नेत्रहीन श्रीकांत के 80 करोड़ की कंपनी खड़ा करने की कहानी

जब श्रीकांत पैदा हुए थे तो कुछ रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने उनके माता-पिता से उन्हें मार देने को कहा था। वजह सिर्फ इतनी थी कि श्रीकांत नेत्रहीन पैदा हुए थे। मां-बाप ने किसी की नहीं सुनी और श्रीकांत को इस काबिल बना दिया कि आज वो 80 करोड़ की कंपनी के CEO हैं। आइए जानते हैं कि नेत्रहीन होने के बावजूद श्रीकांत बोला ने ये सब कैसे किया।
देश के पहले नेत्रहीन जिन्हें 10वीं के बाद साइंस पढ़ने की इजाजत मिली
श्रीकांत साइंस पढ़ना चाहते थे लेकिन नेत्रहीन होने के कारण उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई। श्रीकांत ने भी हार नहीं मानी। कई महीनों तक लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार श्रीकांत देश के पहले नेत्रहीन बने, जिन्हें 10वीं के बाद साइंस पढ़ने की इजाजत मिली।
12वीं में श्रीकांत बहुत अच्छे नंबरों से पास हुए। इसके बाद उन्हें अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) में दाखिला मिला। इस तरह श्रीकांत MIT में पढ़ने वाले भारत के पहले नेत्रहीन स्टूडेंट बने। बता दें कि MIT दुनिया की टॉप 3 यूनिवर्सिटी में आती है। अमेरिका में पढ़ाई के बाद श्रीकांत देश के लिए कुछ करना चाहते थे।
8 लोगों के साथ शुरू की कंपनी
वे हमेशा से सोचते थे कि कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे लोगों को रोजगार मिल सके। इसके लिए श्रीकांत ने हैदराबाद के पास 8 लोगों के साथ एक कमरे से छोटी सी कंपनी की शुरुआत की। उन्होंने लोगों के खाने-पीने के सामान की पैकिंग के लिए कंज्यूमर फूड पैकेजिंग कंपनी बनाई। शुरुआत में श्रीकांत ने अपने आस-पास के बेरोजगारों के साथ कंपनी की शुरुआत की।
मेहनत रंग लाई और काम चल पड़ा। इसके बाद फंडिंग के लिए श्रीकांत को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। श्रीकांत ने यहां भी हार नहीं मानी और प्राइवेट बैंकों से फंड जुटाकर काम को आगे बढ़ाया।श्रीकांत की कंपनी कंज्यूमर फूड पैकेजिंग, प्रिंटिंग इंक और ग्लू का बिजनेस कर रही है। आज कंपनी के हैदराबाद और तेलंगाना के पांच प्लांट हैं। इनमें सैकड़ों लोग काम कर रहे हैं। छठवां प्लांट आंध्र प्रदेश के नेल्लोर के पास श्रीसिटी में बन रहा है।
उनकी कंपनी आने वाले समय में 8 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार देगी। फिलहाल उनकी कंपनी में चार हजार लोग काम कर रहे हैं। खास बात यह है कि उनकी कंपनी में 70 फीसदी लोग नेत्रहीन और अशक्त हैं। इन लोगों के साथ ही वे खुद भी रोजाना 15-18 घंटे काम करते हैं। अपनी सक्सेस के बारे में श्रीकांत का कहना है कि जब दुनिया कहती थी, यह कुछ नहीं कर सकता तो मैं कहता था कि मैं सब कुछ कर सकता हूं।
श्रीकांत का परिचय
श्रीकांत का जन्म 1993 में हैदराबाद में हुआ था। उन्होंने बड़ी ही कठिनाई से अपना बचपन गुजारा। उनके माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं थे। उनके जन्म के समय माता-पिता मिलकर सिर्फ 1600 रुपए कमाते थे। जब श्रीकांत पैदा हुए तो किसी को खुशी नहीं हुई क्योंकि वो नेत्रहीन थे। उनके पड़ोसियों और गांव वालों ने कहा कि यह किसी काम का नहीं है, इसे मार दो।
मां-बाप ने रिश्तेदारों की एक नहीं सुनी। श्रीकांत बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे। नेत्रहीन होने के कारण उन्हें खेलने नहीं दिया जाता था। इतना ही नहीं क्लास की आखिरी बेंच पर उन्हें बैठाया जाता था। समाज ने हर बार उनका मनोबल गिराने की कोशिश की। इन सब के बावजूद श्रीकांत 10वीं में अच्छे नंबरों से पास हुए।
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