हीट स्ट्रोक से अब तक 56 की गई जान, आखिर हीट स्ट्रोक होता क्या है

भारत में बढ़ती गर्मी को देखते हुए यह कहना गलत नहीं कि सूरज आग उगल रहा है। चिंताजनक बात यह है कि इस गर्मी से लोग केवल बीमार नहीं हो रहे हैं बल्कि इसके कारण मौत के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में मार्च और मई के बीच लू के 24,849  मामलों में से 56 मौतें दर्ज की गई हैं। राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) द्वारा जुटाए आंकड़ों के अनुसार इनमें से 46 मौतें अकेले मई में दर्ज की गई हैं। बता दें उड़ीसा में पिछले 24 घंटे में ही लू से 26 लोगों की मौत हुई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भारत में अब तक हीट स्ट्रोक से लगभग 200 मौतें हो गयी हैं। यह एक डराने वाला आंकड़ा है।  

लू की मार से समाज का सिर्फ वह वर्ग परेशान नहीं है जो दिनभर तपती धूप में काम करने के लिए मजबूर है। हाल ही में लू से मध्य प्रदेश के जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना के 20 वर्षीय बेटे अमोल सक्सेना के निधन की खबर भी सामने आयी है। हालांकि, अमोल सक्सेना की मौत को लेकर अभी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट हो सकेगा। लेकिन मिली जानकारी के अनुसार हीट स्ट्रोक यानी लू लगने से अमोल सक्सेना बीमार चल रहे थे, जिसके कुछ दिन बाद ही उनकी मौत हो गयी। हालांकि अब तक लू लगने को बहुत ही मामूली बात समझा जाता था। लेकिन अब इसकी गंभीरता को हल्के में लेना का परिणाम मौत हो सकता है। ऐसे में आप इस लेख की मदद से आप हीट स्ट्रोक से जुड़ी सभी जानकारी को डिटेल में जान सकते हैं।

क्या होता है हीट स्ट्रोक

सीडीसी के मुताबिक हीट स्ट्रोक जिसे लू लगना भी कहते हैं, एक गर्मी से संबंधित सबसे गंभीर बीमारी है। यह तब होता है जब शरीर अपने तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता है। इसमें शरीर का तापमान तेजी से बढ़ता है, और पसीना नहीं निकलने के कारण ठंडा होने में असमर्थ होता है। जब हीट स्ट्रोक होता है, तो 10 से 15 मिनट के भीतर शरीर का तापमान 106 डिग्री फारेनहाइट या उससे अधिक हो सकता है।

लू लगने के संकेत

भ्रम, बदली हुई मानसिक स्थिति, साफ न बोल पाना 
बेहोशी 
गर्म, सूखी त्वचा या अत्यधिक पसीना आना
दौरा पड़ना
तपता शरीर
चक्कर आना या सिरदर्द
मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन
मतली या उल्टी
तेज सांस लेना
धड़कन बढ़ना

इन लोगों को है हीट स्ट्रोक का सबसे ज्यादा खतरा

लू लगने का ज्यादा खतरा बुजुर्ग, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, मोटापे से ग्रस्त लोगों को रहता है। साथ ही हृदय रोग, मधुमेह और श्वसन संबंधी बीमारियों का सामना करने वाले लोगों के लिए भी हीट स्ट्रोक का जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा तेज धूप में 6-7 घंटे रहने वाले लोगों को लू लगने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।

हीट स्ट्रोक का इलाज 

हीट स्ट्रोक एक मेडिकल इमरजेंसी है। यदि आपको या आपके किसी परिचित को हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देते हैं, तो तुरंत 108 पर कॉल करें या किसी नजदीकी अस्पताल में जाएं। लेकिन जब तक मरीज हॉस्पिटल नहीं पहुंच जाता है तब तक उसे ठंडे स्थान पर रखें। यदि संभव हो तो ठंडे पानी से मरीज को नहलाएं या शरीर को बर्फ के पानी से पोछते रहें। इसके साथ ही मरीज को लगातार हवा करते रहें। 

हीट स्ट्रोक से ठीक होने में कितना समय लगता है?

हीट स्ट्रोक से रिकवरी का समय सबके लिए अलग-अलग हो सकता है। आमतौर पर समय पर उपचार मिल जाने पर व्यक्ति अस्पताल में 1-2 दिन रहने के बाद ठीक हो जाता है। लेकिन सीरियस कंडीशन होने पर पूरी तरह से रिकवरी में लगभग 2 महीने से एक वर्ष तक का समय लग सकता है।

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