लोकसभा चुनाव 2019: क्या मुलायम सिंह यादव नहीं होंगे समाजवादी पार्टी के स्टार प्रचारक?

समाजवादी पार्टी के संरक्षक और सांसद मुलायम सिंह यादव लोकसभा चुनाव 2019 में मैनुपरी से ही चुनाव लड़ेंगे पर इस बार पार्टी के स्टार प्रचारक नहीं होंगे। समाजवादी पार्टी के अंदर ऐसा ही मंथन चल रहा है। अपने बयानों से समाजवादी पार्टी को बैकफुट पर धकेल देने वाले मुलायम सिंह यादव के बयानों से पार्टी कैसे पीछा छुड़ाए, इस बावत पार्टी में विस्तृत चर्चा हो रही है।
सीधा फायदा भाजपा को होता
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं समेत कार्यकर्ता भी इस बात को लेकर असहज हो जाते हैं और दबी जुबां में कह देते हैं कि सपा मुखिया के ऐसे बयानों से सीधा फायदा भाजपा को होता है। पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता बताया कि लोकसभा चुनाव 2019 में मुलायम सिंह यादव को स्टार प्रचारक बनाने पर भी पार्टी में सभी एक मत नहीं हैं। पर इस बावत अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ही करेंगे।
सूत्रों ने बताया कि लोकसभा में सपा सरंक्षक मुलायम सिंह यादव के 13 फरवरी, 2019 को दिए गए बयान से सीधा फायदा भाजपा को पहुंचा है। भाजपा ने भी इस बात को यूंही जाने नहीं दिया और सीधे तौर इसका फायदा उठाया।
वहीं एक अन्य नेता ने बताया कि 21 फरवरी, 2019 को समाजवादी पार्टी कार्यालय में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और हार्दिक पटेल प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे और मोदी सरकार पर हमला बोल रहे थे। पर प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म होने के बाद जब अखिलेश यादव और हार्दिक पटेल लोहिया सभागार से बाहर आए तो बाहर मैदान में मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करना शुरू कर दिया। पहले तो अखिलेश यादव ने हार्दिक पटेल से मुलायम सिंह यादव को मिलवाया। फिर वहां से निकल गए। वहीं मुलायम सिंह यादव ने सपा—बसपा गठबंधन को लेकर कह दिया कि पार्टी को खत्म कौन कर रहा है। अपनी ही पार्टी के लोग। इनती मजबूत पार्टी बनी थी। अकेले तीन बार सरकार बनाई, तीनों बार हम सीएम रहे। रक्षा मंत्री भी रहे। मजबूत पार्टी थी। हम राजनीति नहीं कर रहे हैं लेकिन हम सही बात रख रहे हैं।
मुलायम सिंह यादव ने गठबंधन पर बात करते हुए कहा कि मायावती से गठबंधन कर लिया, आधी सीट हो गई। पार्टी इतनी मजबूत थी, पार्टी को कमजोर अपने ही लोग कर रहें। उन्होंने कहा कि संरक्षक बना दिया और संरक्षक को क्या काम करना है लिखा ही नही है। मीडिया की उपेक्षा हमारी पार्टी के लोग ज्यादा करते हैं।
मीडिया में यह बयान सुर्खियां बटोर ही रहा था कि अचानक सपा-बसपा ने 75 सीटों की लिस्ट जारी कर दी जिससे उनके पार्टी के उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। ऐसा करके दोनों पार्टियों ने मुलायम के बयान की धार को कम करने की कोशिश की। पर तब तक भाजपा इस बयान पर पॉलिटिकल माइलेज ले लिया और खबर नेशनल मीडिया में छा गई।
2017 नहीं दोहराना चाहती समाजवादी पार्टी
समाजवादी पार्टी के अंदर सुगबुगाहट है कि कहीं पार्टी वर्ष 2017 वाली गलती फिर से तो नहीं दोहरा रही है। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी की परिवारिक कलह खुलकर सामने आ गई थी। अखिलेश यादव एक तरफ तो दूसरी तरफ उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव थे और बीच में थे मुलायम सिंह यादव। पर पार्टी की कलह कुछ यूं सियासी गलियारे का हिस्सा बनी कि भाजपा ने उसको भी चुनावी मुद्दा बना दिया और समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनावों के इतर अपना सबसे खराब प्रदर्शन विधान सभा चुनाव 2017 में किया। सूत्रों ने बताया कि इस बार पार्टी ऐसे किसी भी विवाद को सामने नहीं लाने देना चाहती है जिससे गठबंधन पर कोई असर पड़े और उसका फायदा भाजपा को मिल सके।
सीबीआई से नहीं डरेंगे
मुलायम सिंह यादव के बयान को कई बार उनके और उनके परिवार के खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले से जोड़ कर भी देखा जाता है और इसे मुलायम सिंह यादव के सोच—समझ कर दिया गया बयान बताया जाता है। वहीं समाजवादी पार्टी में ये सुर भी बुलंद हो गए हैं कि कब तक हम लोग सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं से डरते रहेंगे। एक वरिष्ठ नेता बताया कि सबको पता है कि सीबीआई और ईडी जैसी संस्थाओं का प्रयोग सिर्फ राजनीतिक प्रयोग के लिए भाजपा सरकार कर रही है। इनकी सरकार में ऐसी सभी संस्थाओं की गरिमा कम हुई है। लोग भी यह समझने लगे हैं कि नरेंद्र मोदी ने सीबीआई की क्या हालत कर दी है। इसलिए हम लोग को अब सीबीआई डर कर नहीं लोकसभा चुनाव 2019 जीतने कर आगे बढ़ना होगा।
राजनीतिक गठजोड़ का सच कोई नहीं जानता
मुलायम सिंह यादव के बयान ऐसे बयान देने के पीछे क्या सच है, सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही जानते हैं। कहते हैं कि मुलायम सिंह यादव ने भाजपा की सरकार बनवाई भी है तो कांग्रेस की सरकार गिरने से बचाई भी है। राजनीति में मुलायम दुश्मन बनाने से ज्यादा दोस्त बनाने में यकीन रखते हैं। इसलिए समाजवाद को भी वो पूंजीवाद से जोड़कर उत्तर प्रदेश की सत्ता को चलाते हैं। मुलायम सिंह यादव का गणित सिर्फ मुलायम ही जानते हैं और उस गणित का लोकसभा चुनाव 2019 में क्या होगा ये आने वाला समय बताएगा।
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