लोकसभा चुनाव 2019: उत्तर प्रदेश की वो 21 सीटें जिन पर प्रभाव डाल सकती हैं प्रियंका गांधी

लोकसभा चुनाव 2019 का शंखनाद राजनीतिक पार्टियों की तरफ से कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए फिर से चुनाव मैदान में जाने को तैयार है। वहीं भारतीय कांग्रेस पार्टी ने अपने पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव मैदान में जाने की तैयारी कर ली है। इस बार राहुल गांधी का साथ देने के लिए उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी होंगी जिन्हें अभी हाल में ही भारतीय कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव का पद दिया गया है और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए विशेष तौर पर कार्य करने के लिए चुना गया है।
गठबंधन का हिस्सा बनेंगी या एकला चलेगी
उत्तर प्रदेश जहां पहले से ही समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हो चुका है। ऐसे में प्रियंका गांधी के लिए एक चुनौती भरा मौका है कि वो कांग्रेस पार्टी में नई संजीवनी फूंक दें। याद रहे है कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सिर्फ दो सीटें ही मिल पाईं थी। अमेठी और रायबरेली को छोड़कर पूरे प्रदेश भर में हाथ के पंजे को लोगों ने नकार दिया था।
प्रियंका गांधी की चुनौती यहीं से शुरू होती है कि आखिर उत्तर प्रदेश के लिए उनकी रणनीति क्या होगी? खासकर उत्तर प्रदेश में वो क्या कमाल कर पाएंगी? क्या वो सपा-बसपा को साथ लेंगी या फिर एकला चलो की लाइन को पकड़कर आगे बढ़ेगी?
21 सीटों पर दिखा सकती हैं प्रभाव
इंडिया वेव ने अपने अध्ययन में पाया है कि उत्तर प्रदेश की कुल 21 सीटों पर प्रियंका गांधी अपना असर डाल सकती हैं। ये 21 सीटें सहारनपुर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, अलीगढ़, धरौरा, उन्नाव, लखनउ, बाराबंकी, रायबरेली, अमेठी, प्रतापगढ़, फर्रूखाबाद, कानपुर, जालौन, झांसी, इलाहाबाद, गोंडा, वाराणसी, महराजगंज, कुशीनगर, देवरिया या बहराइच हैं। ये वो लोकसभा सीटें हैं जिन पर कांग्रेस मुकाबला कर सकती है। पर जरूरी नहीं है कि इन सभी सीटों पर कांग्रेस को जीत हासिल ही हो। अंतिम फैसला वोटर को ही करना होगा।
लोकसभा चुनाव 2014 में जब कांग्रेस अपनी लोकप्रियता के निचले पायदान पर थी। तब भी सहारनपुर, गाजियाबाद, धरौरा, उन्नाव, लखनऊ, प्रतापगढ़, कानपुर, इलाहाबाद, गोंडा, कुशीनगर सीटों जैसी सीटों पर 1 लाख से अधिक वोट पाई थी। वहीं फर्रूखाबाद, जालौन, झांसी, वाराणसी जैसी लोकसभा सीटों पर 95,000 से 75,000 के बीच में वोट मिले थे। कांग्रेस के लिए सिर्फ रायबरेली और अमेठी सीट को क्रमश: सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने जीता था।
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11 फरवरी को दिखेगी ताकत
प्रियंका गांधी को भले ही जिम्मा पूर्वी उत्तर प्रदेश का दिया गया है। पर वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी जमकर प्रचार करेंगी। प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश में अपने प्रचार की शुरूआत आगामी 11 फरवरी, 2019 से लखनउ में रोड शो करके करेंगी। इस रोड शो में उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी होंगे।
प्रियंका गांधी की कहां होगी नजर
प्रियंका गांधी की नजर सबसे पहले अपनी पारंपरिक सीट रायबरेली और अमेठी पर होगी, जहां बड़े मार्जिन से वो पार्टी को जिताने की तैयारी करेंगी। रायबरेली और अमेठी सीट पर भले ही सपा-बसपा गठबंधन अपने प्रत्याशी न उतारें। पर भाजपा इन दोनों ही सीटों को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देगी। अमेठी सीट पर मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पहले ही लोकसभा चुनाव 2014 में हाथ आजमा चुकी हैं। पर उनको निराशा ही हाथ लगी थी। इसके बावजूद स्मृति ईरानी वहां काफी समय से सक्रिय हैं। इसलिए कहा जा रहा कि राहुल गांधी अमेठी के अलावा किसी दूसरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। वहीं रायबरेली में कभी कांग्रेस के एमएलसी रहे दिनेश सिंह आज बीजेपी की तरफ से कांग्रेस के सामने चुनौती बनकर खड़े हैं। इसलिए यहां भी कांग्रेस की चुनौती बड़ी है और प्रियंका गांधी को ही इस चुनौती को पार पाना है।
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जमीन पर उतरेंगी या मार्केटिंग के सहारे रहेंगी प्रियंका गांधी
प्रियंका गांधी के लिए चुनौती यह भी होगी कि क्या वो मीडिया में आने वाली कवरेज को वोटों में बदल पाएंगी। क्योंकि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में भी सपा और कांग्रेस का गठबंधन हुआ था और तब यह भी कहा जाने लगा था कि सपा—कांग्रेस का गठबंधन 300 से ज्यादा सीटें जीतेगा। पर भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों को परास्त कर दिया। सपा-कांग्रेस गठबंधन की नींव तब प्रशांत किशोर ने तैयार की थी जो आज खुद जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो चुके हैं। एक तरह से कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में चुनावों की मार्केटिंग फैल हो चुकी है।
वहीं ऐसे में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान की जीत ने कांग्रेस में नई जान फूंक दी है। प्रियंका गांधी के लिए इन तीनों राज्यों की जीते आगे बढ़ने का कार्य कर सकती हैं। प्रियंका गांधी कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर बढ़ाने के लिए खुद जमीन पर उतरकर लोगों की नब्ज को जानना होगा। अगर जमीन पर उतरकर प्रियंका गांधी खुद लोगों से संवाद करें तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की तस्वीर पर जमी कुछ धूल साफ हो सकती है।
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