दिल्ली: इस गांव का इकलौता मतदाता भी नहीं डाल पाएगा वोट
अभी कुछ दिनों पहले चुनाव आयोग की हम लोग ने तारीफ की थी। जब जूनागढ़ के गिर फॉरेस्ट में पुजारी भारतदास बापू के लिए अलग पोलिंग बूथ बनाया गया। लेकिन राजधानी में ही इस बार एक मतदाता वोट नहीं डाल पाएगा। उसका कारण यह है कि वह गांव में अकेले रहते हैं और इस बार उनका नाम काट दिया गया है। इससे पहले कई चुनावों में मतदान किया था, लेकिन इस बार उनका नाम ही काट दिया गया।
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दिल्ली के नजफगढ़ क्षेत्र में रहने वाले करीब 77 साल के हरिनाथ यहां शेरपुर डेयरी गांव, जिससे उज्जड़खेड़ा गांव भी कहते हैं। वे अकेले इंसान हैं जो इस गांव में रहते हैं। इस गांव में उनके नाम पर वोट भी बना हुआ था। लेकिन इस बार उनका नाम काट दिया गया है। इस गांव का नाम दिल्ली के राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है। वह इस गांव में हरिनाथ पिछले 20 साल से भी अधिक समय रह रहे हैं। गंभीर बीमारी होने की वजह से पिछले दो महीने से उनका इलाज अलवर के एक अस्पताल में चल रहा है। हरिनाथ के वोटर आई कार्ड पर शेरपुर डेयरी का नाम लिखा था और उनका पोलिंग स्टेशन उजवा गांव में पड़ता है।
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आखिर क्या है गांव की कहानी
शेरपुर डेयरी गांव राजस्व गांव में अभी भी है, लेकिन पूरा गांव उजड़ गया है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस गांव को औरंगजेब के समय में बसाया गया था। उस समय औरंगजेब की सेना में शेर खां और जैन खां नाम के दो सैनिक थे। युद्ध में वीरता से लड़ने के कारण उन्हें दो गांव दिए गए थे। शेरपुर डेयरी गांव का नाम शेरखां के नाम पर पड़ा था, वहीं जैनपुर गांव का नाम जैन खां के नाम पर पड़ा था। नजफगढ़ में बसा शेरपुर डेयरी गांव ऊपरी हिस्से में बसा हुआ है। ऊपरी इलाके में गांव बसा होने के कारण यहां पानी की बड़ी समस्या हो गई और धीरे-धीरे यह गांव उजड़ गया। वहीं जैनपुर गांव निचले हिस्से में बसा हुआ है और यहां पर हर साल बाढ़ आती है। जिसकी वजह से यह गांव भी पूरी तरह से उजड़ गया है। इन गांवों का इतिहास 300 साल से भी ज्यादा पुराना है। दिल्ली सरकार के राजस्व रिकॉर्ड में इन गांवों का वजूद अभी भी कायम है, लेकिन यह गांव पूरी तरह से उजड़ गया है। अब यहां पर सिर्फ गुरुवार को लोग सैय्यद मजार पर दीया जलाने आते हैं।
कैसे पहुंचें गांव तक
दिल्ली का यह गांव नजफगढ़ से करीब 10 किलोमीटर दूर बसा है। इस गांव तक अगर आप जाना चाहते हैं तो नजफगढ़ से खैरा मोड़ से जा सकते हैं। खैरा मोड़ से बाएं मुड़ने के बाद खेड़ा डाबर गांव आता है। यहां पर दिल्ली सरकार का आयुर्वेदिक अस्पताल है। अस्पताल की दीवार के साथ-साथ खेतों में एक रास्ता जाता है। कुछ दूर चलने पर नाले पर एक पुल बना है। पुल से सीधे जाने पर इस गांव तक पहुंचा जा सकता है।
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