बाल विवाह के खिलाफ इस 'दीदी' ने चलाई अनोखी मुहिम

'बाल विवाह' वैसे तो देश में पहले से कम हुआ है, लेकिन अभी ये पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। कुछ जगहों पर तो इस कुप्रथा ने पहले से भी खराब रूप ले लिया है। राजस्थान उनमें से एक है, वहां आज भी गांवों में बाल विवाह एक 'बिमारी' की तरह फैली हुई है। आज हम आपको राजस्थान की ही एक कहानी बताने जा रहे हैं जहां इस कुप्रथा के खिलाफ एक लड़की ने अकेले आवाज उठाई है और वो इस काम में सफल भी हो रही है।
हम बात कर रहे हैं राजस्थान में भोजपुर की रहने वाली 22 साल की विजयलक्ष्मी शर्मा की, लक्ष्मी जब 13 साल की थीं तो उनकी एक सहेली का ब्याह कर दिया गया। ब्याह के एक साल बाद उनकी सहेली गर्भवती हो गई और बच्चा पैदा करते समय उसकी मृत्यु हो गई। इस घटना ने विजयलक्ष्मी को इस कदर झकझोर दिया कि उन्होंने इस कुप्रथा को खत्म करने की ठान ली। हालांकि शुरुआत में उनको अपने परिवार से ही विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन लक्ष्मी के पिता ने अपनी बेटी की आवाज सुनी और उसे उसकी मन की करने की छूट दी।
कैसे काम करती हैं विजयलक्ष्मी
अपनी सहेली को खोने के बाद जब विजयलक्ष्मी की शादी की बात होने लगी तो उन्होंने अपने पिता से शादी रोकने की बात की, उनकी बात पर पिता ने न सिर्फ मानी लक्ष्मी को इसा अभियान में सपोर्ट करने का भी मन बना लिया। उसके बाद लक्ष्मी ने उन लोगों के घर जाकर अपनी बात रखनी शुरू कर दी जो लोग अपनी बेटियों का विवाह कम उम्र में करने जा रहे थे।
कई जगहों पर उनको लोग अपने घर नहीं आने देते, कई लोगों ने तो उनको और उनके परिवार को फोन कर धमकी भी देते थे। फिर भी लक्ष्मी ने हार नहीं मानी और अपने कुछ दोस्तों की मदद से वो अपना काम कर रही हैं। आपको बता दें, वो पहले बेटियों का बाल विवाह करने वाले को प्यार से समझाती हैं, अगर लोग प्यार से नहीं मानते तो फिर वो उनको धमकी देती हैं। वो धमकी देती हैं कि वो उनके खिलाफ पुलिस में जाकर शिकायत कर देंगी।
विजयलक्ष्मी की कहानी उन्हीं की जुबानी
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