आगरा में आज थम जाएगा चुनावी शोर, समझें इस सीट का गणित
ताज नगरी आगरा में चुनावी माहौल आज अपने अंतिम चरण पर पहुंच चुका है। 18 अप्रैल को लोकतंत्र का पर्व यहां पर मतदाता मनाएंगे। यानि आगरा में वोटिंग गुरुवार को होनी है। आइए आपको ताजनगरी ले चलते हैं जहां पर आज चुनावी शोर काफी तेज रहने वाला है। ताजनगरी की आगरा सुरक्षित लोकसभा क्षेत्र को दलितों का गढ़ भी कहा जाता है। चुनाव की पूरी बिसात जातीय समीकरणों पर बिछी हुई है। भाजपा ने दो बार के सांसद राम शंकर कठेरिया को इटावा भेजकर यहां से कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल को उतारा है, जो जलेसर से तीन बार जीते और फिर फिरोजाबाद से तीन बार हारे। भाजपा वोटर इस बात से खुश है कि कठेरिया की वजह से पार्टी को जो नुकसान होना था वह अब नहीं होगा।
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एसपी सिंह बघेल के बारे में यह कहा जाता वह चुनाव जीत सकते हैं। जलेसर से आने वाले एसपी सिंह बघेल के लिए एक अच्छी बात यह है कि आगरा लोकसभा क्षेत्र में एत्मादपुर और जलेसर का 42 फीसदी वही क्षेत्र है जो कभी जलेसर लोकसभा क्षेत्र में शामिल रहा। बघेल के अलावा यहां से गठबंधन के उम्मीदवार मनोज सोनी हैं, जिन्हें पिछली बार हाथरस में हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने यहां से आयकर अधिकारी के पद से वीआएस लेकर आई प्रीता हरित को मैदान में उतारा हैं। मुख्य दलों के अलावा चंद्रपाल, राजा वाल्मीकि, रामजी लाल विद्यार्थी, हिमांशीं, अंबेडकरी हसनुराम अंबेडकरी, बाबूलाल भी चुनाव लड़ रहे हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से भाजपा के प्रत्याशी रामशंकर कठेरिया को 583716 मत मिले। जबकि बसपा के नारायण सिंह सुमन को 283453 वोट, सपा के महाराज सिंह धनगर को 134708 वोट और कांग्रेस के उम्मीदवार उपेंद्र सिंह को 34834 मत मिले थे। चुनाव अभियान की शुरुआत यही से की गई थी। इस संसदीय सीट से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में अपने लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की थी। मोदी की तरह बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी अपने प्रचार की शुरुआत यहीं से ही की। इससे समझा जा सकता है कि दिल्ली तक पहुंच के लिए आगरा संसदीय सीट की क्या अहमियत है।
क्या है सीट का समीकरण
आगरा लोकसभा सीट के अंतर्गत एटमदपुर, आगरा कैंट, आगरा साउथ, आगरा नॉर्थ और जलेसर विधानसभा सीटें आती हैं। 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के प्रत्याशी प्रो राम शंकर कठेरिया जीते। 1952 के लोकसभा चुनाव में आगरा दो लोकसभा क्षेत्र में बंटा हुआ था। आगरा पूर्वी और आगरा पश्चिम लोकसभा क्षेत्र थे। आगरा पूर्वी से रघुवीर सिंह पहली बार सांसद चुने गए। उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी हृदय नंद कुंजरू को 22,512 वोटों से शिकस्त दी थी। वहीं, आगरा पश्चिमी से सेठ अचल सिंह चुनाव जीते थे। उन्होंने भी निर्दलीय प्रत्याशी कृष्ण दत्त पालीवाल को 56,299 वोट से हराया। तब पश्चिमी सीट पर चार प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। पूर्वी सीट से भी पांच प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाई थी। 1952 से लेकर 1971 तक यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की। जबकि इमरजेंसी के बाद देश में कांग्रेस विरोधी लहर यहां पर भी चली और चौधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय लोक दल के प्रत्याशी ने यहां पर जीत दर्ज की। हालांकि, उसके बाद हुए लगातार दो चुनाव 1980, 1984 में फिर यहां पर कांग्रेस ही जीती। आगरा की सीट कभी कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, यहां पर दूसरे प्रत्याशियों की जीत बहुत दूर-दूर तक नहीं नजर आती थी। लेकिन पिछले करीब दो दशकों में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी या समाजवादी पार्टी ही जीत पाई है। 1984 के बाद यहां पर कांग्रेस पार्टी दोबारा जीत नहीं पाई। 1989 में जनता दल ने इस सीट पर कब्जा किया। उसके बाद देश में हुए लगातार तीन लोकसभा चुनाव 1991, 1996 और 1998 में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी यहां से विजयी रहे। 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में यहां से समाजवादी पार्टी की ओर से बॉलीवुड अभिनेता राज बब्बर ने यहां पर चुनाव जीता। अब राज बब्बर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसके बाद इस सीट से 2009 और 2014 में राम शंकर कठेरिया जीते।
