पढ़िए, महाराष्ट्र के इस वाॅटरमैन की कहानी, जो लातूर में लाया हरियाली

मराठवाड़ा के हालतों से हम सभी वाकिफ है, यहां पर सूखे की वजह से किसानों का क्या दर्द है यह किसी से छिपा नहीं है। हमेशा ही सुर्खियों में रहने वाले जिलो में शामिल मराठवाड़ा का लातूर जिला अब जल संचयन के लिए भी जाना जाने लगा है। लातूर की तस्वीर बदलने की कवायद 2013 में शुरू की गई थी और अब यह शुरुआत जन अभियान में बदल गई है। लातूर को सूखे से उभारने की शुरुआत महादेव गोमारे ने की थी। 2013 में शुरू हुए 'जल जागृति अभियान- जल युक्त लातूर' का यह असर रहा कि अब यहां के गांवों में हरियाली आ गई हैं और जलस्तर भी काफी बढ़ा है।
2013 में शुरू किया था जागरूकता अभियान
लातूर के बदलते हालतों को देखते हुए महादेव गोमारे और मार्कंड जाधव ने 2013 में मुहिम शुरू की थी। गोमारे लोगों को जागरूक करने के लिए गांव-गांव निकल पड़े। 2013 में उन्होंने लातूर शहर में लगभग 3,000 घरों में जाकर लोगों से संपर्क किया। जब वह गांव-गांव जाकर लोगों से मिलते थे, तो कुछ लोग उनके साथ तैयार होते थे। उनके इस अभियान पर कुछ लोक शक भी कर रहे थे। गोमारे ने इसके बाद भी हार नहीं मानी और वह लोगों को जागरूक करने के लिए लगे रहे। गोमारे लोगों को जल संचयन से होने वाले फायदे के बारे में बताते और कुछ उदाहरण भी देते थे, जिससे की लोग प्रेरणा लेकर उनके साथ आ सकें। आखिरकार लातूर के लोगों का उन्हें साथ मिला और वह जल संचयन कराने में कामयाब भी रहे।
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मंजीरा नदी जिंदा करने में जुटे लोग
लातूर के लोगों की लाइफलाइन कही जाने वाली मंजीरा नदी को सहजने में जुटे हुए है। मंजीरा नदी का बहाव तेज करने के लिए 'जल जागृति अभियान- जल युक्त लातूर' अभियान शुरू किया गया। इसका असर यह रहा कि मंजीरा नदी दोबारा जीवित हो गई। यह मुहिम आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के अनुयायी महादेव गोमारे और मार्कंड जाधव ने की। दोनों ने बेंगलुरु में एक कैंप के दौरान मराठवाड़ा के सरपंचों को इसके लिए राजी किया। आखिरकार अब इसका असर दिख रहा है। गोमारे बताते हैं कि बेंगलुरु कैंप में एक्सपर्ट्स ने पानी की समस्या सुलझाने के बारे में बात की। इसके बाद हम लोग समस्या को सुलझाने में लगे, लेकिन लोग हमारे अभियान पर शक करने लगे।
गोमारे बताते है कि लोगों के शक के बाद भी हमने हार नहीं मानी। हमने फैसला किया कि गुरु जी की योजना को कम से कम तीन गांवों में जरूर लागू करेंगे।' गोमारे ने बताया कि मंजीरा नदी सूखने न पाए इसके लिए आर्ट ऑफ लिविंग और लोगों ने नदी को दोबारा जिंदा करने की ठानी है। श्री श्री रविशंकर ने एक करोड़ रुपये फंड भी दिया। इसके अलावा यूनियन्स और होटलों ने भी पैसे दिए। लिविंग से जुड़े हुए लोगों ने श्रमदान करने का प्रस्ताव भी रखा। वह बताते हैं कि अब मंजीरा नदी के अलावा सहायक नदियों का भी कायाकल्प हो रहा है।
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अभियान से यह हुआ फायदा

ग्रामीणों की तरफ से अभियान चलाने का यह फायदा हुआ कि अब साई बैराज से लेकर 18 किलोमीटर तक के दायरे की सफाई करना और इसकी क्षमता को 18.5 घनमीटर बढ़ाना था। बता दें कि लातूर को हर साल 18.25 घनमीटर पानी की जरूरत पड़ती है। इसको लेकर यह योजना है कि नदी से 45 लाख घनमीटर बालू और गाद निकाला जाएगा। इस अभियान का यह फायदा हुआ कि इस भूमि जलस्तर बढ़ा है बोरवेल और कुंओं का पानी भी बढ़ा। लातूर में अब पानी का जल स्तर बढ़ने से यहां के लोगों को काफी फायदा हुआ है। कभी सूखे से जूझने वाली लातूर की धरती पर अब हरियाली से लहरा रही है। महादेव गोमारे और मार्कंड जाधव की मुहिम का असर रहा है कि अब लातूर सहित अन्य कई जिलों में गांवों में 50 से अधिक छोटे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। यही नहीं अब लातूर खाद्यान्न के मामले में अव्वल बन गया है।
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