
केंद्रीय बजट में किए गए प्राविधानों से प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या में इजाफा होगा। कस्टम ड्यूटी खत्म करने से कैंसर के करीब सात लाख मरीजों को हर माह औसतन 10 हजार रुपए का फायदा हो सकता है। जिला अस्पतालों में डे-केयर सुविधा दिये जाने से मरीजों को चिकित्सा संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों में जाने की विवशता खत्म होगी। खासतौर से बीमित मरीजों को सीधा फायदा मिलेगा।
प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों एवं मेडिकल कॉलेजों में करीब छह से सात लाख कैंसर के मरीज पंजीकृत है। उत्तर प्रदेश में हर साल करीब 2.5 लाख मरीज बढ़ रहे हैं। दुर्लभ बीमारियों और संचारी रोग के मरीजों की संख्या भी करीब एक से डेढ़ लाख रहती है।
बजट में कैंसर दुर्लभ बीमारियों और संचारी बीमारियों और 36 जीवन रक्षक दवाओं को बेसिक कस्टम ड्यूटी से पूरी तरह छूट देने से इन मरीजों को सीधे फायदा होगा।
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कस्टम ड्यूटी में छूट मिलने से औसतन कैंसर के मरीज को हर माह करीब 10 हजार रुपए तक का फायदा मिल सकता है। क्योंकि गंभीर मरीजों को 15 से 21 दिन के बीच कीमोथेरेपी देनी होती है जबकि उससे जुड़ी अन्य दवाएं नियमित चलती रहती है।
मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि कैंसर सहित गैर संचारी रोगों के खिलाफ सरकार काफी समय से राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है। गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम भी लागू है। अब तक 707 जिला एनसीडी क्लीनिक, 268 जिला डे केयर केंद्र और 5541 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एनसीडी क्लीनिक स्थापित किए गए हैं। आगे इन्हीं केंद्रों के साथ डे केयर कैंसर सेंटर को रखने की योजना है। शीर्ष अधिकारी ने बताया कि अभी इन केंद्रों पर पांच तरह के कैंसर की स्क्रीनिंग की जा रही है, लेकिन डे केयर कैंसर सेंटर शुरू होने के बाद यहां चिकित्सा परामर्श से लेकर कीमोथेरेपी और दिन में एक समय का आहार भी रोगियों को उपलब्ध होगा।