मुरादाबाद लोकसभा सीट: पीतल नगरी में मुस्लिम मतदाता तय करते हैं सांसद, समझें पूरा गणित

चुनावी रण के लिए एक बार फिर से तैयार पीतल नगरी की लोकसभा सीट का सियासी समीकरण मुस्लिम मतदाता तय करते हैं। मुस्लिम बाहुल्य वाली मुरादाबाद लोकसभा सीट पर जीत और हार का फैसला इनके ही हाथों में होता है। राजनीति मायनों में काफी अहम पश्चिम यूपी की छठवीं लोकसभा सीट पर इस बार समीकरण पूरी तरह से बदले नजर आ रहे हैं। कांग्रेस का गढ़ कहीं जाने वाली इस सीट पर कई बार सपा का भी कब्जा रहा है। जब तक जनता दल आस्तित्व में रहा तब तक इस सीट पर उसका काफी दबदबा रहा।
यह भी पढ़ें: नगीना लोकसभा सीट: जहां से मायावती लड़ सकती हैं चुनाव
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी लहर में यहां पर पहली बार कमल का फूल खिला। भारतीय जनता पार्टी का परचम फहराते हुए कुंवर सर्वेश कुमार सिंह यहां से सांसद चुने गए। सांसद कुंवर सर्वेश कुमार ने 93 हजार से अधिक वोटों से अपने प्रतिद्वंद्वी सपा उम्मीदवार डा. एसटी हसन को हराया। कांग्रेस व सपा के बीच हमेशा ही लड़ाई में रहने वाली इस सीट से 2009 के लोकसभा चुनाव में भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन सांसद चुने गए थे। ऐसे में एक बार फिर से उम्मीद है कि यहां पर लड़ाई कांग्रेस पार्टी से ही होने वाली है।
कहा यह भी जा रहा है कि महागठबंधन होने के बाद यह सीट सपा के ही खाते में आएगी क्योंकि इस सीट पर अभी तक बसपा अपना खाता नहीं खोल पाई है। वहीं, भाजपा एक बार फिर से यहां से जीतने का पूरा प्रयास करेगी। 2017 के विधानसभा चुनाव में लहर होने के बाद भी मुरादाबाद लोकसभा क्षेत्र में आने वाली पांच विधानसभाओं में से तीन सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा। दो सीटों पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी जीतने में कामयाब रहे। मुरादाबाद लोकसभा सीट का इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। अकबर के शासन काल में मुरादाबाद चौपाल परगना के कार्यालय के रूप में इसे विकसित किया था। बाद में इस पीतल नगरी का नाम मुरादाबाद पड़ा।
मुरादाबाद लोकसभा सीट का इतिहास
पांच विधानसभाओं वाली मुरादाबाद की सीट पर अब तक कांग्रेस, जनसंघ, जनता दल, रालोद व सपा का कब्जा रहा है। जनता दल का इस सीट पर काफी दबदबा रहा है। इस सीट पर 1952 में पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस लगातार दो बार के चुनाव में यहां से विजयी रही। 1967 और 1971 के लोकसभा चुनाव में ये सीट भारतीय जनसंघ के खाते में गई। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां से चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की थी।
1980 के लोकसभा चुनाव में जनता दल यहां से फिर चुनाव जीता, लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद चली कांग्रेस की लहर में यह सीट फिर से कांग्रेस के खाते में गई। इसके बाद 1989 और 1991 के लोकसभा चुनाव में ये सीट जनता दल के खाते रही। 1996 और 1998 में यहां से सपा के प्रत्याशी विजयी रहे। कांग्रेस से टूटकर बनी जगदंबिका पाल की अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस ने 1999 के लोकसभा चुनाव में यहां से जीत दर्ज की। 2004 के चुनाव में एक बार फिर से सपा का कब्जा हुआ। 2009 के लोकसभा चुनाव में यह सीट कांग्रेस के खाते में आई और यहां से पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अजहरुद्दीन सांसद चुने गए। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से पहली बार भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की और कुवंर सर्वेश कुमार सांसद बनें।
