दिनेश लाल यादव 'निरहुआ': बिरहा गायक से राजनेता बनने तक का सफर

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में आज भी बिरहा का प्रचलन है। यह बिरहा ही है सम्राट हीरालाल यादव को पद्मश्री दिला देता है, तो वहीं इसकी गायकी करके कई स्टार भी बन गए। बिरहा गाकर आगे बढ़ने वालों में कई भोजपुरी स्टारों का नाम है। इसमें ही एक नाम है दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ। बिरहा गायकी से अपनी शुरुआत करने वाले निरहुआ आज भोजपुरी दुनिया के बड़े स्टार है। गायकी से लेकर अभिनय के क्षेत्र में उनका डंका बजता है। एक फिल्म में काम करने के लिए वह 50 लाख रुपये से कम फीस नहीं लेते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वोच्च पुरस्कार यश भारती से नवाजे जा चुके दिनेश लाल यादव अब अपनी सियासी पारी शुरू करने जा रहे हैं। कुछ ही दिनों पहले में भाजपा में शामिल होने वाले दिनेश लाल यादव को पार्टी ने आजमगढ़ से प्रत्याशी बनाया गया है। आजमगढ़ में उनका मुकाबला यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री व सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से होगा। यादव बाहुल्य वाली इस सीट से उतारे जाने के बाद उनकी चर्चा और तेज हो गई हैं। आइए आपको बताते हैं दिनेश लाल यादव के सफर के बारे में...
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2003 में मिली लोकप्रियता, आज करोड़ों के हैं मालिक
पूर्वांचल की धरती पर आज भी बिरहा गायन की उतनी ही लोकप्रियता है, जितनी वर्षों पहले हुआ करती थी। तभी तो कोई भी एलबम आता है, तो रातों-रात हिट हो जाता है। ऐसे ही वर्षों पहले दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ का एक एलबम आया 'निरहुआ सटल रहे', इस एलबम के गानों ने इस तरह धूम मचाई की दिनेश लाल यादव रातों-रात स्टार बन गए। भोजपुरी की दुनिया में उनकी लोकप्रियता बढ़ गई। उनके छोटे भाई प्रवेश लाल के अनुसार साल 2003 में दिनेश लाल यादव का म्यूजिक एलबम 'निरहुआ सटल रहे' आया और यह सुपरहिट हुआ था। इससे पहले भी उनके दो एलबम आए थे, लेकिन वह ज्यादा हिट नहीं हुए थे। दिनेश लाल यादव ने 2001 में दो म्यूजिक एल्बम 'बुढ़वा में दम बा' और 'मलाई खाए बुढ़वा' रिलीज किए थे, लेकिन यह ज्यादा हिट नहीं हुए। हालांकि इन एलबमों ने उनकी पहचान पूर्वांचल में बना दी। इसके बाद 2003 में दिनेश लाल यादव का 'निरहुआ सटल रहे' का एलबम आया। इस एलबम की इतनी लोकप्रियता रही कि उन्हें निरहुआ के नाम से लोग जानने लगे। पूर्वांचल में अपनी अलग पहचान बनाने में इस एलबम का बहुत बड़ा योगदान रहा। भोजपुरी की दुनिया में उन्हें उठाने में स्थानीय नेता व वर्तमान में गाजीपुर से विधायक सुभाष पासी ने मदद की। वह 2005 में मुम्बई चले गए और यहां पर उन्हें पहली फिल्म 'चलत मुसाफिर..' मिली, जिसमें उन्होंने दो गाने गए और अभिनय भी किया। इसमें उन्होंने छैला बिहारी के दोस्त का किरदार निभाया। इसके उन्हें फिल्मों के रोल ऑफर होने लगे।
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1981 में जन्में दिनेश लाल यादव
