सोनिया इस वजह से लड़ेंगी चुनाव, दूसरे प्रत्याशी का जीतना था नामुमकिन!
प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी करने के साथ ही कांग्रेस मिशन-2019 को फतेह करने में पूरी तरह से जुट गई है। मिशन-2019 को फतेह करने के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली लिस्ट में 15 उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसमें यूपी से 11 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। इस लिस्ट में सोनिया गांधी और राहुल गांधी का भी नाम शामिल है। यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परम्परागत वाली लोकसभा सीटों से ही चुनाव लड़ेंगे। इस घोषणा के साथ ही सोनिया गांधी के राजनीतिक से सन्यास लेने की चल रही अटकलों पर भी विराम लग गया है। सोनिया गांधी को रायबरेली से चुनाव मैदान में उतारने का फैसला कांग्रेस ने सोच-समझकर लिया है। एक तरफ जहां सोनिया गांधी का इतने बड़े चुनाव में राहुल गांधी के साथ संसद में होना जरूरी था, तो वहीं रायबरेली से दूसरा प्रत्याशी उतारने पर उसके हारने की संभावना भी अधिक थी।
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दरअसल, कांग्रेस को उसके ही गढ़ में हारने के लिए भारतीय जनता पार्टी पूरी रणनीति के तहत काम कर रही है। कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण दोनों ही जिलों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं आकर रैलियां की है। पिछले साल 16 दिसंबर को रायबरेली की रेलकोच फैक्ट्री में आकर पीएम मोदी ने जिलेवासियों को करोड़ों रुपये की सौगात दी थी। जनता को सम्बोधित करते हुए उन्होंने गांधी परिवार का नाम लिए बिना ही महापुरुषों के साथ ही लोगों को याद दिलाया था कि यह राज नारायण की भी धरती है। राज नारायण ने रायबरेली से 1977 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चुनाव हराया था। वैसे ही कुछ इस बार रायबरेली से सोनिया गांधी को हराने के लिए उन्होंने पूरा दम लगा रखा है।
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यहां से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह सोनिया गांधी के सामने उतरने की पूरी तरह तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने बीते कुछ महीनों में रायबरेली वासियों को करोड़ों रुपये की सौगात दी है। रायबरेली के जिस क्षेत्र में कांग्रेस का अधिक दबदबा है उस क्षेत्र में 'विकास की गंगा' बहा दी गई है। रायबरेली में एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने जिला पंचायत से अरबों रुपये का काम महज चंद महीनों में कराया है। उन्होंने गांव-गांव सड़कों का जाल बिछा दिया है। उन्होंने जिस तरीके से काम किया है, उसको देखते हुए जिले के लोग कह रहे हैं कि जिस तरीके से एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने काम किया है, उससे अगर रायबरेली में गांधी परिवार के अलावा कोई और प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में उतरता तो वह चुनाव हार जाता, लेकिन कांग्रेस ने सोनिया गांधी को चुनाव मैदान में उतारकर अपनी सीट को बरकरार रखने की पूरी कोशिश की है। हरचंदपुर क्षेत्र के नयापुरवा गांव के निवासी संजय यादव ने बताया कि एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेस छोड़ जब से बीजेपी में शामिल हुए है, तब से उन्होंने जिले में विकास की बहार ला दी है। वे अरबों रुपये की योजनाएं केंद्र और यूपी सरकार से लाकर आए है। जिससे की रायबरेली का विकास किया जा सके। उन्होंने बताया कि एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह ने गांव-गांव को सड़कों से जोड़ने का काम किया है। यही नहीं गांवों में टीन-शेड और गौशालाएं खुलवाकर गांव के लोगों को काफी राहत दी है।
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'मैं चिराग हूं तुम्हारा'
