प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व में केंद्र सरकार गरीबों के कल्याण में कोई कमी नहीं छोड़ रही है। सरकार भली भांति समझती है कि अगर किसी को बीमारी हो जाए तो इलाज में होने वाले खर्च के कारण परिवार कर्ज के जाल में फंस जाता है। इसलिए छह साल पहले प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) शुरू की गई। इस योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पांच लाख रुपए का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलता है। इसके लिए सरकार पैसे की कोई कमी नहीं होने दे रही है। 2018 से लेकर अब तक इस योजना पर सरकार ने 1.1 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। इसमें 7.9 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ है।
यह योजना देश के गरीब परिवारों के स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े आर्थिक बोझ को कम करने मददगार रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान किए गए वादे को पूरा करते हुए सरकार ने 70 वर्ष व उससे अधिक उम्र के सभी बुजुर्गों को भी इस योजना का लाभ देना शुरू कर दिया है। इससे 4.5 करोड़ परिवारों के लगभग छह करोड़ व्यक्तियों को लाभ मिलेगा।
तमिलनाडू, कर्नाटक, राजस्थान, केरल, आंध्र प्रदेश और गुजरात में इस योजना का लाभ उठाने वाले लोगों की संख्या सर्वाधिक है। योजना के तहत कैशलेस उपचार मिलता है। इसमें उपचार, दवाइयाँ, नैदानिक सेवाएं, चिकित्सक की फीस, कमरे का शुल्क, सर्जन शुल्क, ओटी और आईसीयू शुल्क संबंधी सभी लागतें कवर है। लाभार्थियों ने अभी तक संक्रामक रोगों, सामान्य सर्जरी, मेडिकल आंकोलाजी, नेत्र विज्ञान और अर्थोपेडिक्स जैसे उपचार का सबसे ज्यादा लाभ लिया गया है।
योजना के लिए पात्र व्यक्तियों को 35.5 करोड़ से अधिक आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं जिससे वे 30672 सूचीबद्ध सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा का लाभ उठा सकते हैं। सरकार ने पिछले सप्ताह 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी बुजुर्गों को मुफ्त स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के लिए ‘आयुष्मान वय वंदन कार्ड’ भी शुरू किया था। वित्त संबंधी संसद की स्थायी समिति ने हाल ही में पीएम-जेएवाई का विस्तार करते हुए भुगतान के आधार पर मध्यम वर्ग को भी कवर करने की सिफ़ारिश की है।