इंजीनियरिंग का कॅरियर छोड़ कर रहे जैविक खेती

कॉरपोरेट ऑफिसों में काम करने वाले कई लोग अकसर अपने आसपास के माहौल और जीवनशैली से ऊब कर कुछ अलग करने के बारे में सोचने लगते हैं। कई बार इनमें से कुछ लोग ऐसा करने में सफल होकर ऐसी इबारत भी लिख देते हैं जो दूसरों के लिए नजीर बन जाती है। ऐसी ही कहानी है तमिलनाडू के इंजीनियर प्रदीप कुमार की। लगभग एक दशक तक आईटी इंडस्ट्री में काम करने के बाद प्रदीप आज उससे इतर एक किसान के तौर पर अपनी पहचान बना रहे हैं।
स्वस्थ भोजन की चाह ने बदली जिंदगी
तिरुनेलवेली जनपद के तेनकसी के रहने वाले प्रदीप के माता-पिता दोनों ही सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर हैं, जबकि उनके दादा एक किसान थे। उनकी इच्छा पर चलते हुए प्रदीप ने चेन्नई से इंजीनियरिंग करने के बाद 2003 में बंगलुरू में एचपी के साथ काम करना शुरू कर दिया। प्रदीप के मुताबिक, लंबे समय बाद एक अच्छी नौकरी और सुखी परिवार के साथ रहते हुए एहसास हुआ कि हम पैसे तो कमा रहे हैं, लेकिन खाने के नाम पर कैमिकल डाल कर उगाए जा रहे खाद्य पदार्थों को खाकर अपनी सेहत खराब कर रहे हैं। यही सोचते हुए वर्ष 2015 में अपने और अपने दोस्तों के परिवार के लिए आर्गेनिक उत्पादों की खेती की शुरुआत की। दो वर्षों तक बंगलुरू से अपने गांव तक लगातार जाने के बाद अब प्रदीप अपनी नौकरी छोड़कर जैविक खेती से लाभ कमा रहे हैं।
पत्नी ने हर कदम दिया साथ
प्रदीप के मुताबिक, आईटी इंडस्ट्री में एक चमकदार कॅरियर छोड़कर जैविक खेती की ओर आना आसान नहीं था। मेरे माता-पिता इसके लिए कतई तैयार नहीं थे, वे चाहते थे कि मैं आईटी इंडस्ट्री में ही आगे जाऊं। हालांकि, दूसरी ओर पत्नी मंगई ने शुरू से साथ दिया। बंजर हो चुकी अपनी पुश्तैनी जमीन को उपजाऊ बनाने के साथ प्याज, मूंगफली और दालों की खेती शुरू की। खास बात यह है कि इसके लिए प्रदीप ने अपनी नौकरी तो नहीं छोड़ी, लेकिन दो वर्षों तक लगातार हर सप्ताहांत में 300 किलोमीटर दूर अपने गांव के चक्कर लगाए।
मेहनत और इच्छाशक्ति ने दिखाई राह
बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने में कई महीने लग गए। मगर, प्रदीप ने सुनिश्चित कर लिया था कि किसी प्रकार के हाइब्रिड बीज का प्रयोग नहीं करेंगे। कुछ समय बाद उनकी मेहनत का असर खेतों में दिखने लगा। इसके साथ ही वर्ष 2015 में शुरू हुआ रागा मलाई फार्म। वर्तमान में प्रदीप पूरे देश में आने जैविक उत्पादों की सप्लाई कर रहे हैं। प्रदीप के मुताबिक, हमें यह तो पता था कि जैविक खेती के माध्यम से हम स्वस्थ खाद्य पदार्थ प्राप्त कर सकते हैं। मगर, हमें यह नहीं पता था कि यह एक लाभदायक व्यवसाय भी हो सकता है।
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