लावारिस मरीजों की 26 साल से सेवा कर रहे पटना के गुरमीत सिंह

अगर आप पटना के मेडिकल कॉलेज जाएंगे तो रात में आपको लावारिस मरीजों को खाना खिलाता हुआ एक शख्स मिलेगा। यह शख्स आज से बल्कि पिछले 26 सालों से लावारिस मरीजों को अपने पैसे से भोजन खिला रहा है। बिहार की राजधानी के मेडिकल कॉलेज में लावारिस मरीजों को भोजन और दवाईयां उपलब्ध कराने वाला शख्स और कोई नहीं बल्कि गुरमीत सिंह है। गुरमीत सिंह पिछले 26 साल से ऐसे मरीजों के मुखिया हैं जिनको अपनों ने छोड़ दिया। उनको गुरमीत सिंह ने अपना लिया है। वह रोज ऐसे मरीजों को खाना खिलाते आ रहे हैं। गुरमीत सिंह की बीते दिनों सोशल मीडिया पर एक बेसहारा वृद्धा महिला को भोजन कराते हुए फोटो वायरल हुई। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीर की काफी तारीफ की गई।
कमाई का 10 प्रतिशत खर्च करते हैं गुरमीत
गुरमीत की पटना में कपड़े की दुकान है और वह पूरे दिन जितनी भी कमाई करते हैं उसका वह 10 प्रतिशत मरीजों पर खर्च कर देते हैं। गुरमीत ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि मैं अपनी कमाई का 10 प्रतिशत मरीजों को खाना खिलाने में लगाता हूं। वह कहते हैं कि मंदिरों में खाना देने का कोई फायदा नहीं है। मुझे अपने हाथों से गरीबों को खाना खिलाना बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने बताया कि इस नेककाम में उनकी मदद उनका परिवार करता है। उनके भाई इस काम में मदद करते हैं। वह दाल, चावल, दही, अंडे और सब्जी मरीजों को खिलाते हैं। वह ऐसे मरीजों के लिए भगवान समान है जिनका कोई अपना नहीं है। गुरमीत प्रतिदिन रात में 9 बजे के आसपास अस्पताल पहुंचते और ऐसे लोगों को खाना खिलाते हैं। यहां पर ऐसे मरीजों को पता भी है कि गुरमीत एक दिन भी आना नहीं भूलते हैं। मरीजों का कहना है कि गुरमीत जी रोज स्वादिष्ट खाना बनाकर लाते हैं।
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आसान नहीं रहा समाजसेवा का सफर
गुरमीत सिंह की समाजसेवा से लोगों को परेशानी भी हुई। जिसका नतीजा रहा कि अस्पताल प्रशासन ने उन्हें एक नहीं बल्कि दो-दो बार अस्पताल में घुसने से मना कर दिया था। दोनों ही बार उन्होंने जिलाधिकारी के दर पर जाकर दरवाजा खटखटाया। आखिरकार गुरमीत सिंह की जीत हुई और जिलाधिकारी के दखल के बाद उन्हें अस्पताल में दखल मिला। अच्छा काम करने पर उनके ऊपर कई आरोप भी लगे, लेकिन वे निस्वार्थ समाजसेवा में लगे रहे।
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गुरमीत को मिला इस वर्ष यह सम्मान
निस्वार्थ उनकी सेवा का सम्मान इस वर्ष उनके वर्ग से से मिला। उन्हें गुरमीत सिंह को इस साल के विश्व सिख अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार लंदन स्थित संस्था द सिख डायरेक्टरी की 'सिख्स इन सेवा' कैटिगरी के तहत लगभग 100 से ज्यादा लोगों के आवेदन आए थे। इनमें से गुरमीत सिंह को विजेता चुना गया है। उन्हें यह पुरस्कार 19 नंवबर को लंदन में दिया गया। गुरमीत सिंह पिछले 20 सालों से भी अधिक समय से बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल (PMCH) में मरीजों को खाना खिलाते हैं।
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जरूरतमदों को रक्तदान करते हैं गुरमीत
गुरमीत सिंह लावारिस लोगों की सेवा के अलावा मेडिकल कॉलेज में जरूरतमदों को रक्त भी देते हैं। रक्तदान सिर्फ वहीं अकेले नहीं करते हैं बल्कि इसमें उनकी मदद उनका पूरा परिवार करता है। गुरमीत सिंह ने बताया कि रक्त करने के लिए अब डॉक्टरों ने मना कर दिया है क्योंकि मेरा स्वास्थ्य खराब रहता है। अब मेरे बेटे और रिश्तेदार जरूरतमंद मरीजों को दान करते हैं। उन्होंने बताया कि कभी-कभी जब 'ए' ग्रुप के मरीजों को इमरजेंसी में जरूरत पड़ती है तो फिर मैं भी देने जाता हूं।
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