टीबी के मरीजों को चिन्हित करने के मामले में उत्तर प्रदेश लक्ष्य के करीब पहुंच गया है। टीबी मरीजों के पंजीकरण में उत्तर प्रदेश पहले, महाराष्ट्र दूसरे व बिहार तीसरे स्थान पर है। केंद्र ने उत्तर प्रदेश को इस वर्ष 6.5 लाख मरीजों को चिन्हित करने का लक्ष्य दिया था जिसके सापेक्ष अक्टूबर माह तक 86 प्रतिशत मरीजों की पहचान कर ली गई है। इसके लिए निजी अस्पतालों की भी मदद ली जा रही है।
टीबी उन्मूलन के लिए ज्यादा से ज्यादा मरीजों को चिन्हित कर उनका इलाज करने के लिए केंद्र सरकार ने अभियान शुरू किया है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 31 अक्टूबर तक प्रदेश में 5.59 लाख टीबी मरीजों की पहचान की जा चुकी है। इसमें निजी डाक्टरों की भूमिका अहम रही है। दो लाख से ज्यादा मरीजों की पहचान निजी डाक्टरों के माध्यम से हुई है। झाँसी, कानपुर में निजी डाक्टरों ने सरकारी डाक्टर से भी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन किया है। राजी टीबी अधिकारी डॉ शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि वर्ष 2025 तक प्रदेश को टीबी मुक्त करने के लिए युद्धस्तर पर काम चल रहा है।
इन जिलों में हुए सर्वाधिक पंजीयन
आगरा, मथुरा, झांसी, कानपुर, मेरठ व मुरादाबाद में तो प्राइवेट डाक्टरों ने सर्वाधिक पंजीयन किए हैं। राज्य टीबी अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने बताया कि प्राइवेट पंजीयन के मामले में श्रावस्ती फिसड्डी साबित हुआ है। यहां सिर्फ 38 प्राइवेट पंजीयन हुए हैं।
कहां कितने मरीजों का हुआ पंजीयन
इसी तरह महोबा में सिर्फ 215, संत रविदास नगर में 271, हमीरपुर में 277, कन्नौज में 293, सोनभद्र में 297, चित्रकूट में 312, सुल्तानपुर में 370, अमेठी में 392 और कानपुर देहात में सिर्फ 395 मरीजों का पंजीयन हुआ है।