पढ़िए कैसे राजस्थान का ये किसान औषधीय खेती के जरिए कमा लेता है लाखों रुपए
राजस्थान खेती के नए-नए आविष्कारों और तकनीकों का इस्तेमाल करने के लिए जाना जाता है। यहां के किसानों ने पिछले कुछ सालों में परंपरागत खेती को छोड़कर नई फसलों के तरफ रूख किया है जिसमें औषधीय खेती का रकबा सबसे ज्यादा बढ़ा है। इन्हीं किसानों में शामिल हैं राजस्थान के राजपुरा गांव में रहने वाले राकेश चौधरी। राकेश युवा किसान हैं और जड़ीबूटियों की खेती से न केवल अच्छी कमाई कर रहे हैं, बल्कि दूसरों किसानों के लिए प्रेरणा भी बन रहे हैं।
राकेश को जड़ीबूटी की खेती में अच्छा काम करते देख आयुष मंत्रालय ने उन्हें नेशनल मेडिसिनल प्लांट्स बोर्ड में सदस्य भी बनाया है। राकेश के यहां शुरू से खेती होती थी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने खेती की तरफ रुख किया। राकेश बताते हैं कि जब वह पढ़ाई कर रहे थे, तब वे डॉ. गोपाल चौधरी से मिले थे। गोपाल किसानों को औषधीय पौधों की जानकारी देते थे और इच्छुक किसानों को सरकारी अनुदान भी दिलवाते हैं। डॉ. गोपाल चौधरी की बातों से प्रभावित होकर राकेश चौधरी ने जयपुर स्थित मेडिसिनल प्लांट बोर्ड में अपना रजिस्ट्रेशन करा लिया। राकेश के साथ कई साथी किसानों ने भी उनका रजिस्ट्रेशन कराया।
शुरुआत नहीं थी आसान
राकेश ने 2005 में औषधीय पौधों की खेती शुरू की लेकिन अभी उन्हें इस बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं थी। उन्होंने पहले अपने खेतों में कलिहारी, सफेद मूसली और स्टीविया लगाया। राकेश बताते हैं कि ये तीनों ही चीजें उनके इलाके के हिसाब से सही नहीं थी लेकिन कम जानकारी के चलते मैंने यही फसलें यहां लगा दीं। नतीजा पूरी फसल खराब हो गई।
कृषि वैज्ञानिकों का मिला सहारा
खेती में घाटा होने के बाद राकेश कृषि वैज्ञानिकों से मिले। उन्होंने बताया कि उनके इलाके में मुलेठी की अच्छी पैदावार हो सकती है। फसल की पूरी जानकारी लेने के बाद राकेश ने मुलेठी की खेती शुरू की। वैज्ञानिक तरीके और पूरी जानकारी के बाद खेती से पैदावार अच्छी हुई। वैज्ञानिकों की ही देखरेख में उन्होंने पहली बार मुलेठी की कटाई और प्रोसेसिंग की फिर बाजार में जाकर बेचा। राकेश ने बताया कि लोगों के दिमाग में यही बात बैठी थी कि खेती से रोटी तो खाई जा सकती है लेकिन मुनाफा नहीं कमाया जा सकता है। मैंने उनकी इस भ्रांति को तोड़ दिया।
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बेहतर प्लानिंग के जरिए मिला अच्छा बाजार
सफल होने पर राकेश ने पूरा प्लान बनाया कि कैसे वो अपने साथी किसानों की फसलों को खरीदकर आगे फार्मेसियों को बेचेंगे। इसके लिए उन्होंने एलोवेरा की खेती को चुना। राकेश ने 62 किसानों को अपने ग्रुप में जोड़ा और एलोवेरा की खेती शुरू की। इसके लिए उन्हें कृषि विभाग से अनुदान भी मिला। इसी तरह राकेश ने आंवले की खेती और उसकी प्रोसेसिंग का प्लान तैयार किया। राकेश ने अपने प्रोडेक्ट को बेचने के लिए बाबा रामदेव की दिव्य योग फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद से संपर्क किया और उनको भी माल सप्लाई किया इसके अलावा राकेश ने हिमालय, एम्ब्रोसिया, गुरुकुल फार्मेसी में भी पैठ बनाकर उन्हें माल सप्लाई किया।
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