जानिए कैसे गाँव में पढ़ने वाले इस युवा ने बना डाले ढेरों मोबाइल ऐप

कहते हैं कुछ कर गुजरने की अगर चाह हो तो कोई भी रास्ता नहीं रोक सकता। सीमित संसाधनों में भी हुनर अपनी पहचान बना ही लेता है। ऐसी ही कुछ कहानी है राजस्थान के अलवर जिले के छोटे से गाँव के रहने वाले राहिल मोहम्मद 12वीं के छात्र हैं और इतनी कम उम्र में उन्होंने कई सारे ऐप डेवलप कर दिए हैं।
राहिल ने किसी बड़े कॉलेज से न तो ट्रेनिंग ले रहे हैं और न ही ऐसा कोई कोर्स किया है बल्कि उन्होंने अपनी खुद की मेहनत से इतने ऐप बनाए कि उनका नाम देश के सबसे युवा डेवलपर्स में शुमार किया जाता है। राहिल एक ग्रामीण परिवार से हैं, उनके पिता बसरुदीन खान टीचर हैं और माता गृहिणी हैं। राहिल ने एक इंटरव्यू में बताया, 'आज मैं भले ही एक ऐप डेवलपर के तौर पर पहचाना जाता हूँ, पर कुछ साल पहले तक मुझे ये भी नहीं पता था कि ऐप होते क्या हैं? आज मैं आपको यही बताने आया हूँ कि वो लड़का जिसे कभी ऐप के बारे में भी नहीं पता था वो कैसे एक ऐप डेवलपर बन गया।
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उन्होंने आगे बताया कि एक दिन घर में टीवी चल रहा था और मैं किताब पढ़ रहा था। टीवी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का कुछ कह रहे थे। तभी वो अचानक अलवर का नाम लेते हैं और अलवर का नाम सुनते ही मेरे भी कान खड़े हो जाते हैं। पीएम आगे कहते हैं कि राजस्थान के अलवर में इमरान नाम का एक लड़का है, जो आप ही लोगों का हम उम्र का है, पर इसी हम उम्र के लड़के ने गांव में रह कर ऐसी-ऐसी Apps बनाई है, जिसे दुनियाभर के लोग देख रहे हैं, मेरा हिन्दुस्तान ऐसे ही इमरानों के बीच बसता है।' और वही दिन था जब मैंने भी ठान ली कि कुछ ऐसा कर दिखाऊंगा। उस वक्त मैं दसवीं में था और ये ऐप क्या होते हैं ये भी नहीं जानता था न ही मेरे घर के आस-पास कोई इंस्टीट्यूट था जहां से मैं ये सब सीख सकता। वे कहते हैं, 'मुझे एक चीज अच्छे से पता थी कि गांव में कोई मुझे इसके बारे में नहीं बता सकता, तो मुझे खुद ही सीखना पड़ेगा। मेरे दिमाग में हमेशा एक ही चीज सवार थी कि कैसे भी हो ऐप बनानी है मुझे कुछ नहीं पता था कि कैसे बनानी है, बस दिल में यह था कि यह बनाना है।
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गूगल ने की मदद
राहिल ने सबसे पहला अपना ब्लॉग बनाया और कोडिंग के जरिए उसे खुद डिजाइन किया। उनकी वेबसाइट अच्छे से डिजाइन हो गई थी और अच्छी भी लग रही थी। इससे राहिल का आत्मविश्वास और मजबूत हो गया। राहिल कहते हैं कि आप अपना रास्ता खुद चुनते हैं और आपको खुद ही आगे बढ़ना होता है। लोग आपको यह तो बता सकते हैं कि यह रास्ता है, पर इस पर आगे कैसे बढ़ना है। वह आपको खुद तय करना होता।
राहिल के घरवालों को नहीं पता था कि वो ऐप बनाने में लगे हैं। वे कहते हैं, 'मैं घरवालों से भी मैं नहीं कह सकता था, क्योंकि इसके बारे में उन्हें भी कोई जानकारी नहीं थी। मैं चाहता था कि मैं अपने पापा से बात करूं पर मैं उन्हें क्या बताता कि मैं क्या कर रहा हूं और क्यों कर रहा हूं? फिर भी मैं ये करना चाहता था। मैंने धीरे-धीरे करके कैसे जोड़ना शुरू किया और 6 महीने तक अपने खर्चों में कटौती करके एक लैपटॉप लिया, जिसमें मैं अपने सारे काम कर सकता था।' मैंने एंड्रॉयड स्टूडियो पर काम करना शुरू किया और पहली हिंदी ग्रामर ऐप बनाई।
अब तक 12 ऐप बना चुके हैं
अब इस ऐप को कैसे और कहां डालना है ये पूछने के लिए मैं इमरान भाई की मदद ली जिनके बारे में मोदी जी से सुना था। इमरान भाई ने मेरे काम की तारीफ की और मेरे हौसले को बढ़ाया। उन्होंने मुझे बताया कि ऐप को प्ले स्टोर पर कैसे डालना है। जिस वक्त मैंने पहला ऐप लाइव किया उस वक्त मेरी उम्र 16 थी और मैं 11 क्लास में पढ़ रहा था। मेरे इस ऐप को लोगों का अच्छा रेस्पॉन्स मिला और मुझे भी आगे काम करने के लिए मोटिवेशन मिला। इसके बाद राहिल ने और ऐप बनाने के बारे में सोचा, जो असल में लोगों के काम आ सकें। राहिल ने एक के बाद एक 12 ऐप बना डाले। इस समय राहिल ऐसी वेबसाइट बनाने में लगे हैं जिसपर गरीब बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी फ्री में कर सकें।
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