भारत में कोरोना वायरस के बिना लक्षण वाले मरीज ज्यादा, ये हैं कारण
कोरोना (corona virus) को लेकर दुनिया परेशान है, भारत में भी मामले हर दिन ही रिकार्ड तोड़ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद भारत अन्य देशों के मुकाबले अच्छी स्थिति में है और इसके पीछे की वजह भारत में पहले से ही विकासशील देश में है और यहां समय-समय पर लोग बैक्टीरिया और वायरस से लड़ते रहते हैं।
उनका शरीर इतना मजबूत हो चुका है कि अब कई लोग इस वायरस से लड़ने में सक्षम हैं। ज्यादातर लोगों के शरीर में वायरस के बेसिक स्ट्रेन (मूल रूप) को पहचानने और उसे खत्म करनेवाली इम्यून सेल्स भी पहले से मौजूद होती है। ये भी एक कारण है भारत में कोरोना से होने वाली मृत्युदर में कमी आने का।
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कोरोना संक्रमण ने चुने हैं तीन रास्ते--
कोरोना वायरस ने तीन रास्ते चुने हैं। ऐसा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि संक्रमण फैलने की तीन रास्ते हैं।
सिम्प्टोमैटिक
ये ऐसी स्थिति है जिसमें लोगों में कोरोना के लक्षण दिख जाते हैं और फिर उनके जरिए ये दूसरों में फैलता है। ये लोग लक्षण दिखने के पहले तीन दिन में लोगों को कोरोना संक्रमण फैला सकते हैं।
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प्री सिम्प्टोमैटिक
वायरस के संक्रमण फैलाने और लक्षण दिखने के बीच भी कोरोना का खतरा बरकरार रहता है। ये 14 दिन के अंदर होता है। इसमें व्यक्ति में कोरोना के लक्षण धीरे-धीरे आने शुरू हो जाते हैं जैसे बुखार, दर्द आदि।
3. एसिम्प्टोमैटिक (asymptomatic)
इसमें किसी तरह के लक्षण दिखाई नहीं देता है व्यक्ति को खुद ही नहीं पता चलता कि वो पॉजटिव है और संक्रमण फैलता रहता है भारत में ऐसे मामले ज्यादा हैं।
एसिम्प्टोमैटिक मामले क्यों है ज्यादा--
भारत में लोगों के बचपन से ही इम्यून सेल्स होती हैं जो आपकी बॉडी को वायरस (Virus) से बचाने में मददगार होती हैं। ये किसी दूसरे वायरस को फैलने से रोकती हैं इसके पीछे का कारण ये भी है कि देश की एक बड़ी आबादी को बचपन से ही धूल-मिट्टी में बिना उबला पानी पीने वाली है जो भीड़-भाड़ वाली जगहों पर बिना किसी एहतियात के रहती है। ऐसे लोगों में बीमारियों से लड़ने की क्षमता भी विकसित हो जाती है।
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो हमारा शरीर वैसा हो जाता है जैसा हम इसे बना लेते हैं। यही कारण है कि विकसित देशों के मुकाबले कोरोना भारत पर कम असर क्यों डाल पा रहा है। हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता पश्चिमी देशों की तुलना में कहीं अच्छी होती है।
कोरोना वायरस (Corona virus) का वर्ग काफी बड़ा है। कोरोना वायरस से लड़ने के लिए हमारे शरीर में पहले से इम्यून सेल्स मौजूद हैं क्योंकि यहां की ज्यादा आबादी खांसी, जुकाम, कफ जैसी हल्की-फुल्की दिक्कतों को आसानी से पार कर सकती है। इसे खत्म करने के लिए इम्यून सेल्स हमारी ज्यादातर आबादी में पहले से मौजूद हैं। इसलिए हमारे यहां की रिकवरी दर भी अच्छी है।
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क्या कहती है रिसर्च-
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफ़ोर्निया की संक्रामक बीमारियों की विशेषज्ञ (इंफेक्शियस डिसीज स्पेशलिस्ट) मोनिका गाँधी ने दि वाशिंगपोस्ट अखबार को एक इंटरव्यू में बताया था कि कोरोना वायरस के एसिम्प्टोमैटिक मामलों का बढ़ना एक अच्छा संकेत है इसे लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने ये भी कहा कि एसिम्प्टोमैटिक इन्फेक्शन के मामले बढ़ने से COVID-19 संक्रमण के लिए जिम्मेदार SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ कम्युनिटी लेवल पर इम्युनिटी पैदा करने में मदद मिल सकती है। इससे धीरे-धीरे महामारी पर नियंत्रण किया जा सकता है।
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