निषाद पार्टी का भाजपा में विलय, गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे सांसद प्रवीण निषाद

समाजवादी पार्टी को बड़ा झटका देते हुए भारतीय जनता पार्टी ने गोरखपुर के सांसद को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा फेरबदल देखने को मिला है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपना गढ़ मजबूत करने के लिए इस बार निषाद पार्टी के साथ अपना गठबंधन कर लिया है। निषाद पार्टी ने हाल ही में एसपी-बीएसपी गठबंधन में शामिल होने का नाता तोड़ लिया है। बीजेपी में शामिल होते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण निषाद को गोरखपुर से टिकट दिया है। पार्टी ने जीत के लिए यहां से सपा सांसद प्रवीण निषाद को टिकट दिया है। आधिकारिक तौर पर ऐलान करते हुए आज सांसद प्रवीण निषाद को बीजेपी ने शामिल किया है। उन्हें पार्टी की सदस्यता केंद्रीय मंत्री और पार्टी नेता जेपी नड्डा ने दिलाई। जेपी नड्डा ने कहा कि निषाद पार्टी ने पीएम मोदी की नीतियों से प्रभावित होकर बीजेपी से गठबंधन किया है।
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हर हाल में जीतना चाहते हैं योगी आदित्यनाथ
गोरखपुर लोकसभा सीट पर निषाद जाति का काफी वोट है। उपचुनाव में हार के बाद यूपी के मुख्यमंत्री इस बार अपना गढ़ जीतना चाहते हैं। चुनाव जीतने के लिए उन्होंने सपा से सांसद प्रवीण निषाद को शामिल कर लिया है। निषाद पार्टी के साथ ऐसे समय में गठबंधन किया गया है जब पार्टी सपा व बसपा के गठबंधन में शामिल हो चुकी है। लेकिन कुछ दिन पहले ही समाजवादी पार्टी ने अपने को अलग किया है। आज जेपी नड्डा ने कहा कि प्रवीण निषाद पार्टी में मोदी जी की नीतियों से शामिल हुए है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक तरफा सुनामी लहर बीजेपी की चल रही है। बता दें कि 2017 में सीएम बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार प्रवीण निषाद ने बीजेपी के उम्मीदवार उपेंद्र शुक्ला को हराया था। गोरखपुर से सीट हारने के बाद योगी आदित्यनाथ की प्रतिष्ठा पर सवाल उठने लगे थे। इस बार सीट को किसी भी हालत में पार्टी हारना नहीं चाहती है। ऐसे में पार्टी ने गोरखरपुर से सांसद प्रवीण निषाद को पार्टी में शामिल कर लिया है। बता दें इस सीट से सपा ने राम भुआल निषाद को उतारा है।
गोरखपुर लोकसभा सीट का यह है समीकरण
निषाद बाहुल्य वाली इस सीट पर चुनाव बैगर इस जाति के समर्थन के नहीं जीता जा सकता है। यहां करीब 3.5 लाख मतदाता निषाद जाति के हैं। इस जाति का वोटर्स ही किंग बनाने में अहम भूमिका निभाता है। तभी तो योगी आदित्यनाथ का गढ़ होने के बाद भी इस सीट पर सपा के उम्मीदवार रहे प्रवीण निषाद ने जीत हासिल की थी। बता दें इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा है। इस सीट पर बीजेपी ही चुनाव जीतती रही है। यहां पर योगी आदित्यनाथ से पहले उनके गुरु महंत अवैद्यनाथ सांसद हुआ करते थे। उनके बाद इस सीट से योगी आदित्यनाथ 1998 से लगातार सांसद चुने जाते रहे। 2017 में जब उन्हें सीएम चुना गया तो उन्होंने त्यागपत्र दिया था। इस सीट पर हुए उपचुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
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