भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली पैरासिटामोल सहित 53 दवाइयां केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) द्वारा जारी किए गए नवीनतम गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाई गई हैं। इन दवाओं की गुणवत्ता मानकों पर खरा न उतरने की वजह से स्वास्थ्य सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं। इन दवाओं में बुखार, डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर और विटामिन सप्लीमेंट जैसी दवाइयां शामिल हैं, जिन्हें लाखों लोग रोजाना इस्तेमाल करते हैं।
किन दवाइयों ने किया फेल?
इस गुणवत्ता परीक्षण में पैरासिटामोल 500mg, जो सबसे सामान्य बुखार और दर्द की दवा है, फेल पाई गई। इसके अलावा, विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट Shelcal, एंटीबायोटिक Clavam 625, एसिडिटी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली Pan-D और हाई ब्लड प्रेशर के लिए Telmisartan जैसी दवाएं भी परीक्षण में विफल रहीं। इन दवाओं को विभिन्न राज्य दवा अधिकारियों द्वारा रैंडम सैंपलिंग के आधार पर परीक्षण के लिए चुना गया था।
कौन सी कंपनियां हैं शामिल?
इन दवाओं को बनाने वाली कंपनियों में भारत की प्रमुख फार्मा कंपनियां जैसे Alkem Laboratories, Hetero Drugs, और Karnataka Antibiotics & Pharmaceuticals Ltd. शामिल हैं। कुछ दवाइयों को “स्प्यूरियस” यानी मिलावटी भी पाया गया, जिनके निर्माता कंपनियों ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। उदाहरण के लिए, Hindustan Antibiotics Limited की बनाई एंटीबायोटिक दवा Metronidazole भी मानकों पर खरी नहीं उतरी।
स्वास्थ्य पर प्रभाव और सुझाव
इन दवाओं के क्वालिटी टेस्ट में फेल होने से उन मरीजों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो नियमित रूप से इनका सेवन कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन दवाओं के सेवन से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम बढ़ सकते हैं, खासकर तब जब ये दवाएं अपेक्षित प्रभाव देने में विफल रहती हैं। आम जनता को सलाह दी जाती है कि वे अपनी नियमित दवाओं के बारे में डॉक्टर से परामर्श करें और अगर आवश्यक हो तो उन्हें बदलने का सुझाव लें।
सीडीएससीओ द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट ने दवाओं की गुणवत्ता पर ध्यान देने की आवश्यकता को उजागर किया है। सरकार और संबंधित संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाजार में उपलब्ध दवाएं उच्चतम गुणवत्ता वाली हों ताकि जनता का स्वास्थ्य सुरक्षित रहे।
अधिक जानकारी के लिए, सीडीएससीओ की आधिकारिक वेबसाइट या संबंधित फार्मेसी से संपर्क करें।