बिजनौर लोकसभा सीट: जहां हर बार दिग्गज आजमाते हैं किस्मत
उत्तर प्रदेश की चौथी लोकसभा सीट बिजनौर का नाम आते ही सबको बसपा सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की याद आ जाती है। पश्चिमी यूपी की अहम सीटों में से एक पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के जिले की इस सीट की गिनती उत्तर प्रदेश की वीआईपी सीटों में होती है। नए परिसीमन के बाद यह सीट सुरक्षित नहीं रही है, लेकिन इसके बाद भी इस सीट से राजनीतिक दिग्गज अपनी किस्तम आजमा रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में बॉलीवुड अभिनेत्री जयाप्रदा यहां से चुनाव लड़ीं थी। इस सीट से पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमारी, बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती और लोक जनशक्ति पार्टी के राम विलास पासवान भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। यहां की जनता का प्यार मायावती और मीरा कुमारी को मिला है बाकि बड़े नेताओं हार का सामना करना पड़ा है। 2013 में हुए दंगों से बिजनौर लोकसभा सीट भी प्रभावित हुई थी। इस सीट 2014 के लोकसभा चुनाव में इस तरह से कमल खिला कि सबके होश उड़ गए। भाजपा के सदर विधायक रहे कुंवर भारतेंद्र सिंह ने सपा प्रत्याशी शाहनवाज राना को 02 लाख 05 हजार 777 मतों से हराया था।
बिजनौर लोकसभा सीट का इतिहास
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण सीटों में से एक है बिजनौर लोकसभा सीट। इस सीट का इतिहास बहुत ही दिलचस्प रहा है। मेरठ, नगीना, मुजफ्फरनगर जिलों की विधानसभा सीटों को जोड़कर बिजनौर लोकसभा सीट बनी हैं। इस सीट पर शुरुआत से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। देश में हुए पहले चुनाव यानी 1952 में स्वामी रामानंद शास्त्री लोकसभा सदस्य बने थे। इसके बाद इस सीट से वे लगातार जीतते रहे और 1971 के लोकसभा चुनाव तक जीते रहे। इंमरजेंसी के दौरान इस सीट पर जनता दल का कब्जा हुआ। 1977 और 1980 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर जनता दल के मणिराम प्रेमी ने जीत दर्ज की। 1984 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी गिरधारी लाल जीतें। इसके बाद 1985 उपचुनाव में पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार यहां से चुनाव जीती थीं। साल 1989 में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने जीत दर्ज की। इस सीट पर मणिराम प्रेमी ने पहली बार 1991 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का खाता खोला। अब तक चार बार यहां से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में कई बार के विधायक रहे कुंवर भारतेंद्र सिंह ने बीजेपी को यहां से चौथी बार जिताया।
बिजनौर लोकसभा सीट का समीकरण
बिजनौर लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें दो बिजनौर जिले, दो मुजफ्फरनगर जिले और एक मेरठ जिले से आती हैं। इसमें पुरकाजी, मीरापुर, बिजनौर, चांदपुर और हस्तिनापुर है। इसमें से हस्तिनापुर और पुरकाजी विधानसभा सीटें सुरक्षित है। पांच विधानसभाओं वाली इस लोकसभा सीट पर कुल 15 लाख से अधिक वोटर हैं, जिनमें 848606 पुरुष और 713459 महिला वोटर हैं। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 67.9 फीसदी वोट पड़े थे। 2011 की जनगणना के अनुसार, बिजनौर में कुल 55.18 % हिंदू और 44.04% मुस्लिम लोग हैं। इस सीट पर चार लाख से ज्यादा जहां मुस्लिम मतदाता है वहीं इससे कहीं अधिक जाटव व दलित वोटर भी हैं। इस सीट पर
सांसद कुवंर भारतेंद्र सिंह का प्रोफाइल
