क्यों हो रहा है सबको खांसी, जुखाम? कैसे बच सकते हैं इससे?

इन्फ्लुएंजा के पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रहे हैं। इस बारे में केंद्र ने पिछले सप्ताह एक समीक्षा बैठक की। वायरल संक्रमण वाले मरीजों के इलाज के लिए राज्य अलर्ट पर हैं, अस्पतालों को तैयार कर रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मार्च में इन्फ्लूएंजा वायरस के H3N2 सबटाइप के कारण कम से कम दो मौतों की पुष्टि की - एक हरियाणा में और एक कर्नाटक में। हालांकि, इंटेग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के डेटा से पता चलता है कि फ्लू ने जनवरी के महीने में ही कम से कम नौ लोगों की जान ले ली।
क्यों बढ़ रहे हैं फ्लू के मामले?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने जो आंकड़े उपलब्ध कराए उनके मुताबिक, 9 मार्च तक देश भर में इन्फ्लूएंजा के 3,038 लैबोरेटरी-कनफर्म्ड मामले सामने आए। यह असामान्य रूप से ज़्यादा नहीं हैं क्योंकि पिछले साल कुल 13,202 मामले सामने आए थे। हालांकि, ऐसा माना जा रहा है कि असल में ये मामले इससे ज़्यादा हो सकते हैं क्योंकि क्योंकि सभी का फ्लू के लिए टेस्ट नहीं किया जाता है और हर किसी का रिजल्ट हमेशा सरकार को नहीं भेजा जाता।
अधिकारियों और विशेषज्ञों ने मामलों में मौजूदा वृद्धि को कई कारणों से जिम्मेदार ठहराया है।
एक, यह फ्लू का मौसम है। भारत आमतौर पर हर साल दो पीक्स को देखता है - एक बार जनवरी और मार्च के बीच और फिर अगस्त और अक्टूबर के बीच मॉनसून के बाद। बदलते मौसम वायरस के फैलने के लिए सही वातावरण बनाते हैं। लेकिन यह सिर्फ फ्लू नहीं है जो इस समय फैल रहा है। एडेनोवायरस और कोविड-19 जैसे अन्य श्वसन संक्रमण के मामलों में भी वृद्धि दर्ज की गई है।
इंडियन एक्सप्रेस को एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “अकेले दिल्ली में, जब श्वसन संबंधी लक्षणों वाले अस्पताल में भर्ती मरीजों का परीक्षण किया गया, तो केवल 10% में फ्लू (H3N2) पाया गया। अन्य 15% को वास्तव में कोविड-19 था।” अधिकारी ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में पांच दक्षिणी राज्यों और गुजरात में कोविड-19 मामलों में वृद्धि हुई है।

दो, महामारी के दौरान कम फ्लू के संक्रमण ने आबादी के बड़े हिस्से की इम्युनिटी को कमज़ोर कर दिया है। "हर साल, इन्फ्लूएंजा का सब-क्लीनिकल प्रसार होता है और लोग इससे इम्यून हो जाते हैं। डॉ. सुजीत सिंह, पूर्व निदेशक और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र के सलाहकार ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि महामारी के दौरान, लोग मक़सक लगाते थे, भीड़-भाड़ वाले इलाकों से दूर रहे, और एक जगह इकट्ठे नहीं हुए इसलिए यह ज़्यादा नहीं फैला। इस साल इसके बढ़ने का यही कारण है। इसलिए यह प्रसार नहीं हो सका। 2020 और 2021 में क्रमशः 2,752 और 778 फ्लू के कम मामले दर्ज किए गए।
तीन, फ्लू वायरस की संरचना बदलने की बहुत संभावना है। सिंह ने कहा, "इस बदलाव का मतलब है कि हम आमतौर पर हर दूसरे साल फ्लू के मामलों में वृद्धि देखते हैं।" चौथा, भारत में युवाओं में भी मधुमेह और हृदय रोग जैसी पुरानी बीमारियां हैं जो गंभीर बीमारी के लिए जोखिम कारक हैं। कोविड-19 की तरह वार्षिक फ़्लू शॉट सरकारी सेट-अप में आसानी से उपलब्ध नहीं होता है और बहुत से लोग इसे नहीं लेते हैं।
क्या लोगों का फ्लू से मरना असामान्य है?
नहीं, ऐसा नहीं है। कोविड -19 की तरह, यह बुखार, खांसी और नाक बहने जैसे हल्के लक्षणों का कारण बनता है, लेकिन निमोनिया और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम जैसी जटिलताओं को जन्म दे सकता है, जिससे मौत भी हो सकती है।
बहुत छोटे बच्चे, बूढ़े लोग, को-मोर्बिडिटी वाले लोग जैसे हृदय रोग, डायबिटीज, किडनी की बीमारी, गर्भवती महिलाएं, और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग, जैसे कि जिन लोगों के ट्रांसप्लांट हुआ है, उन्हें गंभीर बीमारी होने का अधिक खतरा होता है। पिछले साल संक्रमण से 410 लोगों की मौत हुई थी। जबकि अधिकांश मामले अगस्त में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन बढ़ने के दौरान ज़्यादा सामान्य सबटाइप H1N1 के कारण हुए थे, वायरल डायग्नोस्टिक लैब के ICMR नेटवर्क ने दिसंबर तक H3N2 मामलों की बढ़ती संख्या का पता लगाना शुरू कर दिया था।

