53 की उम्र में संगीता ने फतेह किया एवरेस्ट, तोड़ा ये रिकार्ड

अमेरिकी मोटिवेशनल डेनिस वेटले कहते हैं कि 'यदि आप यह मानते हैं कि आप कर सकते हैं, तो संभवतः आप कर सकते हैं, यदि यह सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते, तो आप सुनिश्चित रूप से नहीं कर सकते, विश्वास वह स्विच है जो आपको आगे बढ़ाता है।'
इन्हीं सब लाइनों को ध्यान में रखते हुए एक भारतीय महिला उम्र के उस पड़ाव पर रिकॉर्ड तोड़ने की ठानी जिस उम्र में लोग उम्र का तगाजा देकर घर में बैठने की सलाह देते हैं, लेकिन उन्होंने उसी उम्र में एवरेस्ट फतेह करके इतिहास रचने का काम किया। ये कोई और नहीं बल्कि 53 वर्ष की उम्र में 29002 फीट ऊंची चोटी एवरेस्ट फतेह करने वाली संगीता सिंधी बहल है। जिन्होंने 19 मई को ये रिकॉर्ड बनाया है। संगीता सिंधी बहल ने दुनिया की सबसे बड़ी चोटी को चूमते ही देश में सबसे अधिक उम्र में रिकॉर्ड तोड़ने वाली 48 वर्षीय प्रेमलता अग्रवाल का रिकार्ड तोड़ दिया है। इस तरह सबसे अधिक उम्र में रिकॉर्ड तोड़ने वाली वे महिला बन गई है।
एक बार असफलता के बाद भी नहीं मानी हार

कहते हैं कि हार के आगे जीत है। बार-बार असफलता मिलने के बाद भी संगीता नहीं हारी और आखिरकार उन्होंने सफलता हासिल कर ही ली है। उन्होंने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतेह करके ये साबित कर दिया है कि अगर आदमी में विश्वास होतो आखिर क्या नहीं प्राप्त कर सकता है। बता दें कि संगीत सिंधी बहल पिछले साल मई महीने में एवरेस्ट तो फतेह करने के लिए चढ़ाई शुरू की थी, लेकिन उनके साथी साथ नहीं दे पाए। साथ उनको भी शारीरिक समस्या आ गई थी। जिसकी वजह से उन्हें एवरेस्ट फतेह करने का मिशन बीच में ही अधूरा छोड़कर वापस आना पड़ा था। उन्होंने कहा कि मैं बहुत निराश हो चुकी थी लेकिन मेरे पति ने मेरा हौसला बढ़ाया और दोबारा प्रयास करने को कहा, इसके बाद वह अपने प्रयास में सफल हुई। इस बार पूरी तैयारी के साथ गत 28 मार्च को एवरेस्ट अभियान के लिए रवाना हुई जिसका परिणाम रहा कि 19 मई शनिवार की वह सुबह उन्हें ताउम्र याद रहने वाली बन गई, जब उन्हें अपने सपने को साकार करने का मौका मिला था। वे सबसे अधिक उम्र में एवरेस्ट फतेह करने वाली भारतीय महिला बन गई। वह जम्मू कश्मीर की छठी महिला बन गई है। उनसे पहले वर्ष 2005 में सेरिंग लाडोल, 22 मई 2016 को स्टेरजिन लसकित, ताशी लसकित, सेरिंग अंगमो और रिगजिन डोलकर ने एवरेस्ट चोटी फतेह की थी।
एवरेस्ट को फतेह कर चुके हैं संगीता के पति

संगीता के पति अंकुर बहल भी एवरेस्ट को तीन साल पहले ही फतेह कर चुके हैं। वे भी अपने पति के साथ इस मिशन को साकार करना चाहती थी, लेकिन शारीरिक समस्या के चलते उनका ये सपना साकार नहीं हो सका। आखिरकार उन्होंने ये सपना इस वर्ष जब साकार किया हैं, तो उसी तारीख को जिस तारीख को उनके पति ने ,एवरेस्ट फतेह किया था। 47 वर्ष की आयु में अपने पति अंकुर बहल के साथ अफ्रीका स्थित किलिमंजारी चोटी व अन्य देशों की पांच चोटियों को भी फतेह कर चुकी हैं। इसमें रूस की इलब्रस चोटी, अंटार्कटिका की विनसन चोटी, साउथ अमेरिका की अकानकागुआ चोटी और नार्थ अमेरिका की माउंट मैकिनले चोटी शामिल है। 2011 में संगीता किलिमंजारो, 2013 में एलब्रस, 2014 में विंसन, 2015 में एंकांकागुआ और कोसियुस्ज़को शिखर फ़तह कर चुकी हैं। पर्वातरोहण का शौक संगीता के लिए ज़्यादा पुराना नहीं है। उन्होंने लगभग 47 की उम्र में पहली बार किलिमंजारो पर चढ़ाई की और ये अचानक हुआ। संगीता 2015 में उत्तरी अमेरिका के डेनाली पर्वत पर वो दुर्घटना का शिकार हो गई थी। जिसके बाद उनके मिशन को पंख लगने में कुछ समय के लिए विराम जरूर लगा था।
मिस इंडिया की पूर्व फाइनलिस्ट रह चुकी हैं संगीता

