प्रांतीय चिकित्सा सेवा (पीएमएस) संवर्ग के सेवानिव्रत्त चिकित्सकों से अब संविदा पर 70 वर्ष तक सेवाएं लेने की तैयारी की जा रही है। पुनर्योजित चिकित्सकों की सेवानिव्रत्ति की आयु अभी 65 वर्ष है। ऐसे में अब आगे सेवानिव्रत्त चिकित्सक चाहकर भी अपनी सेवाएं नहीं दे सकेंगे। पुनर्योजित चिकित्सकों के एक हजार पद हैं जिन्हें भरना मुश्किल होगा। उधर उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक का कहना है कि आयु सीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर जल्द मुहर लगाने की तैयारी की जा रही है।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के सरकारी अस्पतालों में डाक्टरों की कमी के चलते सेवानिव्रत्ति की आयु 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष की जा चुकी है। पहले जब चिकित्सक 62 साल पर रिटायर हो रहे थे तब उन्हें 65 वर्ष तक पुनर्योजन के माध्यम से संविदा पर रखकर सेवाएं लेने का नियम बनाया गया था। अब चिकित्सक 65 साल में रिटायर हो रहे हैं और पुनर्योजित चिकित्सकों से भी इसी आयु सीमा तक सेवाएं ली जा सकती हैं। ऐसे में अब रिटायरमेंट के बाद चिकित्सकों को दोबारा संविदा पर सेवाएं देने का अवसर खत्म हो गया है। अभी पुनर्योजन के माध्यम से एमबीबीएस डाक्टरों के 500 पद व विशेष चिकित्सकों के व 500 पद भरे जाते हैं। अभी इन पदों के सापेक्ष 76 एमबीबीएस डाक्टर व 273 विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे है। आगे इन पदों को भरना मुश्किल होगा। वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) भी रिटायर होने के बाद डाक्टरों से 70 वर्ष की उम्र तक सेवाएं ले रहा है। पीएमएस संवर्ग के चिकित्सकों के सात हजार पद खाली चल रहे हैं।
पिछले साल तीन साल पुनर्नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है।अभी 62 साल पर रिटायर होने वाले डाक्टर अपनी स्वेच्छा से तीन वर्ष तक पुनर्नियुक्ति पर अपनी सेवाएं देते हैं। 65 साल तक काम करने वाले इन डाक्टरों को अंतिम वेतन में से पेंशन घटाने के बाद जो भी धनराशि बनती है, इन्हें उसका भुगतान किया जाता है। ऐसे में अब पुनर्नियुक्ति पर पर 68 साल तक काम करने का मानक तैयार किया गया था।