लीवर को नुकसान पहुंचाने में दवाओं का अहम योगदान है। इसे ड्रग इण्ड्युस्ड से लीवर को होने वाली इंजरी कहा जाता है। मेडिकल रिसर्च में पाया गया है कि बहुत सी ऐसी एलोपैथिक दवाएं हैं जो लीवर को नुकसान पहुंचाती है। उदाहरण के लिए टीबी की मर्ज के इलाज के लिए आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली दवाएं लीवर को नुकसान पहुंचा सकती है। जिसको एंटी ट्यूबरकुलर ड्रग ट्रीटमेंट इण्ड्युस्ड हेपेटाइटिस कहते हैं। ऐसी दवाओं कि सूची बहुत लंबी है और इसके ऊपर काफी शोध भी हुए हैं।
कुछ दवाओं से लीवर को होने वाले नुकसान का अंदाजा लीवर को दवा कि खुराक देते ही देखने को मिलने लगती है। लीवर खराब होने के लक्षण लीवर फंक्शन टेस्ट (एलएफटी) से पता चलते हैं। एलएफटी कि रिपोर्ट में एसजीपीटी और एलएफटी के बढ़े होने से समस्या का पता चलता है। इसके आगे जब लीवर में खराबी बढ़ती है तो उसके काम करने कि ताकत कम हो सकती है जिसकी वजह से भविष्य में पीलिया, खून का पतला होना और बेहोश हो जाने तक कि समस्या उत्पन्न हो सकती है साथ ही लीवर फेल भी हो सकता है।
हर्बल दवाएं भी नहीं हैं लीवर के लिए सही
आजकल लोगों का झुकाव हर्बल दवाओं कि तरफ भी ज्यादा है ऐसा माना जाता है कि ये दवाएं ज्यादा सुरक्षित होती हैं। कई लोग बीमारियों में इंनका सेवन करते हैं। लेकिन हर्बल दवाओं में भी एलोपैथिक दवाओं की तरह कुछ केमिकल कंपाउंड मिले होते हैं जो नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें से कई दवाओं का केमिकल कंपोज़ीशन पता नहीं होता है ऐसे में जब इनका सेवन किया जाता है तो ये भी लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस स्थिति को हर्बल लीवर इण्ड्युस्ड इंजरी कहते हैं।
अमेरिका में हुए एक अध्ययन के अनुसार ड्रग इण्ड्युस्ड लीवर इंजरी लगभग 20 प्रतिशत लोगों में होती है। हालांकि अपने देश में भी कुछ ऐसे सेंटर हैं जो हर्बल लीवर इण्ड्युस्ड कि रिपोर्ट समय समय पर देते रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार बाहर के जंक फूड या शराब इत्यादि के सेवन से बचना चाहिए और अपने चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लेनी चाहिए।