92 साल की डॉक्टर को मिला पद्म श्री अवार्ड, इनकी कहानी जानते हैं आप...

गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले सरकार ने पद्म पुरस्कारों का ऐलान किया। 89 पद्म पुरस्कारों में से 7 लोगों को पद्म विभूषण, 7 को पद्म भूषण और 75 को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। इनमें 15 आम लोग भी शामिल हैं, जो निजी तौर पर समाज को बेहतर बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इन्हीं में शामिल हैं इंदौर की रहने वाली 92 साल की डॉक्टर दादी। आज हम आपको उनकी कहानी बताएंगे....
ये है डॉ. भक्ति यादव की कहानी
आमतौर पर ऐसा कहा जाता है कि डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं, वो शायद इसलिए क्योंकि वो आपके जीवन की रक्षा उस समय करता है जब आपके हाथ में कुछ नहीं होता। खैर हम यहां एक ऐसे डॉक्टर की बात कर रहे हैं जो अपने पेशे को सेवा भाव से किए जा रही हैं और वो भी मुफ्त में! जी हां, और यही नहीं वो ये काम 92 साल की उम्र में भी उसी शिद्दत से कर रही हैं जैसा वो 1948 में कर रही थीं।
प्रसव कराने के लिए कभी पैसे नहीं लिए
बात हो रही है इंदौर की पहली महिला डॉक्टर भक्ति यादव की, डॉ. भक्ति स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं और इंदौर की पहली महिला डॉक्टर हैं। वे वर्ष 1948 से ही मरीजों का बिना फीस के इलाज कर रही हैं। डॉ. भक्ति यादव के चेहरे पर झुर्रियां हैं, हाथ कांपते हैं और चलने फिरने में भी परेशानी होती है, फिर भी रोज क्लिनिक टाइम से पहुंचती हैं और मरीजों का इलाज करती हैं। अपने पूरे करियर में उन्होंने कभी भी प्रसव कराने के लिए पैसे नहीं लिए हैं।

अपने बैच में अकेली महिला स्टूडेंट
डॉ. भक्ति यादव वर्ष 1952 में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पहले बैच की स्टूडेंट थीं और उस समय उनके बैच में वे अकेली महिला थीं। उनसे इलाज करवाने के लिए गुजरात और यहां तक कि राजस्थान से भी महिलाएं जाती हैं। डॉ. यादव की यही इच्छा है कि वे अपनी अंतिम सांस तक इसी तरह मानवता की सेवा करती रहें।
हालांकि भक्ति आज के दौर के डॉक्टरों के रवैये से काफी दुखी हैं। उन्हें लगता है कि वे अपने मरीजों से दिल से नहीं जुड़ते और अपने काम को सिर्फ पेशे के तौर पर देखते हैं। भक्ति का मानना है कि मरीज के साथ दिल से जुड़ना बहुत जरूरी है।
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