आज तक आपने पीपे के पुल देखे होंगे लोहे के पुल देखे होंगे लेकिन इस बार महाकुंभ 2025 में आपको स्टील का पुल देखने को मिलेगा जिसकी मियाद केवल दो महीने की होगी। इस पुल में 4500 तन स्टील का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह पुल गंगा नदी के ऊपर तैयार किया जा रहा है।
स्टील ब्रिज को शहर से जोड़ने के लिए 4 किलोमीटर लंबी एपरोज रोड भी बनाई जा रही है। 426 मीटर लंबा ये स्टील ब्रिज गंगा नदी पर बन रहे 6 लेन ब्रिज के समानांतर बन रहा है। इस स्टील ब्रिज को कुंभ मेले के खत्म होते ही समाप्त कर दिया जाएगा। बता दें, प्रयागराज में फाफामऊ में गंगा नदी पर एक पुल पहले से मौजूद है और दूसरे का निर्माण जारी है।
क्यों आई पुल बनाने की जरूरत
26 नवंबर 2020 से गंगा नदी पर 10 किलोमीटर लंबे देश के दूसरे सबसे बड़े 6 लेन ब्रिज को बनाने का काम शुरू हुआ। ये पुल मलाका से शहर के त्रिपाठी चौराहे तक बनाया जा रहा है। इसमें करीब 4 किमी का पुल गंगा नदी पर बनना था। ये पुल NH-19 भदरी गांव (मलाका) से शुरू होकर गंगा नदी पार कर शहर के त्रिपाठी चौराहा तक बन रहा है।
विकल्प के तौर पर बनाया जा रहा ये पुल
महाकुंभ-2025 के लिए यह पुल बहुत जरूरी था। वजह गंगा नदी पर बने 50 साल पुराने पुल का जर्जर होना। दूसरा यह कि एक रास्ते से करोड़ों श्रद्धालुओं का संगम तक पहुंचना भी आसान नहीं है। इस पुल को फरवरी 2024 में बनकर तैयार हो जाना चाहिए था लेकिन जब ये पता चला कुंभ मेले तक ये पुल बनकर तैयार नहीं हो पाएगा तो विकल्प के तौर पर इस स्टील ब्रिज को बनाने की योजना तैयार की गई। फिलहाल स्टील के ब्रिज के निर्माण का काम अंतिम चरण में है। एक हफ्ते के अंदर पुल चालू हो जाएगा। हाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पुल का निरीक्षण कर इसे जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं।
60 दिन बाद मिट जाएगा पुल का नामों निशान
कुंभ खत्म होने के बाद इस पुल को तोड़ दिया जाएगा। अब सवाल उठता है कि पुल को तोड़ने के बाद उसमें लगे 4500 टन लोहे का क्या होगा तो एसपी सिंगला कंपनी के इंजीनियर ने बताया कि काम के बाद सरकार और हमारी कंपनी की सहमति से तय किया जाएगा कि इस लोहे का क्या होगा। कंपनी के लोग कहते हैं कि ये सच है कि जब सिक्स लेन ब्रिज का काम पूरा नहीं हो पाया तो उन्हें विकल्प के तौर पर इसे बनाना पड़ा लेकिन इसको बनाने के पीछे एक मकसद यह भी है कि मेला प्रशासन को पुल के पास बड़ी पार्किंग मिल जाएगी।