पढ़िए व्हाट्सऐप के जरिए बनी सफल बिजनेस वुमेन की ये कहानी

सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम हैं, जिसके सही इस्तेमाल से आप अपनी कई प्रतिभाओं को पहचान दिला सकते हैं। यही कारण है कि शनमुगा प्रिया ने व्हाट्सऐप के जरिए अपने साड़ी के ऑनलाइन बिजनेस को पहचान दिलाई।
व्हाट्सऐप की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन वर्षों में प्रिया 400,000 डॉलर की साड़ियां बेच चुकी हैं। यही नहीं अपने बिजनेस के साथ-साथ वो दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करती हैं कि वो खुद आत्मनिर्भर कैसे बन सकती हैं। चेन्नई की रहने वाली शनमुगा व्हाट्सऐप के जरिए हर दिन करीब 50 से 80 साड़ियां बेच लेती हैं और त्यौहारों में इसकी संख्या बढ़कर 100 से ऊपर हो जाती है। साल 2017-18 के बीच प्रिया ने लगभग 2.4 करोड़ का बिजनेस किया था।
वो बताती हैं, त्योहारों के दौरान हम अच्छी कमाई कर लेते हैं। ऐसे हम 12 से 15 लाख की कमाई करते हैं लेकिन दिवाली के टाइम 22 लाख तक का बिजनेस हुआ। हमें 7 से 10 परसेंट का प्रॉफिट हर साड़ी पर होता है वहीं होलसेल में ये लगभग 7 परसेंट के आस-पास रहता है। सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम हैं, जिसके सही इस्तेमाल से आप अपनी कई प्रतिभाओं को पहचान दिला सकते हैं। यही कारण है कि शनमुगा प्रिया ने व्हाट्सऐप के जरिए अपने साड़ी के ऑनलाइन बिजनेस को पहचान दिलाई।
व्हाट्सऐप की एक रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन वर्षों में प्रिया 400,000 डॉलर की साड़ियां बेच चुकी हैं। यही नहीं अपने बिजनेस के साथ-साथ वो दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करती हैं कि वो खुद आत्मनिर्भर कैसे बन सकती हैं। चेन्नई की रहने वाली शनमुगा व्हाट्सऐप के जरिए हर दिन करीब 50 से 80 साड़ियां बेच लेती हैं और त्यौहारों में इसकी संख्या बढ़कर 100 से ऊपर हो जाती है। साल 2017-18 के बीच प्रिया ने लगभग 2.4 करोड़ का बिजनेस किया था।
वो बताती हैं, त्योहारों के दौरान हम अच्छी कमाई कर लेते हैं। ऐसे हम 12 से 15 लाख की कमाई करते हैं लेकिन दिवाली के टाइम 22 लाख तक का बिजनेस हुआ। हमें 7 से 10 परसेंट का प्रॉफिट हर साड़ी पर होता है वहीं होलसेल में ये लगभग 7 परसेंट के आस-पास रहता है।

कहां से आया ये आइडिया
ये आइडिया उनके दिमाग में तब आया जब उन्होंने ट्रायल के तौर पर 20 साड़ियां अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को व्हाट्सग्रुप के जरिए बेंची। उसके बाद प्रिया ने खुद साड़ी बनाना भी शुरू किया। धीरे धीरे वो भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में एक अच्छी सप्लायर बन गईं। उन्होंने अपनी छोटी सी कंपनी शुरू कर दी जिसमें कुछ कर्मचारी हैं। दो लोग अपनी डिजाइन के हिसाब से साड़ियां बनाते हैं। शनमुगा बताती हैं, मैं पिछले कुछ सालों में सीखा है कि किस रंग और डिजाइन की साड़ियां ज्यादा बिकती हैं। मेरा फोकस अच्छी क्वालिटी व कलर पर रहता है जिससे ग्राहकों का भरोसा बना रहे।
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शुरुआत में आईं दिक्कतें लेकिन नहीं मानी हार
प्रिया बताती हैं, “मैंने ये अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के ग्रुप से शुरू किया और फिर प्रचार के चलते मेरे पास अधिक लोग जानकारी के लिए आने लगे। इसके बाद मैंने व्हाट्सएप विक्रेताओं के लिए एक फेसबुक पेज भी शुरू किया। मेरा ये आइडिया हिट हो गया और आज इस पर 70,000 से भी अधिक विक्रेता मौजूद हैं। शनमुगा कहती हैं, शुरुआत में मुझे बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। यहां तक कि अपनी मां से मिलने जाते समय भी मैं अपने बच्चे के साथ साड़ियों से भरा थैला लेकर जाती थी। लोग अक्सर मुझसे पूछते थे कि मैं ऐसा क्यों कर रही हूं। लेकिन जब धीरे-धीरे काम आगे बढ़ने लगा तो सबने पूछना बंद कर दिया। अब वो मुझसे राय लेते थे कि कैसे वो अपना बिजनेस शुरू कर सकते हैं।
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