महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों से आए साधु-संतों और हठ योगियों की अद्वितीय साधनाओं ने श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित किया है। अपनी कठोर तपस्या और अनोखी साधना से ये हठ योगी सनातन धर्म की गरिमा और जनकल्याण के प्रति अपने समर्पण को उजागर कर रहे हैं। महाकुंभ में इन हठ योगियों की अद्भुत साधना श्रद्धालुओं को प्रेरित कर रही हैं। यह तपस्वी अपने कठोर योग और तपस्या से धर्म और समाज के प्रति अपने अटूट विश्वास को प्रकट कर रहे हैं।
9 वर्षों से बायां हाथ उठाए हठ योगी
आवाहन अखाड़े के एक हठ योगी ने पिछले 9 वर्षों से अपने बाएं हाथ को ऊपर उठाकर रखा है। इसे वह “धर्म ध्वजा” मानते हैं और गौ माता के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रतीक बताते हैं। उनका कहना है कि जब तक गौ माता पर अत्याचार जारी रहेगा, तब तक उनकी यह तपस्या भी चलती रहेगी। उनका हाथ लकड़ी की तरह सख्त हो चुका है और नाखून विकृत हो गए हैं, लेकिन उनके संकल्प में कोई कमी नहीं आई है।
11 वर्षों से खड़े खडेश्वर महाराज
आवाहन अखाड़े के ही खडेश्वर महाराज ने पिछले 11 वर्षों से कभी ना बैठने या सोने का हठ योग जारी रखा है। वह हमेशा खड़े रहते हैं और सहारे के लिए केवल एक टीन के ड्रम का उपयोग करते हैं। उनके पैरों में सूजन और घाव हो गए हैं, लेकिन वह इसे धर्म और मानवता के कल्याण के लिए किए जाने वाले अपने तप का हिस्सा मानते हैं।
ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ तपस्या
इंद्रगिरी महाराज पिछले 4 वर्षों से अपने खराब फेफड़ों के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर के सहारे सांस ले रहे हैं। इसके बावजूद उनका हठयोग जारी है। वह भगवान की आराधना करते हुए इसी तरह शाही स्नान में भी शामिल होंगे। डाक्टरों की सलाह के बावजूद उन्होंने अपनी साधना को नहीं छोड़ी है और इसे समाज सेवा और अपनी भक्ति का माध्यम बताते हैं।
45 किलो रुद्राक्ष का भार उठाए गीतानंद गिरि
गीतानंद गिरि ने अपने सिर पर 45 किलो रुद्राक्ष की मालाएं उठा रखी हैं। वह अपनी साधना को हिंदुत्व और जनकल्याण के लिए समर्पण के तौर पर मानते हैं। उनके अनुसार यह तप उनके गुरु की शिक्षा का परिणाम है, जिसे वह बचपन से ही निभा रहे हैं। उनके लिए यह साधना पूरी तरह से सामान्य जीवन का हिस्सा बन चुकी है।