1985 में मिस इंडिया के फाइनल मुकाबले तक संगीता बहल पहुंची थी, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली थी। की पूर्व फाइनलिस्ट और सफल उद्यमी से पर्वतारोही बनीं 53 वर्षीय एवरेस्टर संगीता बहल आज अपने नाम के साथ एवरेस्टर शब्द जुड़ जाने से अपने आपको काफी गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। मिस इंडिया की पूर्व फाइनलिस्ट रह चुकी संगीता बेस कैंप में काफी समय बिताने और खुम्बू र्दे में अपने आप को अभियान के लिए पूरी तरह से तैयार करने के बाद वह 13 मई की सुबह 2 बजे अपना सपना साकार करने के लिए रवाना हुई और अंतत: अपने अभियान में कामयाब रहीं। गुरुग्राम की रहने वाली संगीता ग्रूमिंग कन्सलटेंसी चला व इम्पैक्ट इमेज कंसल्टेंट कंपनी खोलकर समाज के हर वर्ग का मोटिवेशन कर रही हैं। पंजाबी फेडरेशन की ओर से बेटी बचाओ अभियान के तहत संगीता को भारतीय महिला गौरव अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनके जीवन का लक्ष्य न केवल पर्वत की ऊंचाइयों को छूना है बल्कि देश की गरीब महिलाओं को साक्षर कर उनको स्वरोजगार भी दिलाना है।
टीएसएएफ की मदद से चढ़ी 2011 में चढ़ी थी प्रेमलता

पहाड़ों पर चढ़ने का शौक करने वाली प्रेमलता ने 48 वर्ष की उम्र में अपना सपना साकार किया था। 48 साल की उम्र में एवरेस्ट फतेह करके वे भारत की सबसे उम्र की महिला बन गई थी। 20 मई 2011 को उन्होंने ये उपलब्धि पाई थी। सुबह 9:35 बजे 48 साल की उम्र में 29,029 फुट की ऊंचाई पर पहुँचकर माउंट एवरेस्ट के शिखर कों छूने वाली प्रथम भारतीय महिला होने का गौरव हासिल किया। सातों महाद्वीपों के शिखर पर चढ़ने वाली प्रेमलता एक गृहिणी है। पर्वतों पर चढ़ने का शौक उनके मन में 35 वर्ष की उम्र में आया था। एवरेस्ट पर उन्होंने भारत व टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) का झण्डा फहराकर एक इतिहास रचा था। बता दें कि टीएसएएफ एवरेस्ट फतेह करने वालों का सहयोग करता है। इस वर्ष संस्था के तीन पर्वतारोही संदीप तोलिया (42 वर्ष), पूनम राणा (21 वर्ष) और स्वर्णलता दलाई (20 वर्ष) ने 21 मई को एवरेस्ट फतह कर लिया। उन्होंने वहां पर तिरंगा व टाटा स्टील का झंडा लहराया। एडवेंचर स्पोर्ट्स को टीएसएएफ बढ़ावा देता रहा है। अब तक इन तीनों पर्वतरारोही से पूर्व टीएसएएफ के सात पर्वतारोही, बछेंद्री पाल (1984), प्रेमलता अग्रवाल (2011), हेमंत गुप्ता (2017), राजेंद्र सिंह पाल, विनिता सोरेन, मेघलाल मूर्मू (2012) और सुसेन महतो (2013) में एवरेस्ट फतह कर चुके हैं। इसके अलावा पर्वतारोही अरूणिमा सिन्हा भी इसी के सहयोग से एवरेस्ट फतेह कर चुकी है।
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