अंगदान के प्रति डांसर विजय ने चलाई जागरुकता की अनोखी यात्रा
हर कॉलेज लाइफ में लेह और लद्दाख जाने की योजना जरूर बनती है। साथ ही रास्ते में अगर एडवेंचर हो जाए तो सबको मजा आ जाता है। लेकिन अगर किसी यात्रा को सामाजिक जागरुकता के साथ किया जाए तो वो और भी बेहतर हो सकता है। इसके बारे में हम तो सिर्फ सोचते रहते हैं लेकिन कुछ लोग हैं जो समाज में सही मायनों में जागरुकता फैलाने के लिए काम भी कर रहे हैं। इन्हीं लोगों में से एक लौरद विजय हैं। जो यात्रा के माध्यम से समाज को जागरूक कर रहे हैं।
जागरुकता ही मकसद
वैसे तो कम ही लोग होंगे जो लौरद विजय के बारे में नहीं जानते होंगे लेकिन हम आपको बताते हैं कि ये कौन हैं? लौरद विजय बेंगलुरू के एक डांस क्लास मास्टर हैं। इनका अपना डांस क्लास हैं। बॉलीवुड से लेकर अन्य कई जगहों पर इनके क्लास से निकाले हुए छात्र डांस में अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं। लेकिन आज हम आपको इनके ऐसे काम के बारे में बताने जा रहे हैं जिस सुन कर आपका भी मन गदगद हो जाएगा लौरद विजय पिछले कई दिनों से एक लंबे यात्रा पर हैं। इनकी ये यात्रा 9400 किलोमीटर की लंबी हैं। ये यात्रा वो इसलिए कर रहे हैं ताकि हमारे समाज में अंगदान के बारे में जागरूकता फैले। लौरद की ये यात्रा पूरे 9 शहरों को परा कर रहा है। लौरद का नाम गिनीज बुक रिकॉर्ड में दर्ज है। ये पहले ही बंगलौर, चेन्नई, पुणे, जयपुर, लुधियाना, पठानकोट, श्रीनगर, कारगिल जैसे शहरों को कवर कर चुके हैं और वर्तमान में लेह में हैं।
जागरुकता फैलाने की यात्रा
लौरद का यह अभियान हैदराबाद, आगरा जैसे अन्य शहरों को कवर करेगा और 21 सितंबर को समाप्त हो जाएगा। यह अभियान स्प्रेडिंग होप फाउंडेशन द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियान का एक हिस्सा है। अंग दान के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए लौरड द्वारा शुरू किया गया आशा फाउंडेशन, सिर्फ दो महीने का एक संगठन है। यह अगले पांच सालों में दस लाख लोगों का बैंक बनाने के लिए स्थापित किया गया है, जो अपने अंगों को स्वेच्छा से और जवाबदेही के साथ दान करेंगे।
इस यात्रा का उद्धेश्य संगठन के बारे में लोगों के बीच सकारात्मक जागरूकता पैदा करना था और इसके संबंध में गलत धरनाओं को खत्म करना था। लौरेड से जब पूछा गया कि आपने इसके लिए आपने सोशल मीडिया का सहारा क्यों नहीं लिया तो, उन्होंने कहा, "सोशल मीडिया के पास अपनी सीमाएं हैं, जब बड़ी संख्या में दर्शकों तक पहुंचने की बात आती है तो ये कारगर नहीं होता। अधिक लोगों से बात करने और मानसिक रुकावटों का पता लगाने में सहायता करने के लिए हमने यात्रा शुरू करने के बारे में सोचा था जो ज्यादातर अंग दान से संबंधित हो। हम लोगों का ध्यान जमीनी स्तर पर केंद्रित कर रहे हैं, अभी हम देश में अंग दान के बारे में एक स्पष्ट आंकड़े प्राप्त करना चाहते थे। इससे पहले, मुझे इस तरह के बड़े पैमाने पर काम करने की आवश्यकता थी, जो इस मामले में किया जाना आवश्यक था।"
कैसे शुरू हुआ ये सफर?
आज से 20 साल पहले लौरद विजय ने एक अंग दाता के रूप में हस्ताक्षर करने के साथ इस मुहिम की शुरुआत की। इस मुहिम का लौरेद के माता-पिता ने बहुत समर्थन किया। लौरद जो कि एक डांसर है और एक फेमस डांस स्टूडियो चलाते हैं, उन्होंने कहा कि उन्हें 2 साल तक अंगदाता का इंतजार किया लेकिन किसी ने भी इसका सपोर्ट नहीं किया। उन्होंने कहा कि यदि दानकर्ता अपना अंग दान करते हैं तो शायद ही किसी भी मरीज की जिंदगी अंग के अभाव में खत्म हो।
इसके लिए क्या सब है चुनौतियां?
एक आंकड़े के मुताबिक लगभग 1.5 लाख लोग का भारत में हर साल आकस्मिक मृत्यु होती है। अभी भारत में अंग दान पर काम करने के लिए शायद ही कोई बुनियादी ढांचा है। लौरद का अंग दाताओं का एक बड़ा आधार बनाने का लक्ष्य है, जो धीरे-धीरे अंगों की जरूरत में मदद कर सकता है। मृतक के अंगों को फिर से जिवित करना और अंगों की कटाई के प्रभावी साधन बनाने के तरीके बड़े पैमाने पर अंग दान के तरीके हैं। आज तक, अंग दान से संबंधित बहुत सारे अवधराणाएं हैं, लेकिन इस अभिायन को चला कर लोगों को इसके लिए जागरुक करना है।
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