कई बार बिजनौर से विधायक रहे भारतेंद्र सिंह का नाम 2013 में हुए दंगों के समय आया था। उस समय वह बिजनौर से विधायक थे और उन पर आरोप था कि उन्होंने जनता को भड़काने वाले भाषण दिए। इस मुद्दे को लेकर उन्हें मुजफ्फरनगर कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी। 2014 में बिजनौर से जब भारतेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया गया तो हर कोई हैरान था, क्योंकि अंतिम समय में उनका नाम घोषित किया गया था। भारतेंद्र सिंह दो बार विधायक रह चुके हैं और 2002 में बनी राज्य सरकार में सिंचाई राज्यमंत्री रहे। बिजनौर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए भारतेंद्र सिंह का अपने प्रतिद्वंदी शाहनवाज राना से ही पिछले कई चुनावों में लड़ाई हो रही है। 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में उनक सामना शाहनवाज से ही हुआ और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी भारतेंद्र के सामने शाहनवाज राना ही उम्मीदवार थे। 16वीं लोकसभा में बिजनौर से सांसद कुंवर भारतेंद्र सिंह ने कुल 19 बहस में हिस्सा लिया। उन्होंने अपने कार्यकाल में कुल 298 सवाल पूछे, दो प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए। वह संसद में सोशल जस्टिस की स्टैंडिंग कमेटी, प्राइवेट मेंबर बिल कमेटी और विदेशी मामलों की कमेटी के सदस्य हैं।
कभी तीसरे स्थान पर रही थीं मायावती
बिजनौर लोकसभा सीट पर हमेशा ही चुनावी लड़ाई बहुत ही रोचक रही है। कभी सुरक्षित सीट रही बिजनौर लोकसभा सीट से मायावती दो बार चुनाव लड़ी हैं। 1985 में यहां पर हुआ लोकसभा का उपचुनाव बहुत ही रोचक था। इस चुनाव में कांग्रेस समेत अन्य सभी दलों ने बड़े-बड़े चेहरों को चुनावी मैदान में उतारा था। जिसमें आखिरकार पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमारी ने जीत हासिल की थीं। उन्होंने राम विलास पासवान को 5,339 मतों से पराजित किया था। इस चुनाव में मायावती तीसरे स्थान पर थीं। कांग्रेस की प्रत्याशी मीरा कुमारी ने 1,28,096 मत पाए थे। जबकि राष्ट्रीय लोकदल से प्रत्याशी रहे रामबिलास पासवान को 1,22,747 मत मिले थे। बसपा से चुनाव लड़ रही मायावती को 61,504 मत मिले थे। यह चुनाव उस समय पूरे देश में चर्चा का विषय था। उपचुनाव में हार के बाद भी मायावती ने अपना धैर्य नहीं खोया। इसके बाद 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में यहां की जनता से उन्हें संसद भेजा। राज्यसभा की सदस्तया से इस्तीफा देने और महागठबंधन होने के बाद उनके एक बार फिर से बिजनौर या फिर सुरक्षित नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की बात कहीं जा रही है। मायावती ने बाद में अकबरपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीतकर लोकसभा पहुंचीं। अब परिसीमन के बाद अकबरपुर और बिजनौर सुरक्षित सीट नहीं रह गई हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि मायावती नगीना से चुनाव लड़ सकती है। बता दें कि पूर्व की बिजनौर सीट का लगभग 60 फीसद हिस्सा अब नगीना सीट में ही आता है। ऐसे में कहा जा रहा है कि वह एक बार फिर से यहां चुनाव लड़कर संसद तक जा सकती हैं।
2014 लोकसभा चुनाव का रिजल्ट
कुंवर भारतेंद्र सिंह, भारतीय जनता पार्टी, कुल वोट मिले 486913, 45.9%
शाहनवाज राना, समाजवादी पार्टी, कुल वोट मिले 281136, 26.5%
मलूक नागर, बहुजन समाज पार्टी, कुल वोट मिले 230124, 21.7%
जयाप्रदा, राष्ट्रीय लोकदल, कुल वोट मिले 23348, 2.3%
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