महाकुंभ 2025 में एक विशेष बाबा अपनी अनोखी तपस्या के लिए चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। इनका नाम अमरजीत है, जिन्हें लोग “अनाज वाले बाबा” के नाम से जानते हैं। सोनभद्र जिले के मारकुंडी निवासी बाबा अमरजीत पिछले 14 वर्षों से अपने सिर पर चना, गेहूं, बाजरा जैसे अनाज उगा रहे हैं। उनका उद्देश्य केवल हठयोग का प्रदर्शन नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
बाबा अमरजीत का कहना है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से प्रकृति को खतरा हो रहा है। इसीलिए उन्होंने अपने सिर पर फसल उगाकर लोगों को हरियाली का महत्व समझाने का संकल्प लिया है। उनके सिर पर उगी जौ लगभग एक फीट तक लंबी हो चुकी है, जिससे उन्हें दर्द भी महसूस होता है, लेकिन वह इसे अपने संकल्प का हिस्सा मानते हैं।
कुंभ में फसल का प्रसाद
बाबा अमरजीत ने कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अपने सिर पर उगी फसल को प्रसाद के रूप में बांटने की योजना बनाई है। उनका मानना है कि जो भी इस प्रसाद को ग्रहण करेगा, वह धन्य हो जाएगा। यह कदम न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने का है, बल्कि यह एक संदेश भी है कि हमें अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
श्रद्धालुओं की प्रतिक्रिया
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु बाबा अमरजीत की तपस्या को देखकर हैरान हैं। वे उनके साथ सेल्फी ले रहे हैं और उनकी इस अनोखी पहल की सराहना कर रहे हैं। श्रद्धालु श्रेया शर्मा ने कहा, “पहली बार अनाज वाले बाबा को अपनी आंखों के सामने देखा है। इससे पहले उनकी कई रील वायरल हुई थी। इस तरह का संकल्प लेना आश्चर्यचकित करता है।”
बाबा की तपस्या और संकल्प
बाबा अमरजीत पिछले 5 वर्षों से लेटकर नहीं सोए हैं। वे बैठे-बैठे ही सो जाते हैं क्योंकि उनका मानना है कि अगर लेटेंगे तो उनकी फसल खराब हो जाएगी। वर्तमान में वह किला घाट के पास एकांत में कल्पवास कर रहे हैं और मेला खत्म होने के बाद सोनभद्र वापस लौट जाएंगे।
बाबा अमरजीत की यह अनोखी तपस्या और पर्यावरण के प्रति उनकी जागरूकता न केवल महाकुंभ में, बल्कि समाज में भी एक प्रेरणा बन गई है।