हरियाणा में सुरक्षित नहीं कांग्रेस का भविष्य, रणदीप की हार दे गई बड़ा संदेश

मोदी लहर में भी कैथल से विधायक बनने वाले कांग्रेस प्रत्याशी रणदीप सुरजेवाला जींद के उपुचनाव में हार गए। सत्ता की चौधर बांगर बेल्ट में लाने का दावा करने वाले रणदीप सुरजेवाला को खुद ही 'जाटलैंड' में हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला की हार कांग्रेस के लिए अच्छा संदेश नहीं देकर गई है।
उनकी इस हार से साफ हो गया है कि प्रदेश की सत्ता पर वर्षों तक रहने वाली कांग्रेस को अभी संगठन को लेकर और काम करने की जरूरत है। यही नहीं चौधर बांगर बेल्ट में जिस तरीके से तीसरे नंबर पर पार्टी की स्थिति रही, उससे कांग्रेस के बड़े नेताओं को सबक लेने की जरूरत है। रणदीप सुरजेवाला को उस समय हार मिली है जब लोकसभा चुनाव एकदम नजदीक आ चुके हैं। ऐसे में प्रदेश की 10 लोकसभा सीटों पर इसका असर पड़ने वाला है।
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932 वोट अधिक मिलने से बची जमानत
मोदी सरकार पर मीडिया के सामने आकर अक्सर हमला बोलने वाले रणदीप सुरजेवाला को जींद के चुनाव में 22 हजार 740 वोट लेकर सुरजेवाला जैसे-तैसे जमानत बचाने में तो कामयाब रहे। अगर उन्हें 932 वोट न और मिलते तो उनकी जमानत भी जब्त हो जाती। एक जगह से विधायक होने के बाद भी वह जिस तरीके से चुनाव जींद में चुनाव लड़ने आए थे, उससे पार्टी को बड़ी उम्मीद थी। लेकिन यहां पर उनकी पराजय कांग्रेस के लिए जरूर चिंता का विषय है। कांग्रेस की रणनीति पूरी तरह से फेल रही। अब उनके सामने सबसे बड़ा संकट ये खड़ा हो गया कि वह अब कैथल में कैसे लौटेंगे। उनके सामने कैथल या जींद में से किसी एक को चुनने की चुनौती होगी।
हरियाणा की जनता का विकल्प बनी जेजेपी
इस चुनाव में दुष्यंत चौटाला की पार्टी जनता की उम्मीदों पर खरी उतरती नजर आ रही है। हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने यहां से दिग्विजय चौटाला को चुनाव मैदान में उतारा था और वह दूसरे नंबर पर रहे। इनेलो इस चुनाव में बुरी तरह से पराजित रही। कांग्रेस के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती के रूप में जेजेपी उतरी है। उपचुनाव में जिस तरह कांग्रेस को दुष्यंत चौटाला जैसे नए नेता की नई नवेली जननायक जनता पार्टी एक बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है वह भविष्य के लिए खतरे की घंटी है।
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