चेन्नई पुलिस की मदद से पिता ने पूरा किया अपने 'स्पेशल चाइल्ड' का सपना

बच्चों की इच्छा को पूरी करना हर मां-बाप चाहता है, और अगर बच्चा स्पेशल हो तो यह जिम्मेदारी ज्यादा बड़ी हो जाती है। ऐसी ही एक कहानी हम आपको आज बताने जा रहे हैं जब एक पिता ने अपने बच्चे स्टीवन मैथ्यू की इच्छा पूरी करने के लिए चेन्नई पुलिस के कमिश्नर को ईमेल करके मदद मांगी।
क्या थी मैथ्यू की इच्छा?
जन्म से ही डाउन सिंड्रोम से पीड़ित स्टीवन मैथ्यू इस समय भले ही 19 साल का हो गया हो लेकिन उसके दिमाग का विकास उसकी उम्र के मुताबिक अभी नहीं हुआ है। मैथ्यू साउथ की फिल्मों का शौकीन है और अपने हीरो सुरेश गोपी, विजय की तरह ही बड़े होकर एक पुलिसवाला बनना चाहता है। पिता राजीव को जब अपने बेटे की इस इच्छा के बारे में पता चला तो उन्होंने चेन्नई पुलिस कमिश्नर ए.के विश्वनाथन को इसके लिए एक ईमेल किया।
चेन्नई पुलिस ने दिया जवाब और दिया एक दिन का चार्ज
करीब 10 दिन बाद चेन्नई पुलिस के अशोक नगर थाने से राजीव के पास फोन आता है कि वो अपने बेट के साथ पहुंचे। जब राजीव अपने बेटे मैथ्यू के साथ पहुंचे तो पुलिस विभाग ने मैथ्यू का ड्रेस के लिए नाप लिया और दो दिन बुलाया। दो दिन बाद चेन्नई पुलिस ने मैथ्यू को वर्दी के साथ एक दिन का चार्ज दिया। इस दौरान कॉन्सटेबल और अन्य पुलिसकर्मियों ने मैथ्यू को सैल्यूट भी किया। खुद मैथ्यू ने भी इस दिन एक प्रोफेशनल पुलिस वाले की तरह व्यवहार करता रहा।
पिता ने दिया चेन्नई पुलिस को धन्यवाद
मौजूदा समय में दोहा में रहने वाले राजीव ने चेन्नई पुलिस की इस दरियादिली का दिल खोलकर स्वागत किया। राजीव ने समाचार पत्र 'द हिंदु' से बात करते हुए बताया कि उन्होंने चेन्नई पुलिस को जब इस बात के लिए मेल किया तो उन्हें अंदाजा नहीं था कि इसका जवाब आएगा और उन्हें अपने बेटे का सपना पूरा करने में मदद मिलेगी।
क्या करता है मैथ्यू?
स्टीवन मैथ्यू भले ही डाउन सिंड्रोम से पीड़ित है फिर भी उसने कंप्यूटर एप्लिकेशन में डिप्लोमा हासिल कर लिया है। मैथ्यू के पिता मानते हैं इस तरह के बच्चों में अलग तरह की प्रतिभा होती है, जिसे अगर निखारा जाय तो वो बहुत कुछ कर सकते हैं। मैथ्यू इस समय दोहा के स्पेशल स्कूल HOPE में अपनी पढ़ाई करते हैं, आपको बता दें यह स्कूल मैथ्यू के पिता ही चलाते हैं जहां इसी तरह के स्पेशल बच्चे पढ़ते हैं।
क्या है डाउन सिंड्रोम?
डाउन सिंड्रोम एक आनुवंशिक या क्रोमोसोम जनित विकार है और ये एक आजीवन रहने वाली स्थिति है जो शरीर में क्रोमोसोम्स का एक अतिरिक्त जोड़ा बन जाने से होती है। सामान्य रूप से शिशु 46 क्रोमोसोम के साथ पैदा होते हैं। 23 क्रोमोसोम का एक सेट शिशु अपने पिता से और 23 क्रोमोसोम का एक सेट वे अपनी मां से ग्रहण करते हैं। डाउन सिंड्रोम से पीड़ित शिशु में एक अतिरिक्त क्रोमोसोम आ जाता है जिससे उसके शरीर में क्रोमोसोम्स की संख्या बढ़कर 47 हो जाती है। ये आनुवंशिक तब्दीली शारीरिक विकास और मस्तिष्क के विकास के गति को धीमा कर देती है और शिशु में मद्धम से औसत बौद्धिक विकलांगता का कारण बनती है।
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