गठबंधन छोड़ कांग्रेस और बीजेपी में आ रहे कद्दावर नेता, नाराजगी की ये है वजह
दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से ही जाता है और यहां पर अधिक से अधिक लोकसभा सीटें जीतने में सभी पार्टियां लगी हुई हैं। सियासी गणित के साथ ही 'आयाराम-गयाराम' का जुमला शुरू हो गया है। सपा और बसपा के बीच गठबंधन होने के बाद नाराज नेताओं ने कपड़ों की तरह से पार्टियां बदलना शुरू कर दिया है। उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा से नाराज वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस और भाजपा का दामन थामना शुरू कर दिया है। गठबंधन होने के बाद दोनों ही पर्टियों के बड़े नेताओं ने अपना पलड़ा बदल लिया है। नेताओं की नाराजगी की वजह गठबंधन के बीच में सीटों का बंटवारा होना और लोकसभा का टिकट न मिलना है। यही नहीं भाजपा से भी नाराज नेताओं ने कांग्रेस सहित अन्य पर्टियों में अपनी इंट्री कर ली है। एक के बाद एक नेताओं के पार्टी छोड़ने की वजह से सपा और बसपा नेतृत्व की चिताएं बढ़ने लगी है। पुलवामा हमला, पाकिस्तान पर वायु स्ट्राइक और नेताओं की अदला-बदली होने की वजह से अब यह सुगबाहट तेज हो गई है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, बसपा और सपा मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं।
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सपा से पूर्व सांसद राकेश सचान ने छोड़ी पार्टी
15वीं लोकसभा में फतेहपुर से चुनकर जाने वाले पूर्व सांसद राकेश सचान ने सपा का दामन छोड़कर 'हाथ' का साथ ले लिया है। बता दें गठबंधन में फतेहपुर लोकसभा सीट बसपा के हिस्से में गई हैं। बसपा ने यहां से सुखदेव वर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। बसपा की घोषणा के बाद ही राकेश सचान ने अपनी तालाश कांग्रेस में खोजनी शुरू कर दी और आखिरकार वह कामयाब भी हुए। उन्होंने प्रियंका गांधी की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया। उनके साथ में भाजपा से बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले ने कांग्रेस का दामन थाम लिया।
कैसर जहां कांग्रेस में भी हुई शामिल
सीतापुर की कद्दावर नेता और पूर्व सांसद कैसर जहां ने भी कांग्रेस में शामिल हो गई। बसपा ने जैसे ही सीतापुर से नकुल दुबे को लोकसभा प्रभारी घोषित किया, वैसे ही कैसर जहां ने अपनी तलाश दूसरी पर्टियों में शुरू कर दी। आखिरकार उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता लिया। कैसरजहां 2009 में बसपा के टिकट से सांसद चुनी गईं थी। 2014 के लोकसभा चुनाव में वह भाजपा उम्मीदवार राकेश वर्मा से हार गईं थीं। उनके साथ में उनके पति और लहरपुर से विधायक रहे जसमीर भी शामिल हुए। इन दंपति का सीतापुर की राजनीति में अच्छा प्रभाव माना जाता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस के टिकट पर कैसर या जसमीर सीतापुर से चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस पार्टी में उनके साथ में पूर्व आईपीएस आफताब अहमद खान, चैम्बर ऑफ कॉमर्स के वाइस चेयरमैन सुरेंद्र कुमार और मोहम्मद फारूक खान एडवोकेट ने भी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। इसके अलावा पूर्व बसपा प्रत्याशी अशफाक खां, जिला पंचायत सदस्य शाकिर, सभासद रिजवान, अब्दुल खालिद, नौशाद खां के अलावा लहरपुर नगरपालिका से सभासदगण अब्दुल मतीन राना, अब्दुल मोबीन, अब्दुल फारूक, नसीर खां, मुन्नी देवी, राजू खां, इसरार, सुहैल खां, दिलीप जोशी, राजकुमार, सुशील मिश्रा, रऊफ, वसीम अंसारी, रिजवान खां, सईद अहमद, इस्लामुद्दीन, सौरभ पुरी, अयाज खां, शाबान, प्रेमकांति एवं शमशाद आदि ने भी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की।
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बसपा और सपा के ये नेता बीजेपी में हुए शामिल
सपा और बसपा से नाराज होकर बीजेपी में कई विधायक और मंत्री शामिल होंगे। बसपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व राज्यमंत्री मुकुल उपाध्याय (हाथरस), पूर्व राज्यमंत्री रामहेत भारती (सीतापुर), बसपा के जोनल कॉआर्डिनेटर आगरा क्षेत्र ध्रुव पाराशर, सपा की पूर्व विधायक दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री बीना भारद्वाज (रामपुर), अखिल भारतीय आंगनवाड़ी कर्मचारी महासंघ की अध्यक्ष सावित्री चौधरी (बुलंदशहर) तथा सामाजिक कार्यकर्ता शोमिल शर्मा (कानपुर) ने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ली। इन नेताओं को पार्टी मुख्यालय पर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पाण्डेय भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई।
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