सदी की सबसे बड़ी खोज, रूस ने बनाई कैंसर वैक्सीन; कहा- 2025 से रूस नागरिकों के लिए फ्री

रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि हमने कैंसर की वैक्सीन बनाने में सफलता हासिल कर ली है। इसकी जानकारी रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर आंद्रेई कप्रीन ने रेडियो पर दी। रूसी न्यूज एजेंसी TASS के मुताबिक, इस वैक्सीन को अगले साल से रूस के नागरिकों को फ्री में लगाया जाएगा।डायरेक्टर आंद्रेई ने बताया कि रूस ने कैंसर के खिलाफ अपनी mRNA वैक्सीन विकसित कर ली है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है। वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल से पता चला है कि इससे ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद मिलती है। इससे पहले इस साल की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया था कि रूस कैंसर की वैक्सीन बनाने के बेहद करीब है।

कैंसर क्या है

किसी सेल का अचानक तेजी से बढ़ना और ट्यूमर का रूप ले लेना कैंसर है। इसे कार्सिनोमा, नियोप्लाज्म और मेलेगनेंसी भी कहते हैं।

आइए कैंसर से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य जानते हैं…

1. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के मुताबिक, दुनिया भर में कैंसर से हर मिनट 17 लोगों की मौत होती है।

2. इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर के मुताबिक, 2020 में कैंसर के 1.93 करोड़ केस आए और 1 करोड़ लोगों की मौत हुई।

3.NCRP की रिपोर्ट के मुताबिक, 2020 में 13.9 लाख केस भारत में सामने आए हैं। दिल्ली, बेंगलुरु और चेन्नई जैसे शहरों में ब्रेस्ट कैंसर हाई रिस्क फैक्टर है।

4. भारत में हर 10 कैंसर मरीजों में से 7 की मौत हो जाती है, जबकि विकसित देशों में यह संख्या 3 या 4 है। इसकी वजह डॉक्टरो की कमी बताई गई है।

5. जर्नल ऑफ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी में 2017 को पब्लिश हुई एक स्टडी के मुताबिक, भारत में कैंसर से मरने वालों की दर विकसित देशों से लगभग दोगुनी है।

6. भारत में 2000 कैंसर मरीजों पर महज 1 डॉक्टर है। अमेरिका में कैंसर मरीजों और डॉक्टरों का यही रेशियो 100:1 है, यानी भारत से 20 गुना बेहतर।

कैंसर वैक्सीन बनाना मुश्किल क्यों

1. कैंसर सेल्स ऐसे मॉलिक्यूल से बनते हैं जो इम्यून सेल्स को दबा देते हैं। अगर कोई वैक्सीन इम्यून सेल्स को एक्टिव कर भी दे तो हो सकता है वो इम्यून सेल्स ट्यूमर के अंदर प्रवेश न कर पाए।

2. कैंसर सेल्स सामान्य सेल्स की तरह ही होती हैं और इस वजह से इम्यून सिस्टम को यह उतनी खतरनाक नहीं लगतीं। इससे इम्यून सिस्टम के लिए यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि किस पर हमला करना है।

3. अगर कैंसर का एंटीजन सामान्य और असामान्य सेल्स दोनों पर मौजूद होता है तो वैक्सीन दोनों पर हमला करना शुरू कर देती है। इससे शरीर को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है।

4. कई बार कैंसर ट्यूमर इतना ज्यादा बड़ा होता है कि इम्यून सिस्टम उससे लड़ नहीं पाता है। कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम काफी कमजोर होता है, इस वजह से कई लोग वैक्सीन लगने के बाद भी रिकवर नहीं कर पाते हैं।

क्या होती है mRNA वैक्सीन

mRNA या मैसेंजर-RNA इंसानों के जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है, जो हमारी सेल्स कोशिकाओं में प्रोटीन बनाती है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते हैं कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है। इसके साथ ही इससे शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित यह कैंसर की पहली वैक्सीन है।

