आपने अपने आस-पास प्लास्टिक से बनी हुई कई चीजें जैसे बोतलें, बर्तन, खिलौने और फर्नीचर जरूर देखे होंगे। ये हमारे जीवन को आसान बनाते है लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब हम इन्हें फेंक देते है तो इनका क्या होता है प्लास्टिक से बनीं चीजें और प्लास्टिक के बैग लैंडफिल में लंबे समय तक बिना नष्ट हुए ऐसे ही पड़े रहते हैं। जिससे वातावरण दूषित होता है।
सेंटर फॉर बायोलाजिकल डायवर्सिटी के अनुसार एक प्लास्टिक बैग को विघटित होने में लगभग 1000 वर्ष लगते हैं क्योंकि अधिकांश छोटे-छोटे जीव प्लास्टिक नहीं खा सकते। हालांकि सूर्य की पराबैंगनी विकिरण से प्लास्टिक में थोड़ा बदलाव आ जाता है। जब ये विघटित होते हैं तब भी अपने पीछे माइक्रोप्लास्टिक के रूप में हानिकारक कण छोड़ जाते हैं जो पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
ऐसा माना जाता है कि प्लास्टिक की थैलियां 1950 के दशक से अस्तित्व में है। इसका अर्थ यह है कि मानव ने प्लास्टिक को नष्ट होते हुए देखा ही नहीं। वैज्ञानिक श्वसन परीक्षण का उपयोग करते हुए विघटन को समझने का प्रयास करते हैं। जिसमें सामान को छोटे जीवों से भरकर मिट्टी में दबा दिया जाता है और जब इन जीवों द्वारा सामग्री को विघटित किया जाता है तब उससे निकालने वाली कार्बन डाईआक्साइड को मापा जाता है। यदि यह सामग्री कूड़े या कचरे जैसा कोई कार्बनिक पदार्थ है तो कार्बन डाईआक्साइड का स्तर बढ़ जाता है। इस घटना से वैज्ञानिकों को इसके नष्ट होने कि दर का अनुमान लगाने में मदद मिलती है। प्लास्टिक की थैलियों से कोई कार्बन डाईआक्साइड उत्पादन नहीं होता है जिसका अर्थ यह है कि ये छोटे जीव उसे नहीं खाते हैं और प्लास्टिक कि थैलियां पूरी तरह से सुरक्षित सदियों तक वहीं पड़ी रहती हैं। यदि लैंडफिल में दबे रहने के कारण प्लास्टिक कि थैलियां पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में नहीं आती है तो ये बहुत लंबे समय तक ऐसे ही पड़ी रहेंगी।
प्लास्टिक बैग बनाने के लिए जीवाश्म ईधन कि आवश्यकता होती है। एक अनुमान के अनुसार इसमें सालाना 12 मिलियन बैरल तेल कि खपत होती है और एक बार जब बैग उपभोक्ताओं के हाथों में अपना उपयोगी जीवन समाप्त कर लेता है तो यह वन्य जीवों के खाद्य जाल में प्रवेश करता है।
मछ्ली और कई जानवर खाने की वस्तु के साथ प्लास्टिक भी खा जाते हैं। प्लास्टिक की थैलियों का उपयोग सीमित करना एक अच्छा विचार है लेकिन कपड़े का थैला उपयोग करने से भी कोई खास लाभ नहीं होगा। बेहतर यही होगा की आप जब भी बाज़ार से कुछ खरीदने जाओ तो भारी सामान उठाने के लिए घर में मौजूद प्लास्टिक या कपड़े के बैग का ही दोबारा प्रयोग करें।