यह भी पढ़ें: मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट: जहां पर हर बार बदल जाता है सियासी समीकरण

मुरादाबाद सीट पर वोट का समीकरण
मुरादाबाद लोकसभा सीट में पांच विधानसभाएं बढ़ापुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, मुरादाबाद ग्रामीण और मुरादाबाद नगर आती हैं। बढ़ापुर विधानसभा सीट बिजनौर जिले में है बाकि चार विधानसभा मुरादाबाद में आती है। यहां पर सत्ता की चाबी हमेशा ही मुस्लिम वोटरों के हाथ में रहती है। इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 52.14% हिन्दू और 47.12% मुस्लिम जनसंख्या है। इस लोकसभा सीट पर कुल 18,68,715 वोटर हैं। हालांकि प्रतिशत में भले ही मुस्लिम मतदाताओं का वोट कम है, लेकिन हमेशा ही उनका वोट यहां पर निर्णायक साबित रहा है। 2017 के लोकसभा चुनाव में भले ही सियासी समीकरण भाजपा की तरफ थे, लेकिन इसके बाद भी ठाकुरद्वारा और मुरादाबाद ग्रामीण से मुस्लिम प्रत्याशी ही विजयी रहे। दोनों ही सीटों से क्रमश: सपा से विधायक नवाब जान और हाजी इकराम कुरैशी बनें। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार रहे कुंवर सर्वेश कुमार को कुल 4,85,224 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर रहे सपा के डॉ. एसटी हसन 3,97,720 वोट, बसपा के मो. याकूब तीसरे नंबर पर रहे और उन्हें 1,60,945 वोट और पांचवें नंबर पर रही कांग्रेस की नूर बानो को मात्र 19, 732 वोट मिले थे।
यह भी पढ़ें: बिजनौर लोकसभा सीट: जहां हर बार दिग्गज आजमाते हैं किस्मत
मुस्लिम प्रत्याशियों का रहा दबदबा
मुरादाबाद की सियासत को मुस्लिम केंद्रित इसलिए कहा जाता है कि 1977 के बाद अब तक से महज दो बार ही हिन्दू सांसद बने। 1999 में चंद्र विजय सिंह और 2014 के लोकसभा चुनाव में कुंवर सर्वेश कुमार हैं। इनके अलावा हर बार मुस्लिम समुदाय से आने वाले प्रत्याशियों को यहां की जनता का प्यार मिला है। कई बार पार्टियों ने बाहरी मुस्लिम प्रत्याशियों को भी मुरादाबाद से उतारा, लेकिन इसके बाद भी वह भारी मतों से विजयी रहे। इस लोकसभा सीट पर चार बार सांसद गुलाम मोहम्मद खान सांसद रहे हैं। वे 1977 में लोकदल, 1980 में जनता दल (सेक्युलर) और 1989 और 1991 में जनता दल से सांसद चुने गए। इनके बाद सपा नेता डॉ शफीकुर्रहमान बर्क तीन बार यहां से सांसद चुने गए। वे साल 1996 और 1998 में सांसद चुने गए। इसके बाद 2004 में फिर डॉ शफीकुर्रहमान बर्क सांसद बनें। 2009 में क्रिकेट से राजनीति में आए मोहम्मद अजहरुद्दीन कांग्रेस के टिकट पर लड़े और भारी मतों से चुनाव जीते। मोदी लहर होने के बाद भी कुंवर सर्वेश कुमार डॉ. एसटी हसन से महज 87 हजार वोटों से ही जीत हासिल कर सकें। इस चुनाव में कांग्रेस पांचवें नंबर पर रही, लेकिन इस बाद के चुनाव में यहां का गणित बदलता दिख रहा है।

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को ज्ञापन देते मुरादाबाद के सांसद कुंवर सर्वेश कुमार सिंह
कांग्रेस जीतने का तैयार कर रही खाका