कैंसर होने के बाद में दी जाती है वैक्सीन

कैसर स्पेशलिस्ट एमडी मौरी मार्कमैन का कहना है कि कैंसर की वैक्सीन बनाना बायोलॉजिकल तौर पर असंभव है। कैंसर के लिए कोई टीका नहीं हो सकता क्योंकि कैंसर कोई बीमारी नहीं है। यह शरीर में हजारों अलग-अलग स्थितियों का परिणाम है। फिर भी वैक्सीन कुछ कैंसरों की रोकथाम कमें जरूरी रोल निभाती है। ये वैक्सीन कैंसर रोगियों को उपचार के दौरान सुरक्षा देने में जरूरी टूल हैं क्योंकि कैंसर मरीज को इलाज के दौरान दूसरी बीमारियों को खतरा बढ़ जाता है।

कैंसर वैक्सीन की खास बात यह है कि यह कभी कैंसर होने से पहले नहीं दी जाती है, बल्कि यह उन लोगों को दी जाती है जिन्हें कैंसर ट्यूमर है। यह वैक्सीन हमारे इम्यून सिस्टम को यह पहचानने में मदद करती है कि कैंसर सेल्स कैसी दिखती है।

कितनी बार लगवानी पड़ेगी वैक्सीन

कैंसर को पूरी तरह खत्म करे के लिए इस वैक्सीन को कितनी बार लगवीनी है, इसे लेकर ज्यादा जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अलग-अलग तरह के कैंसर के लिए अलग तरह की mRNA वैक्सीन की जरूरत हो सकती है। कैंसर के स्टेज के आधार पर mRNA वैक्सीन को कई बार लगवाने की जरूरत हो सकती है। इम्यून सिस्टम की मजबूती के लिए भी इस वैक्सीन को कई बार लगवाने की आवश्यकता हो सकती है। कुछ अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि कैंसर की mRNA वैक्सीन को शुरुआती स्टेज में 2-3 बार, मीडियन स्टेज में 3-4 बार और फाइनल स्टेज में 4-6 बार लगवाने की जरूरत पड़ सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि अभी इस पर रूसी विशेषज्ञओं की राय नहीं आई है।

किस तरह फायदेमंद हो सकती है कैंसर की mRNA वैक्सीन

दुनिया में लंबे समय से इस वैक्सीन को बनाने पर काम चल रहा है। अभी तक रूस की तरफ से इस वैक्सीन को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं आई है लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस वैक्सीन से कैंसर कोशिकाएं नष्ट हो सकती हैं। वैस्सीन इम्यून सिस्टम को एक्टिव करने में मदद करती है, जिससे कैंसर कोशिकीओं को नष्ट करने में मदद मिलती है। यह वैक्सीन अन्य तरह की वैक्सीन की तुलना में ज्यादा सुरक्षित और असरदार हो सकती है।

भारत में पुरुषों से ज्यादा महिलाओं को कैंसर

भारत में 2022 में कैंसर के 14.13 लाख नए केस सामने आए थे। इनमें 7.22 लाख महिलाओं में जबकि 6.91 लाख पुरुषों में कैंसर पाया गया। 2022 में 9.16 लाख मरीजों की कैंसर से मौत हुई। 2025 तक भारत में 15 लाख 70 हजार कैंसर के मरीज होंगे।

5 साल में भारत में 12% की दर से बढ़ेंगे कैंसर के मरीज

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) का आंकलन है कि 5 साल में देश में 12% की दर से कैंसर मरीज बढ़ेगे, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती कम उम्र में कैंसर का शिकार होने की है। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, कम उम्र में कैंसर की सबसे बड़ी वजहों में हमारी लाइफस्टाइल है। ग्लोबल कैंसर ऑब्जरवेटरी के आंकड़ों के अनुसार, 50 साल की उम्र से पहले ब्रेस्ट, प्रोस्टेट और थायरॉइड कैंसर सबसे ज्यादा हो रहे हैं। भारत में ब्रेस्ट, मुंह, गर्भाशय और फेफड़ों के कैंसर के सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।

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