भोजपुरी फिल्मों के स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ का जन्म 1981 को गाजीपुर (उत्तर प्रदेश) जिले की जखनिया तहसील के टडवां गांव में हुआ। हालांकि वह अपना जन्म 22 मार्च 2003 को भी मानते हैं क्योंकि इसी दिन उन्होंने अपना एलबम 'निरहुआ सटल रहे' लांच किया था और इसने उनकी इतनी लोकप्रियता बढ़ाई कि लोग इन्हें 'निरहुआ' के नाम से जानने लगे। उत्तर प्रदेश के दिनेश लाल यादव का बचपन कोलकाता में बीता। उनके पिता कुमार यादव कोलकाता में नौकरी करते थे। निरहुआ के परिवार की बचपन में माली हालत ठीक नहीं थे। उनके पिता को महज 3500 रुपये महीने में मिलते थे और उन्हें सात लोगों का परिवार चलाना होता था। घर का खर्च सही तरीके से न चलने के कारण दोनों बेटों को लेकर कोलकाता चले गए। गांव में उन्होंने पत्नी और तीन बेटियों को गांव में ही छोड़ दिया था। निरहुआ ने कोलकाता में संघर्ष किया, वह अपने पिता के साथ एक झोपड़पट्टी रहे। कोलकाता में ही उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की। वह 1997 गांव वापस चले और गाजीपुर के मलिकपुरा कॉलेज से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता चाहते थे कि वह पढ़-लिखकर अच्छी नौकरी हासिल करें, लेकिन निरहुआ का मन तो गायकी में लगता था। निरहुआ अपने चचेरे भाई और मशहूर बिरहा गायक विजय लाल यादव से काफी हुए और उन्होंने बिरहा गाना शुरू कर दिया। प्यारेलाल की सिफारिश से उन्हें काम मिलना शुरू हुआ। दिनेश कभी ढोलक तो कभी हारमोनियम बजाते तो कभी-कभी कोरस में भी गाने लगते। बताया जाता है कि वह गांव में भैसों को चराते समय भी बिरहा गाया करते थे। बिग बॉस के सीजन-6 में शिरकत कर चुके दिनेश लाल यादव की पत्नी आम्रपाली दुबे है जो कि भोजपुरी दुनिया की अभिनेत्री है।
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कभी सपा के खास रहे दिनेश लाल यादव
आज दिेनेश लाल यादव आजमगढ़ से चुनाव लड़ने जा रहे हैं और उनके सामने सपा के मुखिया अखिलेश यादव है। भोजपुरी फिल्मों के जुबली स्टार कहे जाने वाले दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने पहली बार 2013 में समाजवादी पार्टी के साथ मंच पर नजर आए थे। स्टार बन चुके निरहुआ 2013 में जून में पहली बार राजनीतिक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आए। बड़ा चेहरा होने के कारण उस समय के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के दाहिनी तरफ निरहुआ के जगह दी गई। तब शायद सपा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा रहा होगा कि जिससे पार्टी ने सराखों पर बैठाया, वहीं पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के सामने लड़ेगा। अखिलेश यादव की सरकार में ही उन्हें यश-भारती पुरस्कार से भी नवाजा गया था। भाजपा में शामिल होते ही उन्हें सराखों पर बैठाया गया है। एक हफ्ते के अंदर ही उन्हें सरकार ने वाई-श्रेणी की सुरक्षा दे दी है। यही नहीं 27 मार्च को पार्टी की सदस्यता लेने वाले दिनेश लाल को पार्टी ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से टिकट दे दिया है। इस सीट से पिछले चुनाव में भाजपा की तरफ से लड़े रमाकांत यादव को सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने हराया था। भाजपा में शामिल होते ही दिनेश ने कहा कि अखिलेश यादव भाई जैसे हैं लेकिन सिर्फ यादव होने के चलते उन्हें समर्थन देना मेरी फितरत नहीं। यही नहीं उन्होंने कहा कि वे 'अखिलेश भक्त' नहीं 'देश भक्त' हैं।
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