एक ऐसा ड्राइवर जिसने गरीबों के लिए अपने ऑटो को बना दिया एंबुलेंस

सच्चे हीरो किसी विशेष शक्ति के कारण हीरो नहीं कहे जाते बल्कि अपने असाधारण कामों के चलते हीरो होते हैं। सुनील मिश्रा भी ऐसे ही एक हीरो हैं। वैसे तो सुनील मुंबई में ऑटो चलाते हैं लेकिन इन्हें सिर्फ ऑटोवाला समझने की गलती न करें।
मुंबई की अंबुजवाड़ी की झोपड़ी में रहने वाले लोगों के लिए सुनील एक उम्मीद हैं। 10 साल की उम्र में सुनील उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से मुबंई आए थे। यही के सरकारी स्कूल से उन्होंने पढ़ाई करनी शुरू की लेकिन 12वीं में वो फेल गए और उन्होंने ऑटो चलाने का फैसला किया।
अंबुजवाड़ी बस्ती में वो पिछले 11 साल से रह रहे हैं। वह मुश्किल से अपने परिवार की जरूरतों को पूरा कर पाते हैं। परिवार में पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं। उनकी कमाई का ज्यादातर हिस्सा बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में चला जाता है और बाकी खर्चे से बचाकर कुछ वो अपने मां बाप के पास भेजते हैं। सुनील ने लोन लेकर रिक्शा खरीदा था जिसकी ईएमआई भी उन्हें भरनी पड़ती है। इतनी दिक्कतों के बाद भी सुनील दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार खड़े रहते हैं।
सुनील जिस स्लम में रहते हैं वहां एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती है, वाहनों का जाना प्रतिबंधित है। ऐसे में जब कोई बीमार होता है तो सुनील ही उनकी मदद के लिए आगे आते हैं। सुनील का ऑटो रिक्शा एंबुलेंस का भी काम करता है और इस काम के लिए वो कोई पैसा भी नही लेते। सुनील कहते हैं कि इंसान की मदद करने के लिए एक बड़ा दिल चाहिए पैसे नहीं।

अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सुनील कुमार।
लोग आधी रात भी मेरा दरवाजा खटखटाते हैं तो मैं उन्हें मना नहीं कर पाता हूं, मदद के लिए निकल पड़ता हूं।
2007 से ही सुनील कई लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाकर उनकी जिंदगी बचा चुके हैं। उन्हें अपनों के तकलीफ में होने का दर्द अच्छी तरह से पता है। सुनील एक घटना को याद कराते हुए बताते हैं कि उन्हें याद है जब उनकी मां बाइक से गिर गई थीं और उन्हें बहुत चोट आई थी। हालांकि समय पर इलाज होने से वो ठीक हो गईं लेकिन उसके बाद से मैंने ये फैसला किया कि कभी भी इस स्थिति में रहने वाले की मदद जरूर करुंगा।
उन्होंने बताया कि, लोग आधी रात भी मेरा दरवाजा खटखटाते हैं तो मैं उन्हें मना नहीं कर पाता हूं, मदद के लिए निकल पड़ता हूं। सुनील के इस निस्वार्थ सेवा भाव को देखकर औरों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।
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