
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने जा रहे महाकुंभ 2025 में दुनियाभर से करोड़ों श्रधालुओं के आने का अनुमान है। इसको लेकर गंगा और यमुना नदी की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठ रहा है। NGT ने गंगा और यमुना की गुणवत्ता को लेकर योगी सरकार को आदेश दिया है कि नदियों का पानी नहाने व पीने योग्य रखा जाए। NGT ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह आदेश दिया है कि गंगा यमुना में कोई भी अनुपचारित सीवेज न बहाया जाए। पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रयागराज में 10 सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट संचालित किए जा रहे हैं। जिसकी कुल क्षमता 340 एमएलडी है।
जिनके अंतर्गत सलोरी में 43 एमएलडी, रसूलाबाद में 90 एमएलडी और नैनी में 50 एमएलडी क्षमता के अतिरिक्त एसटीपी का निर्माण किया जा रहा है। कभी 81 नालों से प्रदूषित होने वाली इन नदियों की कहानी अब बदल रही है। वर्तमान में, 81 में से 37 नालों को पूरी तरह टैप कर उनका उपचार किया जा चुका है, जिससे इन नदियों में प्रदूषण का प्रवाह रुक गया है। इसके अलावा, 5 नालों को सूखा या अप्रभावी पाया गया है, जिन्हें किसी प्रकार के उपचार की आवश्यकता नहीं है।
NGT ने कहा महाकुंभ फरवरी के अंत तक 45 दिनों तक चलेगा। इसलिए अधिकारियों की ये ज़िम्मेदारी होगी कि पानी पीने योग्य व स्नान करने योग्य होना चाहिए। प्रयागराज में गंगा नदी में नालों से अनुपचरित सीवेज के निर्वहन के बारे में शिकायतें आई थीं। हर 12 साल में आयोजित होने वाला महाकुंभ मेला प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा।
महाकुंभ 2025 को स्वच्छ, सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए नमामि गंगे मिशन द्वारा शुरू की गईं दूरदर्शी योजनाओं का उद्देश्य गंगा और यमुना नदियों की निर्मलता और स्वच्छता को बनाए रखना है, ताकि नदियों की पवित्रता के साथ-साथ पर्यावरणीय संतुलन को भी संरक्षित किया जा सके। गंगा और यमुना की पवित्रता आने वाली पीढ़ियों तक बनी रहे। मिशन की यह पहलें केवल महाकुंभ को सफल बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य प्रयागराज की सीवरेज को लंबे समय तक मजबूत करना भी है।