हां! मैं एक भिखारी हूं, बेटी के लिए 2 साल भीख मांगकर खरीदी है फ्रॉक

एक पिता अपनी बेटी के लिए क्या कर सकता है, उसका आप सिर्फ अंदाजा लगा सकते हैं। आज हम आपको एक ऐसे पिता की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने अपनी बेटी की खुशी के लिए 2 साल तक भीख मांग कर उसके लिए नई फ्रॉक खरीदी।
यह घटना इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। यह कहानी है कौसर हुसैन की, कौसर एक हादसे में अपना दाहिना हाथ गंवा चुके हैं। अपने परिवार का पेट पालने के लिए अब उनके पास कोई रोजगार नहीं बचा था तो वह भीख मांगने लगे। एक दिन जब वह अपनी बेटी के लिए एक ड्रेस खरीदने दुकान पर गए तो दुकानदार ने उन्हें बेइज्जत करके भगा दिया। इस तरह से अपने पिता को अपमानित होता देख बेटी की आंखें भीग गईं। उसने कहा कि अब उसे कोई ड्रेस नहीं चाहिए।
इस घटना के करीब 2 साल बाद, कौसर हुसैन ने अपनी बेटी के लिए एक खूबसूरत पीले रंग की फ्रॉक खरीदी। नई फ्रॉक देख कर उनकी बेटी बहुत खुश हुई और उस पल को फोटोग्रॉफर जीएमबी आकाश ने अपने कैमरे में कैद कर लिया।
अपनी बेटी के लिए 2 साल तक पैसा बचाने के बाद ड्रेस खरीदने के अनुभव को कौसर हुसैन ने बताया जिसे फोटोग्रॉफर जीएमबी आकाश ने अपने फेसबुक वाल पर शेयर किया...
हां, मैं एक भिखारी हूं
कल मैं अपनी बेटी के लिए 2 साल बाद एक नई ड्रेस खरीद सका। 2 साल पहले मैंने जब दुकानदार को 5 रुपये के 60 नोट दिए थे तो वह मुझ पर चिल्लाया था कि क्या मैं एक भिखारी हूं? मेरी बेटी ने मेरा हाथ पकड़ा और रोते हुए दुकान से बाहर चलने को कहा। उसने कहा कि उसे कोई ड्रेस नहीं खरीदनी है।
मैंने एक हाथ से उसके आंसूं पोछे। हां, मैं एक भिखारी हूं। आज से 10 साल पहले मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन मुझे लोगों से भीख मांगकर गुजारा करना होगा। नाइट कोच पुल से गिर गया था और अविश्वसनीय रूप से मैं जिंदा था। मैं विकलांग बनने के लिए जिंदा था। मेरा छोटा बेटा मुझसे अक्सर पूछता है कि मेरा दूसरा हाथ कहां चला गया। मेरी बेटी सौम्या मुझे रोज यह कहते हुए खाना खिलाती है कि मैं जानती हूं कि एक हाथ से सारे काम करना कितना मुश्किल है।
पड़ोसी से फोन उधार लेकर खीची बेटी की फोटो
2 साल बाद मेरी बेटी ने एक नई ड्रेस पहनी है, इसलिए आज मैं उसे अपने साथ कुछ देर खेलने के लिए ले आया। हो सकता है कि मुझे आज एक भी पैसा न मिले, लेकिन मैं अपनी बच्ची के साथ समय बिताना चाहता था। मैंने पत्नी को बताए बिना अपने पड़ोसी से फोन उधार लिया। मेरी बेटी के पास कोई तस्वीर नहीं है और मैं चाहता हूं कि यह दिन उसके लिए यादगार बने। जिस दिन मेरे पास एक फोन होगा, मैं अपने बच्चों की खूब सारी तस्वीरें लूंगा। मैं अच्छी यादें बचाकर रखना चाहता हूं। बच्चों को स्कूल भेजना मेरे लिए बहुत मुश्किल है, फिर भी मैं उन्हें पढ़ा रहा हूं। कभी-कभी वे परीक्षाएं नहीं दे पाते क्योंकि उनके लिए फीस जमा करना मेरे लिए हमेशा संभव नहीं हो पाता। उन दिनों वे (बच्चे) बहुत उदास हो जाते हैं और मैं उन्हें बताता हूं कि कभी-कभी हम परीक्षाएं छोड़ सकते हैं क्योंकि जिंदगी हमारी सबसे बड़ी परीक्षा हर रोज ले रही होती है।
अब मैं भीख मांगने जाऊंगा। मैं अपनी बेटी को सिग्नल पर लगाऊंगा, जहां वह मेरा इंतजार करेगी। मैं भीख मांगते हुए कुछ दूरी से उसे देखूंगा। मैं तब शर्म महसूस करता हूं जब वह मुझे लोगों के सामने अपना एक हाथ फैलाते हुए देखती है। वह मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ती, क्योंकि वहां बड़ी गाड़ियां होती हैं। वह सोचती है कि दुर्घटना फिर से हो सकती है, ये गाड़ियां मेरे ऊपर से जाएंगी और मैं मर जाऊंगा।
जब भी मैं थोड़ा पैसा जमा कर लेता हूं, अपनी बेटी का हाथ पकड़कर घर वापस लौट जाता हूं। हम अपने तरीके से खरीदारी करते हैं और मेरी बेटी हमेशा थैला उठाती है। जब बारिश होती है तो हमें भीगना अच्छा लगता है। हमें अपने सपनों के बारे में बात करना अच्छा लगता है। जिस दिन मुझे पैसा नहीं मिलता, उसे दिन हम खामोशी के साथ घर आ जाते हैं। उन दिनों मुझे मर जाने के मन करता है, लेकिन रात को जब मेरे बच्चे मुझसे लिपटकर सो जाते हैं तो मुझे लगता है कि जिंदा रहना इतना बुरा भी नहीं है। यह बुरा तब होता है जब मेरी बेटी सिग्नल पर सिर नीचे करके मेरा इंतजार करती है, जब मैं भीख मांगते समय उसकी आंखों में नहीं देख सकता। आज का दिन कुछ अलग है क्योंकि आज मेरी बेटी बहुत खुश है। आज यह बाप भिखारी नहीं है। आज यह बाप एक राजा और यह उसकी राजकुमारी है।'
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