विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ को प्रशासन ने अद्भुत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। दिन-रात चल रहे निर्माण व जीर्णोद्धार कार्यों की बदौलत ही, कुंभ नगरी की अद्वितीय छटा देखते बन रही है। वहीं श्रद्धालुओं के लिए इस बार का महाकुंभ सुविधाओं से लबरेज बनाया गया है। यदि यह आपके जीवन का पहला कुंभ दर्शन-स्नान है, तो यह आपके लिए कुछ खास होने वाला है। आइये जानते हैं कि श्रद्धालुओं के लिए कुंभ नगरी प्रयाग में इस बार क्या नया और विशेष है…
एक नजर त्रिवेणी संगम के अलावा
नागवासुकी मंदिर
समुद्र मंथन के समय मंदार पर्वत के चारों ओर स्वयं को रस्सी के रूप में समर्पित करने के बाद, नागवासुकी ने प्रयागराज में विश्राम किया था। महाकुंभ के इस शुभ संयोग के समय, नागवासुकी मंदिर की अलौकिकता श्रद्धालुओं को और भी अधिक आकर्षित करेगी।
श्री लेटे हुए हनुमान मंदिर
प्रयागराज के दार्शनिक स्थलों में से एक श्री लेटे हुए हनुमान जी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूजन-अर्चन का विशेष स्थान है। समर्थ गुरु श्री रामदास जी द्वारा हनुमान जी की इस प्रतिमा को स्थापित किया गया था। इस मंदिर के समीप ही श्रीराम जानकी मंदिर थी स्थित है, जो कि श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। इस मंदिर में शिव पार्वती, गणेश, भैरव, मां दुर्गा व मां काली की प्रतिमा भी स्थापित है।
श्री वेणी माधव मंदिर
श्री वेणी माधव जी को प्रयागराज के प्रमुख देवता के रूप में माना जाता है। इस मंदिर के दर्शन पूजन के बगैर प्रयागराज एवं पंचकोसी परिक्रमा को पूर्ण नहीं माना जाता है। इस मंदिर के गर्भगृह में शालिग्राम से बनी प्रतिमा स्थापित है। यहां चैतन्य महाप्रभु जी पूजन अर्चन किया करते थे।
शंकर विमान मंडपम
द्रविड़ शैली में बनाया गया यह मंदिर बेहद ही खूबसूरत है। मंदिर में आदि शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट और कामाक्षी देवी एवं तिरुपति बालाजी की प्रतिमा स्थापित है। जमीन से परकोटे तक मंदिर की ऊंचाई 130 फीट है, जो बेहद अलौकिक स्वरूप में विराजमान है।
प्राचीन अक्षयवट
यह एक पवित्र स्थान है, जहां प्रभु श्रीराम माता सीता एवं लक्ष्मण जी ने अपने वनवास के समय विश्राम किया था। अक्षयवट श्रद्धालुओं की यात्रा को अतुलनीय, अनंत शांति का अनुभव प्रदान करेगा।