'सड़क का डॉक्टर' नाम से मशहूर है 66 वर्ष के यह बुजुर्ग, 6 साल से भर रहे सड़कों के गड्ढे

हैदराबाद में एक बुजुर्ग की काफी तारीफ हो रही है और हो भी क्यों न इस 66 वर्षीय व्यक्ति ने लोगों की भलाई के लिए इतना अच्छा अभियान जो चलाया हुआ है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस बुजुर्ग ने सड़कों के गड्ढे भरने का बीड़ा उठाया है। 66 वर्षीय इस बुजुर्ग ने अब तक 6 वर्ष में करीब 1,124 गड्ढों को भर चुके हैं।
हम बात कर रहे हैं हैदराबाद के येर्नाद्यूम गांव के एक किसान परिवार में जन्मे गंगाधर तिलक कटनम की। सदर्न रेलवे के वरिष्ठ इंजीनियर पद से रिटायर हो चुके तिलक 31 जुलाई, 2011 से जहां कहीं भी राज्य में सफर करते हुए सड़कों पर हुए गड्ढों को देखते हैं तो वे तुरंत उसे भरने का काम शुरु कर देते है ताकि उस गड्ढे के कारण कोई हादसा न हो पाए। एक आधिकारिक बेवसाइट के अनुसार तिलक अपनी पेंशन से अभीतक करीब 1,124 गड्ढों को भर चुके है। लोग तिलक को रोड डॉक्टर के नाम संबोधित करते है।
अपने जीवन के बारे में बात करते हुए तिलक ने बताया कि रेलवे में नौकरी करने के बाद साल 2008 में वे रिटायर हो गए थे। इसके बाद वे कुछ समय तक घर रहे और फिर वे अमेरिका अपने बेटे के पास चले गए। 2010 में तिलक वापस भारत आए और वे हैदरशाकोटे में रहने लगे। यहां रहते हुए उन्होंने अपना समय बिताने के लिए एक सॉफ्टवेयर एजंसी में एक कंस्लटेंट की नौकरी करने लगे। एजंसी में काम करने के दौरान तिलक को आइडिया आया कि वे अपने भविष्य में किसी तरह का श्रमदान करेंगे। तिलक ने कहा कि जब मैं पहले दिन ऑफिस जा रहा था तो एक गड्ढे में मिट्टी का पानी भरा हुआ था और जैसे ही मेरी गाड़ी उस गड्ढे में से निकली वहां से गुजर रहे स्कूल के बच्चों के ऊपर वह पानी गिर गया। इस तरह की घटनाएं मेरे साथ सिटी की कई जगहों पर हुईं। तिलक ने प्रत्येक घटना के बाद पुलिस से कहा कि अगर इन गड्ढों को देखते ही भर दिया जाए तो इस पर घटनाए नहीं होंगी।
एक हादसे के बाद तिलक ने शुरू किया अभियान
इसी दौरान एक ऐसी घटना हुई जिसके बाद तिलक ने इन गड्ढों को भरने का अभियान चला दिया। पुरानी सिटी के इलाके में एक हादसा हुआ था जहां पर एक आरटीसी बस ने ऑटो में टक्कर मार दी थी। इस हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। तिलक ने कहा कि यह हादसा सड़क में हो रखे गड्ढे के कारण हुआ था और अगर समय रहते इन गड्ढों को भर दिया जाता तो उस व्यक्ति की जान बच सकती थी। तबसे तिलक ने निर्णय लिया की वो जहां कहीं भी कोई गड्ढा देखेंगे उसे खुद ही भर देंगे। इसके लिए वे अपनी कार में हमेशा एक बैग साथ रखते हैं जिसमें गड्ढा भरने का सभी सामान रहता है। इस अभियान का नाम तिलक ने "श्रमदान" रख दिया।

अब लोग भी देते हैं साथ
इस काम को करने के लिए 2012 में तिलक ने अपनी कंस्लटेंट की नौकरी छोड़ दी और वे पूरी तरह इस काम के प्रति समर्पित हो गए। तिलक ने कहा कि मेरी पत्नी को पसंद नहीं था कि इस उम्र में मैं काम करुं और उसने हमारे बेटे को मुझे समझाने के लिए अमेरिका से भारत बुला लिया, लेकिन मेरे बेटे ने मुझे समझते हुए फैसला किया की वह भी इसमें अपनी भागीदारी निभाएगा। इसके लिए मेरे बेटे ने एक वेबसाइट और फेसबुक पेज तैयार किया ताकि लोग जागरुक हो सकें। श्रमदान अभियान के जरिए कई युवा और बूढ़े लोग आकर सड़कों के गड्ढों की मरम्मत करने का अपनी स्वेच्छा से काम करते है।

संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