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी को रायबरेली से हराने के लिए इस बार स्थानीय एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह बहुत मेहनत कर रहे हैं। जिले में हर जगह पर उनके 'मैं चिराग हूं तुम्हारा' के बैनर पोस्टर लगे हुए हैं। स्थानीय पत्रकार संजय मौर्य बताते हैं कि यह लोकसभा देश के इतिहास में बहुत ही रोचक होने वाला है। हमेशा ही सबकी निगाहें रायबरेली और अमेठी पर ही लगी रहती है। इस बार बीजेपी जिस तरीके दमदारी के साथ दोनों ही लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है, उससे यह चुनाव बहुत ही रोचक होने वाला है। उन्होंने बताया कि जिले की जनता में अपनी पैठ बनाने के लिए एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह लगातार गांवों का दौरा कर रहे हैं। उन्होंने गांव-गांव में विकास की बयार ला दी है। गांवों में सड़कों के साथ ही टीन-शेड के अलावा गौशालाएं खुलवाकर जिले की जनता का दिल जीतने का काम किया है। उन्होंने बताया कि एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह के एक भाई अवधेश सिंह जिला पंचायत अध्यक्ष और एक भाई राकेश सिंह हरचंदपुर विधानसभा से कांग्रेस विधायक है। जनता के बीच में उनका अधिक प्रतिनिधित्व है और जिले में उनका वोट बैंक भी काफी है। ऐसे में यह कहा जा रहा है कि बीजेपी दिनेश सिंह को रायबरेली से उम्मीदवार घोषित कर सकती है। उन्होंने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की रैली जिले थी उस समय कुमार विश्वास का नाम बीजेपी के साथ जुड़ा था, लेकिन न तो कुमार विश्वास रैली में शामिल हुए और न ही अभी तक वे पार्टी में भी शामिल हुए है। वे बताते हैं कि अगर दिनेश सिंह को पार्टी उम्मीदवार बनाती है, तो यह चुनाव बहुत ही रोचक होने जा रहा है।
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पत्रकार आरबी सिंह बताते हैं कि अगर इस चुनाव में गांधी परिवार के अलावा कांग्रेस किसी और प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाती तो फिर कड़ा मुकाबला होता। उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी के एक बार फिर से मैदान में आने से बीजेपी के लिए मुकाबला थोड़ा कठिन होगा, लेकिन चुनाव जीतना कोई नामुमकिन नहीं होगा। रायबरेली की जनता कब अपना रूख बदले इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। यहां की जनता प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को हरा सकती है, तो कुछ भी यहां मुमकिन है। वे बताते है कि 16वें लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी के जीत का अंतर कम हुआ था। लाखों में रहने वाला अंतर काफी सिमट गया था। उन्होंने बताया कि बीजेपी का आज भी शहर में काफी वोट है, अगर बीजेपी चुनाव हारती है तो गांवों से हारती है। इस बार एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह गांव-गांव पहुंचकर बीजेपी के लिए वोट पक्का रहे हैं। ऐसे में पिछले लोकसभा चुनाव के परिणाम को देखते हुए कहा जाता है कि इस बार सोनिया गांधी के लिए राह आसान नहीं रहने वाली है।
स्मृति ईरानी दे रही राहुल को टक्कर
कांग्रेस को रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह और अमेठी से केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से कड़ी टक्कर मिल रही है। स्मृति ईरानी ने पिछले पांच सालों में अमेठी में काफी विकास किया है। 3 मार्च को अमेठी पहुंचें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करोड़ों रुपये की योजनाएं अमेठीवासियों को दी। उन्होंने जिले में इंडो रशियन असॉल्ट राइफल के निर्माण के लिए फैक्ट्री की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने 538 करोड़ की 17 परियोजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण भी किया। फैक्ट्री का लोकार्पण करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि इसके शुरू होने से नौजवानों के लिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध होंगे। उन्होंने गांधी परिवार पर हमला बोलते हुए कहा कि यह अमेठी का दुर्भाग्य है कि यहां का विकास नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वोट लेकर जनता को भूल जाना कुछ परिवारों की प्रवृत्ति है। वे लोग गरीब को गरीब बनाये रखना चाहते हैं ताकि गरीबी हटाओ का नारा लगा सकें। प्रधानमंत्री के अलावा स्मृति ईरानी ने भी सांसद राहुल गांधी पर कई आरोप लगाए। अमेठी के वरिष्ठ पत्रकार दिलीप सिंह बताते हैं कि इस बार अमेठी में मुकाबला पहले के मुकाबले कुछ कठिन होगा। गठबंधन से इसबार यहां पर कोई भी उम्मीदवार न होने की वजह से सीधा मुकाबला राहुल गांधी और स्मृति ईरानी से ही होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में कुमार विश्वास के मैदान में आने से मुकाबला त्रिकोणीय था, लेकिन इस बार मुकाबला सिर्फ दो ही पक्षों में होगा। ऐसे में यहां पर राह न तो स्मृति ईरानी के लिए और न ही मौजूदा सांसद राहुल गांधी के लिए आसान रहने वाली है।
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