आगरा का जातीय समीकरण
आगरा लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र में है। ये हैं आगरा दक्षिण, आगरा उत्तर, छावनी, एत्मादपुर, जलेसर। कुल मतदाता 1904698 हैं। इनमें 864520 महिला और 1040090 पुरुष मतदाता हैं। जातीय समीकरण पर नजर डालें तो लगभग 3.15 लाख मतदाता वैश्य, अनुसूचित जाति के 2.80 लाख, मुस्लिम 2.70 लाख मतदाता है, वहीं बघेल 1.30 लाख हैं। इस चुनाव में एसपी सिंह बघेल कुर्मी, बघेल, कुशवाह के साथ भाजपा के वोट परंपरागत वोटर वैश्य, ब्राह्मण, ठाकुर आदि जातियों के सहारे चुनावी मैदान में हैं। मनोज सोनी बसपा के परंपरागत वोट बैंक एससी के साथ-साथ सपा यादव, कुशवाह, लोधी आदि जातियों के भरोसे किस्मत आजमा रहे हैं। यहां पर हिंदू मतदाताओं की संख्या 80.69 प्रतिशत, मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 15.37 प्रतिशत, जैन समुदाय का 1.04 प्रतिशत, सिख समुदाय का 0.62 प्रतिशत, ईसाई समुदाय का 0.19 प्रतिशत और बौद्ध मतदाताओं की संख्या 0.19 प्रतिशत है।
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क्या है यहां के प्रमुख मुद्दे
आगरा में दो बार सांसद रहे प्रोफ़ेसर राम शंकर कठेरिया ने कई वादे किए थे। इसमें उन्होंने कहा था कि स्टेडियम बनाएंगे, एयरपोर्ट बनाएंगे, हाई कोर्ट बेंच लाएंगे लेकिन कोई पूरा नहीं किया।
आलू में 40 प्रतिशत लोग किसानी से जुड़े हुए है। किसानों के मुद्दे का चुनावों पर भी काफी असर होता है। खासकर, इस साल की शुरुआत में आलू किसानों के प्रदर्शन ने राजनीतिक गलियारों में सरगर्मी काफी बढ़ा दी। आलू किसान ज्यादा उत्पादन की वजह से कम दाम की मार झेल रहे थे। आलू किसानों की समस्या का जिक्र आगरा से लेकर दिल्ली और लखनऊ तक भी हुआ।
ताज महल का भी विवाद काफी रहा है। राज्य सरकार ने जो पर्यटन पुस्तिका जारी की थी उसमें ताज महल का नाम शामिल नहीं था। इसकी आलोचना किए जाने पर पार्टी के विधायक संगीत सोम ने यह कहकर विवाद को जन्म दे दिया था कि ताज महल भारतीय संस्कृति के नाम पर कलंक है और इसे बनाने वाला गद्दार था। हालांकि योगी आदित्यनाथ संभालने की कोशिश की। यही नहीं बीजेपी के फायरब्रैंड नेता विनय कटियार ने यह कह दिया कि ताज महल दरअसल शिव मंदिर हुआ करता था, जिसे मुगलों ने तोड़कर ताज महल बना दिया।
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आगरा का अब तक का परिणाम
साल जीते हारे
1952 सेठ अचल सिंह (कांग्रेस) कृष्ण दत्त पालीवाल (निर्दल)
1957 सेठ अचल सिंह (कांग्रेस) कृष्ण दत्त पालीवाल (निर्दल)
1962 सेठ अचल सिंह (कांग्रेस) हैदर बख्श (रिपब्लिक पार्टी)
1967 सेठ अचल सिंह (कांग्रेस) एच रानी
1971 सेठ अचल सिंह (कांग्रेस) बाबू लाल सिंघल (भारातीय क्रांति दल)
1977 शंभूनाथ चतुर्वेदी (भा. लोकदल) अचल सिंह (कांग्रेस)
1980 निहाल सिंह (कांग्रेस) आदि राम सिंघल (जनता पार्टी)
1984 निहाल सिंह (कांग्रेस) उदयन शर्मा (लोकदल)
1989 अजय सिंह (जनता दल) निहाल सिंह (कांग्रेस)
1991 भगवान शंकर रावत (भाजपा) अजय सिंह (जनता पार्टी)
1996 भगवान शंकर रावत (भाजपा) एके मौर्या (बसपा)
1998 भगवान शंकर रावत (भाजपा) रामेश्वर सिंह (निर्दल)
1999 राज बब्बर (सपा) भगवान शंकर रावत (भाजपा)
2004 राज बब्बर (सपा) मुरारीलाल फतेहपुरिया (भाजपा)
2009 डॉक्टर राम शंकर कठेरिया कुंवर चंद्र वकील (बसपा)
2014 डॉक्टर राम शंकर कठेरिया नारायण सिंह सुमन (बसपा)
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