
चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन के उपभोक्ताओं वाला देश है। 2021 में भारत में सबसे ज्यादा 16.9 करोड़ स्मार्टफोन की बिक्री हुई है। वहीं, भारत में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 439 मिलियन है और ये संख्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में स्मार्टफोन से होने वाली दिक्कतों के कई मामले भी सामने आ रहे हैं। इसमें से सबसे ज्यादा आम हो रही प्रॉब्लम है ‘स्मार्टफोन फिंगर’ जिसे पहले ब्लैकबेरी थंब के नाम से भी जाना जाता था। ये प्रॉब्लम स्मार्टफोन के ज़्यादा इस्तेमाल से होती है। इसका आर्थराइटिस या किसी और बीमारी से लेना देना नहीं है।
यदि आप भी दिन के अधिकतर घंटे फोन में मैसेज टाइप करने, न्यूज फीड को स्क्रॉल करने या गेम खेलने में बिताते हैं तो आप भी ‘स्मार्टफोन फिंगर’ की प्रॉब्लम का शिकार हो सकते हैं। लेकिन इस बात का पता लगाने के लिए इसके लक्षणों को जानना बेहद जरूरी है। ‘स्मार्टफ़ोन फिंगर’ एक ऐसी प्रॉब्लम है जिसमें इंसान को उंगलियों या अंगूठे में दर्द शुरू हो जाता है। दर्द इसलिए नहीं होता क्योंकि कहीं जोड़ों में दिक्कत है। बल्कि ये दर्द स्मार्टफ़ोन के ज़्यादा इस्तेमाल, बार-बार स्वाइप करने, टेक्स्ट मैसेज भेजने की वजह से होता है। इसमें मांसपेशियों में सूजन या अकड़न आ जाती है। 1-2 उंगलियों में दर्द बना रहता है। जिससे दिनचर्या पर असर पड़ता है। आज हम इससे संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को आपके साथ साक्षा कर रहें हैं।
स्मार्टफोन फिंगर के लक्षण
- उंगली में सूजन।
- उंगली में अकड़न।
- दर्द होना।
- उंगली का अटकना या उंगली का झटके से खुलना या बंद होना।
- ये दिक्कत अक्सर 1 या 2 ही उंगलियों में ही होती है।
स्मार्टफ़ोन फिंगर से निपटने के घरेलू उपाय
- स्मार्टफ़ोन का इस्तेमाल या टाइपिंग केवल 1-2 उंगलियों से न करें।
- 3-4 उंगलियों का इस्तेमाल करने की कोशिश करें।
- 1 ही उंगली से स्वाइप न करें।
- उंगलियां बदलते रहें ताकि किसी एक ही उंगली पर ज़्यादा प्रेशर न पड़े।
- अगर डायबिटीज या थायरॉइड की प्रॉब्लम है तो उसे कंट्रोल में रखें।
- अगर दर्द से परेशान हैं तो बर्फ़ से सिकाई करें।
- कुछ दिनों के लिए फ़ोन का इस्तेमाल कम कर दें।
इलाज
फ़ोन पर काम करने से बच नहीं सकते। लेकिन सावधानी रखते हुए और बाकी उंगलियों का इस्तेमाल करते हुए इस बीमारी से बचा जा सकता है। जिन लोगों में ये परेशानी सिंपल ट्रीटमेंट जैसे सिकाई और बाकी उंगलियों के इस्तेमाल से नहीं जाती। उनमें मेडिकल ट्रीटमेंट लेना पड़ता है। जिसमें सूजन कम करने की दवाइयां दी जाती हैं। जिस मांसपेशी में सूजन है, उसमें इंजेक्शन भी लगाया जाता है। इस इलाज का इस्तेमाल 100 में से 20 लोगों में ही होता है। वहीं,80 प्रतिशत लोगों में ये बीमारी बर्फ़ की सिकाई करने से ठीक हो जाती है।