उत्तराखंड में कुछ इस तरह शिक्षा की अलख जगा रही शिक्षिका अनीता नौटियाल
उत्तराखंड का नाम आते ही सभी को हसीन वादियों की याद आने लगती है। सभी का मन पहाड़ों पर घूमने के लिए करने लगता है। लेकिन यही वादियां स्थानीय लोगों के लिए प्रवास का कारण बन गई है। पहाड़ पर सैकड़ों गांव विरान हो गए है। विरान होते पहाड़ों का असर यहां की शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ा है। कुमाऊं और गढ़वाल मण्डल के 700 सरकारी स्कूलों को उत्तराखंड सरकार ने बंद कर दिया है। इन स्कूलों के बंद होने का कारण यहां पर छात्रों की संख्या दस से कम होना है। 390 सरकारी स्कूल इसी सत्र में बंद किए गए है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही मंडलों के सरकारी स्कूलों में घटती संख्या पर 2340 स्कूलों को बंद करने पर सरकार विचार कर रही है। उत्तराखंड में एक तरफ लगातार स्कूल बंद हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ यहां शिक्षाविद् अनीता नौटियाल पहाड़ पर शिक्षा की अलख जगा रही है। शिक्षा गुणवत्ता के साथ ही जीवन कौशल के कार्यक्रम चलाकर प्रत्येक छात्र के दिल को छूने की कोशिश की है। लॉजिकल इंडियन से बात करते हुए अनीता नौटियाल ने बताया कि वह टेहरी गढ़वाल जिले के एक स्कूल में कार्यक्रम चला रही है। शहरी और ग्रामीण बच्चों के शैक्षिक अंतर को कम करने के लिए उन्होंने संस्था को नाम दिया है "आनंद वाटिका ग्रीन गुरुकुलम"। वह जिस विद्यालय में पढ़ा रही है वह 18 अगस्त 2016 को टेहरी गढ़वाल में स्थापित की गई थी।
स्कूल टाइम के बाद चलती है स्पेशल क्लॉस
विद्यालय में छात्रों को आर्कषित करने के लिए उन्होंने कई पहल शुरू की। अनीता नौटियाल कहती है कि सरकारी स्कूल में छात्रों को गुणवत्ता परख शिक्षा नहीं मिल रही थी। इस समस्या से लड़ने के लिए उन्होंने अपने विद्यालय को अंग्रेजी माध्यम में करने की योजना बनाई, लेकिन जल्द ही उनकी यह योजना बदल गई क्योंकि राज्य सरकार भी सरकारी स्कूलों को अंग्रेजी मीडियम करने जा रही थी। इसके बाद उन्होंने स्कूल में ही कुछ अलग करने का प्लान किया। संस्था में कौशल विकास आधारित ज्ञान देने के बारे में योजना बनी। इस योजना पर काम करने के लिए शिक्षक स्वयं ही स्वयंसेवक बन गए। अनीता के अनुसार इस समय उनके पास बड़ी संख्या में शिक्षक है। जिसमें देश और विदेश के शिक्षक है जो कि छात्रों को पढ़ाने के लिए आते हैं।
उन्होंने बताया कि इस समय हमारे तीन स्थानों पर केंद्र चल रहे हैं और यहां 100 छात्र कौशल विकास के बारे में सीख रहे हैं। अनीता ने बताया कि स्कूल के बाद चलने वाली कक्षाएं शाम को 4 से 7 बजे तक और सर्दियों में 4 से 5:30 बजे तक चलती है। उन्होंने बताया कि हमारे यहां पर आने वाले शिक्षकों में ज्यादातर बच्चे सरकारी या फिर सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ते हैं। अनीता कहती है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर भी आते हैं, उन्होंने छात्रों को कंप्यूटर शिक्षा के बारे में विस्तार से बताया है।
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छात्रों के जीवन में आने लगा सुधार
सभी फोटो साभार 'द लॉजिकल इंडियन'
अनीता की माने तो संस्थान की वृद्धि धीमी रही है लेकिन स्थानीय शिक्षकों ने हमारा विरोध किया। उन्होंने बताया कि कक्षाओं में भाग लेने वाले बच्चों के बीच में विकास असाधारण रहा है। उन्होंने बताया कि छात्रों में सुधार देखने को मिला है। अब छात्रों के व्यक्तित्व और अंग्रेजी भाषा में सुधार होने लगा है। अनीता नौटियाल बताती है कि पहले हमारा विरोध हुआ था, लेकिन अब धीरे-धीरे सुधार होने लगा है। उन्होंने बताया कि अब कई स्कूलों के शिक्षकों व अधिकारियों का समर्थन प्राप्त हुआ लेकिन पूर्ण परिणामों के नतीजों को हासिल करने में नाकाम रहे। उन्होंने बताया कि मेरे कार्यक्रम की आलोचना भी हुई, लेकिन हमारा ध्येय बच्चों के साथ ही साथ सरकारी स्कूलों में बेहतर शिक्षा देने का भी रहा है। अब ग्रीन गुरुकुलम के बैनर तले एक ट्रस्ट स्थापित किया गया है जिसके तहत स्कूल दान के लिए ज्यादातर वित्त पोषण दान से ही आता है। पहाड़ में चल रहे उनके कार्यक्रम की तारीफ हो रही है।
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