इस महिला से सीखिए असल मायने में पशुप्रेम करना

कहते हैं प्रेम की भाषा हर कोई समझता है फिर वो जानवर ही क्यों न हो। बेजुबान जानवरों पर आए दिन क्रूरता की खबरें आती रहती हैं लेकिन इन सबके बीच ऐसे भी कई लोग हैं जिनका पशुप्रेम सबसे बढ़कर है।
पशु प्रेमी मीनल कविश्वर के घर में कभी कोई जानवर नहीं थे लेकिन इसके बावजूद पशुओं के प्रति उनका प्रेम धीरे-धीरे बढ़ता गया। मीनल जिस बिल्डिंग में रहती थीं वहां के आस-पास के जानवरों का पूरा ख्याल रखती थीं। मीनल बताती हैं, आस-पास के जानवरों के प्रति मुझे इतना स्नेह होता गया कि मुझे वो परिवार की तरह लगने लगे। उन्हें तकलीफ में देखकर मुझे दुख होता था। धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि उनकी मदद से मैं और लोगों के लिए कुछ बेहतर कर सकती हूं।
आज मीनल अमेरिका की नॉर्थ टेक्सस यूनिवर्सिटी और वहां की डेल्टा सोसाइटी से प्रशिक्षण प्राप्त थेरैपिस्ट हैं, जो पशुओं की मदद से उपचार करती हैं। मीनल को पता था कि पालतू जानवरों में एक अलग तरह की उपचार क्षमता होती है और उन्होंने इसी का इस्तेमाल करके लोगों का इलाज करना शुरू किया।
कई बीमारियों में कारगर है पशु आधारित थेरेपी
इस थेरेपी से कई बच्चों, बुजुर्गों व वयस्कों का इलाज किया। ये थेरेपी कैंसर, तनाव व पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्ऑर्डर झेल रहे मरीजों के लिए काफी असरदार साबित हुई है।
मीनल बताती हैं, पहले मैंने जानवरों के बारे में काफी रिसर्च की। मैंने भारत की सबसे पहली कैनाइन काउंसलर्स में से एक, क्षितिजा कोप्पल के साथ काम किया। मुझे पहला चांस वर्ष 2003 में एक स्पेशल किड्स स्कूल में एक कुत्ते को प्रशिक्षित करने के साथ मिला। वह बताती हैं,‘‘मैंने इस काम को बखूबी किया, बच्चों की ज़रूरतों को समझने के लिए कुत्ते को पूरी तरह ट्रेनिंग दी। जब अचानक से बच्चे रोना शुरू कर देते थे तो कुत्ता उनको चुप कैसे उन्हें चुप कराता था। इससे काफी कम समय में बच्चों के व्यवहार में बदलाव दिखाई दिया। काफी बच्चे जिन्हें चलने में परेशानी होती थी वो अब सही तरीके से चल पा रहे थे।
पशुओं पर आधारित थेरैपी के बारे में मीनल बताती हैं,‘‘जानवर बिना शर्त प्यार करते हैं। इस कारण लोग उनके साथ ज़्यादा आसानी से जुड़ जाते हैं। फ़िज़ियोथेरैपी कराने से इनकार करने वाले बच्चे ख़ुशी-ख़ुशी कुत्ते के बालों को बार-बार सहलाने के लिए तैयार हो जाते थे और ऐसा करने से उनके हाथ-पैरों में एक्टिविटी होती थी जिससे उनमें सुधार होने लगा।
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जानवर सिखाते हैं बिना शर्त के प्यार करना
मीनल ने अपने इस काम को बढ़ाने के लिए पुणे में एक एनजीओ एनिमल ऐन्ल्स फ़ाउंडेशन की नींव में रखी। इसकी मदद से उन्होंने उन लोगों तक पहुंचने का प्रयास किया, जो पारंपरिक थेरैपी का फायदा नहीं उठा पाए थे या इसके बारे में नहीं जानते थे। कुत्तों के अलावा, उनका एनजीओ खरगोश, बिल्लियों और मछलियों की मदद से भी इलाज करता है।
आज मीनल के पास छह थेरैपिस्ट और 40 थेरैपी डॉग्स की टीम है, जो मुंबई, पुणे और बंगलौर में काम कर रही है। वह लोगों को इस थेरेपी की जानकारी देती है और वर्कशॉप भी कराती है जिससे उन लोगों को फायदा हो जिनके घरों में जानवर पले हैं। मीनल का मानना है कि आज भी जानवर ही सबसे अच्छे टीचर हैं। उन्होंने मुझे किसी भी किताब या कोर्स से कहीं ज़्यादा सिखाया है। उनसे ही मैंने बिना शर्त प्यार करना भी सीखा है।

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