छोटी उम्र में बड़ा कमाल, 11 साल की बेटी ने कर दिखाया ये कारनामा

ग्राम पंचायत मगरा के मिढ़की गांव में 28 साल पहले बरगी डेम बनने से आसपास का क्षेत्र डूब में आया तो आय के साधन खत्म हो गए। पानी की वजह से कृषि भूमि पूरी तरह से चौपट हो गई। जिससे यहां पर पूरी तरह से आय के स्त्रोत खत्म हो गए। गांव में आय का कोई जरिया न होने के कारण गांव से लोगों पलायन शुरू हो गया है। वर्तमान मे महज इस गांव में 10 परिवारों के 50-55 लोग ही बचे। ये लोग भी अब मछली पालन कर गुजारा करते हैं। गांव में सीमित संख्या और आने-जाने का कोई रास्ता न होने की वजह से गांव से सरकारी योजनाएं पूरी तरह से दूर है। लेकिन यहां की एक बेटी ने अब पूरी तरह से गांव की काया बदल दी है। अब गांव में बिजली के खंभे लगना शुरू हो रहे हैं और भी अन्य योजनाएं गांव तक पहुंचना शुरू हो गया है।
10 किमी खुद नाव चलाकर लाई ईंटे व सीमेंट
टीवी व रेडियो पर लगातार योजनाओं के बारे में सुनती आ साक्षी को पंचायत सचिव की बात समझ में आ गई और उसे शौचालय का महत्व भी। 11 साल की साक्षी यादव कक्षा 7 में पढ़ रही है। वे राशन लेने के लिए 10 किमी बरगी डेम में नाव चलाकर मगरा आती है। एक दिन अचानक उसी मुलाकात पंचायत सचिव रूपराम सेन से हुई। उन्होंने साक्षी से पूछा कि गांव में शौचालय है या नहीं। साक्षी ने मना किया तो उसे शौचालय के फायदे समझाए। इसके बाद फिर उसे सरकारी मदद मिली और उसने दस किलो मीटर नाव चलाकर मगरा से सीमेंट-ईंट खरीदकर नाव से ले गई और गांव में शौचालय बनवाना शुरू किया। अपने घर का शौचालय बना तो उसने गांव के अन्य लोगों को भी समझाया। धीरे-धीरे पूरे गांव के घरों में शौचालय बन गए। स्वच्छता की प्रेरक बनी साक्षी यादव कहती है कि पंचायत सचिव ने घर में शौचालय के बारे में पूछा तो शर्मिंदगी महसूस हुई। लेकिन बाद में महत्व समझ में आने के कारण घर में शौचालय बनाने की ठानी। मेरे घर में जब शौचालय बन गया तो इसके फायदे स्वयं ही समझा और सबको बताया। आज पूरे गांव में शौचालय बन गए हैं तो ग्रामीणों को भी अच्छा लगता है। अब गांव में कोई भी खुले में शौच करने नहीं जाता है।

गांव में पहुंचना बहुत ही मुश्किल का काम
साक्षी के गांव के पास डैम बनने की वजह से इस गांव में पहुंचने का रास्ता ही नहीं है, लेकिन इसके बाद भी गांव में शौचालय बनना बहुत बड़ी बात है। स्वच्छ भारत मिशन की ब्लाक समन्वयक सुषमा सरफरे बताती हैं कि गांव में पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक मंडला जिले से होते हुए और दूसरा 10-12 किमी नाव चलाकर बरगी डेम को पार करते हुए। मंडला जिले से आना मुश्किल है क्योंकि सड़क कठौतिया तक ही बनी है। वहां से 4 किमी तक घने जंगल के रास्ते पगडंडी ही है। सरकारी अधिकारी रोजाना गांव नहीं जा सकते थे इसलिए गांव की ही पढ़ी-लिखी लड़की साक्षी को जागरुक करने के लिए चुना था। जिला समन्वयक अरुण सिंह बताते हैं कि साक्षी की समझाइश और सरकारी अनुदान की वजह से 3 महीने में पूरा गांव ओडीएफ हो गया। साक्षी की वजह से पूरी तरह से गांव की तस्वीर बदल गई है।
मगहा पंचायत के गांव पर है खास ध्यान
जिला पंचायत की सीईओ हर्षिका ने कहा कि मगरा के 4 गांव इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह दुर्गम क्षेत्र है। साक्षी यादव ने इतनी छोटी उम्र में जो कमाल किया है वास्वत में बहुत अच्छा है। आज साक्षी की वजह से पूरा गांव ओडीएफ हो गया है। उन्होंने बताया कि साक्षी के अलावा मगरा के एक युवक ने अपने दोस्त की शादी में टायलेट गिफ्ट किया था तो कठौतिया में राजा पचौरी नामक युवक शहर से साइकिल से सामग्री लाया और घर में शौचालय बनाया। हमारी कोशिश खासकर युवाओं को जागरुक करने की भी है जिससे गांव सही अर्थों में ओडीएफ बन सकें। जागरुकता की वजह से इन शौचालयों का उपयोग भी हो रहा है।
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