गंगा की गोद में बसे गांवों में चढ़ा सियासी पारा, अचानक बढ़ी रौनक
पूर्वाचल यानि पूर्वी उत्तर प्रदेश मां गंगा की गोद में इस इलाके में इस समय अच्छी खासी सियासी हलचल मची हुई है। गंगा किनारे के गांवों में इस समय सियासी पारा चढ़ा हुआ है। लग्जरी गाड़ियों की आवक एकाएक बढ़ गई है। गांवों की दशा भले ही खराब हो लेकिन यहां के लोगों ने भी अच्छे दिन आने का ख्वाब देखना शुरू कर दिया है। कहीं पुल की मांग हो रही है, तो कहीं बंधे की मांग हो रही है, तो कहीं गांव में बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाने की मांग हो रही है। ये सब ऐसे ही नहीं संभव हुआ है बल्कि कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी की वजह हुआ है।
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पूर्वांचल की कमान संभालने वाली प्रियंका गांधी ने गंगा किनारे बसे गांवों के वोटरों का दिल जीतने के लिए पूर्वांचल की अपनी यात्रा के दौरान सड़कमार्ग न चुनते हुए जलमार्ग चुना है। जलमार्ग चुनने की वजह से गंगा किनारे बसे गांवों में इस समय गजब की सियासी हलचल मची हुई है। प्रभारी बनने के बाद पहली जलमार्ग के जरिए प्रयागराज से बनारस जा रही प्रियंका गांधी को देखने के लिए इस समय गजब की भीड़ इकठ्ठा हो रही है। गांवों में प्रत्याशियों से लेकर पूर्वांचल के बड़े नेताओं की भीड़ भी इकठ्ठा हो रही है। प्रियंका गांधी भले ही स्टीमर के जरिए गांवों में पहुंच रही है। लेकिन जिस गांवों में प्रियंका गांधी का कार्यक्रम तय हो रहा है उस गांवों में एक दो नहीं बल्कि दर्जनों लग्जरी गाड़ियां नजर आ रही है। प्रियंका गांधी की इस यात्रा से गठबंधन के साथ ही बीजेपी खेमे में भी हलचल मची हुई है। हलचल मचने की वजह वोट बैंक है। गंगा की तलहटी पर दलित और अति पिछड़ी जातियों का अधिक बसेरा है। ऐसे में अगर प्रियंका गांधी का जादू यहां पर चलता है, तो फिर अन्य पार्टियों के लिए काफी मुश्किल होगा।
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प्रियंका गांधी ने अपना रहीं पुराना तरीका
बड़ी-बड़ी जनसभाओं को करने से हमेशा ही बचने वाली प्रियंका गांधी फिर से अपनी पुरानी फॉर्म में लौट आई हैं। जिस तरीके से वह रायबरेली और अमेठी में चुनाव के दौरान एक-एक दिन में दर्जनों नुक्कड़ जनसभाएं किया करती थी, ठीक वहीं तरीका यहां पर भी वह अपना रही है। वह गंगा किनारे बसे गांवों में रूककर लोगों से रूबरू हो रही है और सीता जनसंवाद भी कर रही है। तीन दिवसीय यात्रा पर निकली प्रियंका गांधी ने पहले दिन चार जगह पर जनसभाएं की। वह दुमदुमा, सिरसा और लालागृह में रुककर लोगों से रूबरू हुईं। सिर्फ यही नहीं सिरसा बाजार में उन्होंने पैदल यात्रा भी की और शिवगंगा वाटिका गेस्टहाउस में जनसभा को भी सम्बोधित किया। वह जनसभा करके मोदी सरकार को घेर रही और अपने भाई का हाथ मजबूत करने के लिए लोगों से अपील कर रही है। बता दें प्रियंका गांधी रायबरेली और अमेठी में जब चुनावी कमान संभालती थी, उस दौरान वह एक-एक दिन में दर्जनों सभाएं करके जनता से जुड़ने की कोशिश करती थी। कल जब उन्होंने यही तरीका अपनाया, तो सिर्फ उन्होंने अपनी बात जनता के सामने नहीं रखी बल्कि जनता को भी मौका दिया।
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सावित्रीबाई फुले बनी बड़ा चेहरा
पूर्वांचल की उनकी इस यात्रा के दौरान प्रियंका गांधी के नजदीक जो दो नेत्री सबसे करीब नजर आ रही है, उनमें एक बहराइच से सांसद सावित्रीबाई फुले और दूसरी प्रतापगढ़ की रामपुर विधानसभा से विधायक आराधना मिश्रा है। बता दें बहराइच से सांसद सावित्रीबाई फुले अभी कुछ दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुई हैं और जिस तरीके से वह साथ नजर आ रही है। उसका साफ मतलब समझा जा सकता है कि सावित्रीबाई फुले को कांग्रेस पूर्वांचल में दलितों का एक चेहरा बनाने की कोशिश कर रही है। गंगा किनारे के इन गांवों में दलित और पिछड़ी जाति के लोग अधिक रहते हैं। ऐसे में सावित्रीबाई फुले को साथ लेकर प्रियंका गांधी ये बताने की कोशिश कर रही है, कि कांग्रेस सभी जाति और वर्ग के लोगों को साथ लेकर चल रही है।
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मंदिर की भी कर रही सियासत
प्रयागराज से बनारस की यात्रा पर निकली कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी लोगों से मिलने के साथ ही साथ मंदिरों में भी जा रही है। सोमवार को उन्होंने अपनी यात्रा की शुरुआत प्रयागराज में संगम तट पर लेटे हनुमानजी और अक्षयवट की पूजा अर्चना के साथ की। इसके अलावा उन्होंने रास्ते में पड़ने वाले मंदिरों के भी दर्शन किए। वह सिरसाघाट भी गई और हनुमान जी के दर्शन किए। दूसरे दिन वह मिर्जापुर जिले के विंध्याचल में जाएगी और मां विंध्वासिनी के दर्शन करेंगी। इसके बाद वह भदोही के कांतिट इलाके में मौलाना इस्माइल चिश्ती की दरगाह भी जाएंगी।
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क्या है राजनीतिक गणित
प्रियंका गांधी प्रयागराज से वाराणसी तक जाएगी और गंगा नदी यहां पांच जिलों में बहती है। इन जिलों की छह लोकसभा सीटें आती है। ऐसे में कांग्रेस और प्रियंका गांधी की नजर इन सीटों पर है। इसमें बनारस, प्रयागराज, फूलपुर, भदोही, मिर्जापुर और राबर्ट्सगंज की लोकसभा सीटें है। ऐसे में कांग्रेस की नजर इन लोकसभा सीटों पर जान फूंकना है। बता दें यहां पर 2009 के चुनाव के समय भी कांग्रेस चौथे नंबर पर थी। ऐसे में यह यात्रा बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को भी नई ऊर्जा और जान फूंकने का काम करेंगी। उनकी यह यात्रा 20 मार्च को बनारस में सम्पन्न होगी। उन्होंने 17 मार्च को यूपी के लोगों को संदेश देते हुए लिखा, 'मैं इस धरती से आत्मिक रूप से जुड़ी हूं और यह मानती हूं कि प्रदेश में किसी भी तरह के राजनीतिक परिवर्तन की शुरुआत आपकी पीड़ा को साझा किए बिना नहीं हो सकती। इसलिए सीधा आपसे सच्चा संवाद करने के लिए मैं आपके द्वार पर पहुंच रही हूं।'
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