजलि 'विसामो किड्स' में रह रही है और वह अहमदाबाद के शिलाज में आनंद निकेतन में पढ़ाई कर रही है। बता दें कि 'विसामो किड्स' बच्चों के कल्याण की खातिर काम करने वाला एक संगठन है।
अभी भी फुटपाथ पर रहता है अंजलि का परिवार
हालांकि, अंजलि फिलहाल फुटपाथ पर ही रहने को मजबूर है क्योंकि उसके स्कूल में छुट्टियां चल रही हैं और वह अपने पैरंट्स के पास आई हुई है। छह नवंबर को छुट्टियां खत्म होंगी और तब तक वह फुटपाथ पर ही रहेगी। छुट्टियां शुरू होने से पहले बीरेन ने अंजलि को अपने एक दोस्त के घर पर ले जाने का फैसला किया था लेकिन स्कूल के प्रिंसिपल ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था। प्रिंसिपल ने कहा था कि अंजलि को वापस फुटपाथ पर जाने दिया जाए क्योंकि ऐसा करने से फुटपाथ पर रहने वाले कई लोग प्रेरित हो सकते हैं।
अंजलि की ख्वाहिश वकील बनने की है। वह अपनी छोटी बहन को भी विसामो किड्स में लाना चाहती है। उसका यह भी कहना है कि वह अब कभी भी भीख नहीं मांगेगी।बीरेन ने फुटपाथ पर रहने वाले बच्चों को पढ़ाने की खातिर अंधजन मंडल में एक टीचर की व्यवस्था भी कर रखी है। यहां पर 27 बच्चे पढ़ रहे हैं। इन 27 बच्चों में से बीरेन ने 17 बच्चों को अलग-अलग स्कूलों में पढ़ने के लिए भेजा लेकिन इनमें से छह लौटकर वापस आ गए। 11 बच्चे अभी भी विभिन्न इलाकों के स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें से एक बच्चा महेंद्र भाटी है जो अमरभारती स्कूल में पढ़ रहा है जिसकी सालाना फी एक लाख रुपया है। खास बात यह है कि बीरेनभाई और उनके दोस्त इस बच्चे की फी अदा कर रहे हैं।
अगर हमारे समाज की सोच ऐसी ही हो जाए तो कोई भी बच्चा अशिक्षित नहीं रहेगा। साथ ही फुटपाथ की जिदंगी भी किसी को देखने को नहीं मिलेगी। अगर आप भी कुछ करने की चाहत रखते है तो आज ही आइए। हमारे समाज में बहुत सारे बच्चों को ऐसी मदद की जरूरत है। अगर आपको लगता है कि अंजलि जैसे अन्य किसी फुटपाथ पर रहने वाली की जिंदगी संवर जाए तो इस कहानी को आगे जरूरत शेयर करें।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