क्या H3N2 इन्फ्लुएंजा का एक नया सब-टाइप है?
नहीं, यह इन्फ्लुएंजा वायरस के सब-टाइप्स में से एक है और 2009 की महामारी सब-टाइप H1N1 की तरह ही मौसमी संक्रमण का कारण बनता है, जो तब से प्रचलन में है। वास्तव में, सब-टाइप H3N2 भी 1968 में एक फ्लू महामारी का कारण बना था।
यह 2021 में अगस्त-सितंबर की वृद्धि के दौरान रेस्पिरेटरी सैम्पल्स में दूसरा सबसे ज़्यादा पाया जाने वाला वायरस था। इन्फ्लुएंजा वायरस के दो मुख्य सब-टाइप हैं - टाइप ए और टाइप बी। इन्फ्लुएंजा ए में एच1एन1 और एच3एन2 जैसे सब-टाइप शामिल हैं, जबकि इन्फ्लुएंजा बी के दो लीनिएज हैं जिन्हें विक्टोरिया और यामागाटा कहा जाता है। आमतौर पर, इन्फ्लुएंजा ए टाइप बी की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी और मौतों से जुड़ा होता है।
फ़्लू शॉट को हर साल अपडेट क्यों किया जाता है?
वार्षिक फ़्लू शॉट में शामिल किए जाने वाले सब-टाइप को विश्व स्वास्थ्य संगठन साल में दो बार वायरस के संक्रमण के हिसाब से अपडेट करता है। वायरल लैब्स का आईसीएमआर नेटवर्क फ्लू के मामलों की संख्या में उतार-चढ़ाव पर नजर रखने के लिए रेस्पिरेटरी सैम्पल्स का पूरे साल परीक्षण करता है, लेकिन इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कौन सा सब-टाइप ज़्यादा सर्कुलेशन में है इस पर नज़र रखता है। इन्फ्लुएंजा वायरस की लगातार विकसित होती प्रकृति के कारण टीके को लगातार अपडेट करने की ज़रूरत है।
संक्रमण से बचने के लिए क्या करना चाहिए?
इन्फ्लुएंजा तब फैलता है जब लोग खांसने या छींकने पर किसी मरीज द्वारा छोड़ी गई इन्फेक्टेड ड्रॉपलेट्स को अंदर लेते हैं। ये बूंदें सतहों पर भी जीवित रह सकती हैं और फैल सकती हैं यदि कोई व्यक्ति सतह को छूता है और फिर अपनी आंखों, नाक या मुंह को छूता है तो ये उसे संक्रमित कर सकती हैं। छींकते या खांसते समय नाक और मुंह को ढकना व बार-बार हाथ धोने से इससे बचा जा सकता है। बीमार होने पर घर पर रहना और खूब सारे तरल पदार्थ पीना सबसे अच्छा है। भीड़-भाड़ वाली जगहों पर संक्रमण से बचाव के लिए मास्क का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
