बहादुरी की मिसाल बनीं 17 साल की सीमा, इस तरह दूर कर रहीं सामाजिक बुराइयां

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी की रहने वाली 17 साल की सीमा शा बहादुरी की मिसाल हैं। वह तीन साल की थीं जब उनके पिता की मौत हो गई। पिता के निधन के बाद सीमा के परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। फैक्ट्री में काम करने वाले सीमा के भाई की मामूली सी कमाई के भरोसे परिवार चलता रहा। इसके बाद सीमा ने भी परिवार को चलाने के लिए हाथ बंटाना शुरू किया।
सीमा अब 17 साल की हो गई हैं और 9वीं क्लास में पढ़ती हैं। सीमा के घरवालों ने उसकी शादी करने की कोशिश की तो सीमा ने साफ मना कर दिया और कहा कि अभी वह पढ़ना चाहती हैं। यही नहीं पिछले दिनों पढ़ाई के लिए अपनी शादी के साथ ही 3 नाबालिग लड़कियों की शादी रुकवाकर सीमा अब स्थानीय लड़कियों की ताकत भी बन गई हैं।
सीमा हमेशा सभी तरह की बुराइयों के खिलाफ खड़ी रहती हैं। कुछ समय पहले ही सीमा ने घर के पास बने शराब की दुकान के खिलाफ मोर्चा खोला और उसे ध्वस्त करा दिया। यही नहीं गांव और आसपास में गलत कामों के खिलाफ लड़कियों की एक टीम का गठन कर सीमा उसका नेतृत्व कर रही हैं।
सीमा का कहना है कि उनकी यह टीम बुराई के खिलाफ आवाज उठाने के अलावा इलाके के विकास के लिए भी काम करती है। इस महिला दिवस पर एक एनजीओ ने सीमा को उसकी बहादुरी और विकास कार्यों के लिए सम्मानित भी किया है।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