कांग्रेस को खाद-पानी देकर फिर से जिंदा करने की कोशिश कर रही प्रियंका गांधी के लिए मुरादाबाद का चुनाव काफी अहम रहेग। रायबरेली और अमेठी के बाद वे यहां से चुनाव जीताने के लिए पूरी कोशिश करेंगी। यह लोकसभा क्षेत्र भले ही उनके कार्यक्षेत्र में न आता हो, लेकिन मायका होने के कारण इस सीट से उनकी प्रतिष्ठा जुड़ी रहेंगी। मुरादाबाद की 'बहू' होने के नाते इस सीट से चुनाव जीतना उनके लिए काफी अहम रहेगा। बताया जा रहा है कि इस सीट से कांग्रेस राबर्ट वाड्रा के जीजा तहसीन पूनावाला को अपना प्रत्याशी बना सकती है। ऐसे में तहसीन पूनावाला को जिताने के लिए पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ेगी। रायबरेली और अमेठी की सीटों के बाद कांग्रेस की वरीयता में रहेगी। हालांकि कांग्रेस की यूपी की 80 सीटों में से जिन 26 सीटों पर जीतने की पूरी उम्मीद है उन सीटों में मुरादाबाद की सीट भी शामिल है। बताया जा रहा है कि जिन 10 सीटों पर सपा व बसपा का महागठबंधन डमी कैंडिडेट उतारेगा, उनमें मुरादाबाद की सीट भी शामिल रहेगी। कहा जा रहा है कि कांग्रेस तहसीन पूनावाला को मुरादाबाद के अलावा अलीगढ़ या फिर लखनऊ सीट से उतारने पर विचार कर रही है। वैसे, कांग्रेस पार्टी इस सीट पर लोकसभा चुनाव जीतने के लिए पूरी तैयारी कर रही है। यहां से लोकसभा चुनाव जीतने के लिए इस सीट से लोकसभा प्रभारी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी लगातार मुरादाबाद का दौरा कर रहे हैं। वह कार्यकर्ताओं से मीटिंग करके कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से गांव-गांव ही नहीं बल्कि हर बूथ से पार्टी को जिताना है।
सांसद कुंवर सर्वेश कुमार का प्रोफाइल
मुरादाबाद लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का पहला सांसद बनने का गौरव पाने वाले सांसद कुंवर सर्वेश कुमार सिंह पांच बार विधायक रहे हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बाहुबली की छवि रखने वाले बिजनेसमैन कुंवर सर्वेश कुमार सिंह ठाकुर जाति से है। अमरोहा से एक बार सांसद रहे राजा रामपाल सिंह के बेटे सांसद कुंवर सर्वेश कुमार सिंह पांच बार विधायक रहे हैं। पेशे से बिजनेसमैन कुंवर सर्वेश कुमार सिंह 2014 के दौरान कांठ विधानसभा क्षेत्र में लाउडस्पीकर विवाद को लेकर काफी चर्चा में रहे। रानजीतिक रूप से फायदा उठाने के लिए यहां पर बीजेपी नेताओं द्वारा महापंचायत आयोजित की गई थी। इसमें दो समुदाय के बीच में गर्माए विवाद को लेकर उन्होंने खूब सुर्खियां बटोरीं। सर्वेश कुमार पर इस घटना के बाद कई मामले भी दर्ज हुए। पश्चिमी यूपी के बड़े नेता माने जाने वाले कुंवर सर्वेश सिंह के बेटे कुंवर सुशांत सिंह भी बिजनौर जिले की बढ़ापुर विधानसभा से विधायक है। करोड़ों के मालिक कुंवर सर्वेश कुमार सिंह के मुरादाबाद और आसपास में कई कॉलेज और स्कूल है। इसके अलावा वे अपने पिता के नाम से ट्रस्ट भी चलाते हैं। 16वीं लोकसभा में संसद पहुंचने के बाद उन्होंने जनता के प्रति कितना कार्य किया। इसका अंदाजा उनके रिपोर्ट कार्ड से लगाया जा सकता है। उन्होंने संसद में सिर्फ एक बहस में हिस्सा लिया और अपने कार्यकाल के दौरान 105 सवाल पूछे। वे संसद में एनर्जी की स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य रहे।
यह भी पढ़ें: कैराना लोकसभा सीट: महागठबंधन, या फिर कोई और रहेगा भारी
2014 लोकसभा चुनाव का परिणाम
कुंवर सर्वेश कुमार, भारतीय जनता पार्टी, कुल वोट मिले 485,224, 43%
डॉ. एसटी हसन, समाजवादी पार्टी, कुल वोट मिले 397,720, 35.3%
हाजी मोहम्मद याकूब, बहुजन समाज पार्टी, कुल वोट मिले 160,945, 14.3%
इस सेक्शन की और खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
टेक्नोलोजी
अन्य खबरें
Loading next News...
