नए तरीके अपनाकर बच्चों के मन से पढ़ाई के डर को दूर कर रहीं ये महिला शिक्षिकाएं

सरकारी स्कूलों में तमाम योजनाओं के बाद भी लोगों का रुझान निजी स्कूलों की तरफ ज्यादा है। इसका कारण शिक्षा में गुणवत्ता की कमी होना है। लेकिन हरियाणा शिक्षा विभाग इस ओर प्रयास कर रहा है और धीरे-धीरे इसका असर भी दिख रहा है। इस मुहिम में शोभा कंवर और रेहाना चिश्ती जैसी दो शिक्षिकाएं भी अहम भूमिका निभा रही हैं।
ये शिक्षिकाएं बच्चों को सिर्फ पढ़ाती ही नहीं, गणित और पेंटिंग के नए-नए इनोवेशन करके उन्हें बड़ी आसानी से पढ़ाई से याद करा देती हैं। अगले महीने इन दोनों महिला टीचरों का कुरुक्षेत्र में सम्मनित किया जाएगा।
राज्य में पिछले पांच वर्षों में करीब 5.94 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूलों से अपना नाम कटा लिया है। इसके तहत वर्ष 2012-13 में जहां सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं कक्षा तक कुल 27.29 लाख बच्चे थे, वहीं यह आंकड़ा 2016-17 में 21.34 लाख पर सिमट गया। वर्ष 2015-16 में ही पौने चार लाख से अधिक बच्चे सरकारी स्कूलों को अलविदा कर गए। बच्चों का पलायन रोकने के लिए शिक्षा विभाग ने सर्व शिक्षा अभियान, एसएसए और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के सहयोग से प्लान तैयार किया। स्मार्ट क्लास, ज्वायफुल डे, अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई, लर्निंग लेवल टेस्ट सहित कई कदम उठाए गए।
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ऐसी सिखाती हैं बच्चों को नए पाठ
हरियाणा के बरूंधन सीनियर सेकेंडरी स्कूल की शिक्षिका शोभा कंवर ने योर स्टोरी को बताया कि मैं बच्चों को पढ़ाती नहीं, सिखाती हूं। शोभा ने बच्चों को 33 जिलों के नाम चुटकियों में याद करा दिए हैं। सात साल पहले उन्होंने लैपटॉप से पढ़ाना शुरू कर दिया था और गीतों के माध्यम से गिनती-पहाड़े-गणित के कठिन सवालों चुटकियों में हल करना सिखा देती हैं। चित्र देखकर छोटे बच्चे पशु पक्षियों व जानवरों के नाम याद कर लेते हैं।
फरवरी में मिलेगा सम्मान
वहीं मिडिल स्कूल की शिक्षिका रेहाना चिश्ती को लोग नेशनल मोटिवेटर कहते हैं। इन दोनों शिक्षिकाओं का लक्ष्य है कि निजी स्कूलों से बेहतर शिक्षा सरकारी स्कूल में मिले। इसके लिए वे नए प्रयोग करती रही हैं। स्कूल में बच्चों को अच्छा माहौल देकर पढ़ाने की मिसाल बनीं दोनों शिक्षिकाएं हरियाणा के कुरुक्षेत्र में दो और तीन फरवरी को सम्मानित की जाएंगी। दोनों शिक्षिकाएं 15 राज्यों से आने वाले शिक्षकों के बीच अपने पढ़ाने के तरीकों को भी शेयर करेंगी।
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